कीटोजेनिक डाइट क्या है? अक्सर हम इसके बारे में सुनते हैं। दरअसल फिटनेस का इन दिनों खूब ट्रेंड हैं। लोग जितना ध्यान एक्सरसाइज़ और योग पर दे रहे हैं उससे ज्यादा ख्याल अब वे अपने खान-पान का भी रखते हैं। क्योंकि मौजूदा जीवनशैली में हमें वज़न कंट्रोल करने पर सबसे ज्यादा फोकस करना पड़ता है। ऐसे में एक है कीटोजेनिक डाइट, जो युवाओं की पसंद है। इस डाइट का सबसे बड़ा फायदा है वजन की कमी, भूख ज़्यादा लगना और ब्लड प्रेशर का कंट्रोल हो पाना।

कीटोजेनिक डायट वो है, जिसमें फैट और प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट का अनुपात 4:1 का होता है। एक स्वस्थ आदमी के लिए कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 45 ग्राम से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। इस डाइट में 70% फैट, 25% प्रोटीन और 5% कार्बोहाइड्रेट होता है।
आइए आपको बताते हैं कि आप कैसे इस डाइट को अपने खान पान का हिस्सा बना सकते हैं । हम यहाँ दें कि इस तरह की डाइट के बारे में पहले अफने न्यूट्रिशनिस्ट या डॉक्टर से संपर्क करें। ध्यान रखें कि कीटो डाइट सभी इस्तेमाल कर सकें ये ज़रूरी नहीं। नॉन वेज खाने वालों के पास कई विकल्प हैं लेकिन वेजीटेरियन लोगों के लिये नट्स और वेजीटेबल्स के अलावा सलाद में इसे ढूंढा जा सकता है।
कीटोजेनिक डाइट क्या है: अखरोट भी है कीटो

कई गुणों से भरपूर हैं अखरोट। घर में आमतौर पर हम ड्राई फ्रूट के पर इसका इस्तेमाल करते हैं। कार्बोहाइड्रेट्स में कम और अच्छे फैट्स से भरपूर अखरोट आपके शरीर के लिए फायदेमंद है।
फायदे: ओमेगा 3 फैटी एसिड्स से भरपूर अखरोट दिल से जुड़े खतरों को कम करता है और साथ ही ब्लड प्रेशर को कम तथा डायबिटीज़ को भी कंट्रोल में रखता है।

कीटोजेनिक डाइट क्या है
न्यूट्रिएंट्स: अखरोट की एक सर्विंग से 780 कैलोरी ऊर्जा, 18 ग्राम फैट, 78 ग्राम प्रोटीन और 16 ग्राम कार्बोहाइड्रेट मिलता है, जिसमें से 8 ग्राम डाइट्री फाइबर होता है।
कितनी मात्रा में खायें: एक कप (120 ग्राम) अखरोट प्रति दिन।
इसके अलावा बादाम और मूंगफली, काजू, मुनक्का, मखाने, अलसी की सीड, तिल, खसखस, पिस्ता जैसे नट्स को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।