डॉ.ब्रह्मदीप अलूने
सोनिया गांधी भारत का एक ऐसा राजनीतिक किरदार है,जिनका जीवन अप्रत्याशित घटनाओं से बेहद प्रभावित रहा।लेकिन उनकी जिजीविषा से वे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी टिकी रही और आज ऐसे राजनेता के रूप में दुनियाभर में पहचानी जाती है जिन्होंने प्रधानमंत्री बनने के अवसर को एक नहीं दो बार ठुकरा दिया।
दरअसल साहस, आत्म विश्वास और देश के प्रति निष्ठा उन्होंने अपनी सास इंदिरा गांधी से सीखी। सोनिया, इंदिरा के प्रेम और स्नेह से सदा अभिभूत रही और वे इसे स्वीकार भी करती हैं।
60 के दशक में केम्ब्रिज में अध्ययन के दौरान राजीव को सोनिया से प्यार हुआ और इसके बाद उन्होंने पत्रों के माध्यम से अपनी माँ इंदिरा को इसकी जानकारी दी। राजीव ने अपनी मां से यह भी कहा कि वे सोनिया से शादी करना चाहते हैं। उन्हीं दिनों इंदिरा जी का सरकारी कार्यक्रम से लंदन जाना हुआ और सोनिया से मिलने का कार्यक्रम भी बन गया। उस दौर में इंदिरा गांधी पूरी दुनिया में एक शानदार नेता के रूप में विख्यात थी और इसी कारण सोनिया नर्वस हो गई। लेकिन इसके बाद जल्दी ही सोनिया का इंदिरा से सामना हो ही गया। यह मुलाकात भारतीय उच्चायुक्त के घर पर हुई। सोनिया की अंग्रेजी इतनी अच्छी नहीं थी और उन्हें फ्रेंच में बात करना पसंद था। इंदिरा गांधी को यह बात राजीव बता चुके थे अत: इंदिरा गांधी ने सोनिया से फ्रेंच में बातें की। इस दौरान जब सोनिया असहज महसूस कर रही थी तब इंदिरा ने उन्हें बेहद स्नेह से कहा कि प्यार करना बुरी बात नहीं है।
इसके बाद राजीव गांधी और सोनिया गांधी की शादी कर दी गई। सोनिया इंदिरा जी को हमेशा बहुत प्रिय रही। संजय गांधी की अकस्मात मृत्यु के बाद इंदिरा गांधी बहुत टूट चूकी थी और वे बहुत धार्मिक होकर सोमवार का उपवास रखने लगी तो सोनिया भी उनके साथ व्रत किया करती थीं। जब भी इंदिरा गांधी घर पर होती तो उनके लिए खाना सोनिया अपने हाथों से ही बनाया करती थीं। इंदिरा जी को ताजी सब्जियां खाने का बड़ा शौक था अत: सोनिया ने घर पर पालक और गोभी जैसी सब्जियां लगा दी थी और वे स्वयं उसका ख्याल भी रखती थी। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई और पूरे देश के साथ सोनिया गांधी के लिए भी यह वज्रपात जैसा था। गहरे दुःख और अवसाद से डूबी सोनिया का वजन महज दो महीने में 15 पौंड घट गया और सदमे में वे दमे की की शिकार भी हो गई।