Virbhadra Singh dies- 86 साल की उम्र में पूर्व सीएम ने शिमला के IGMC में आखिरी सांस ली

#virbhadrasingh

Virbhadra Singh dies-हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के पूर्व सीएम और हेवीवेट नेता रहे वीरभद्र सिंह को देवभूमि में लोग याद कर रहे हैं, क्योंकि उनके निधन से न सिर्फ सियासी गलियारे बल्कि हिमाचल प्रदेश में एक सियासी युग का अंत हुआ है।

Virbhadra Singh dies

86 साल की उम्र में उन्होंने शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में आखिरी सांस ली। महीने भर पहले वीरभद्र सिंह कोरोना की चपेट में भी आये थे, तब मोहाली के निजी हॉस्पिटल से वो ठीक होकर शिमला भी लौटे थे, हालांकि इसके कुछ दिन बाद वीरभद्र की तबीयत बिगड़ी और बिगड़ती चली गई।

शिमला के सराहन में हुआ जन्म

virbhadra
  • 6 बार रहे प्रदेश के सीएम
  • सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए ऑनर्स किया
  • 1977 में हारे थे चुनाव

-जब भी हिमाचल में सियासत की बात होगी, वीरभद्र सिंह का जिक्र ना हो, ऐसे मुमकिन नहीं हैं. हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का निधन हो गया है, 23 जून 1934 को वीरभद्र सिंह का जन्म शिमला के सराहन में हुआ था, वे हिमाचल के सबसे ज्यादा 6 बार सीएम हैं.

पढ़ाई


शिमला के बिशप कॉटन स्कूल शिमला से ही हुई. बाद में उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए ऑनर्स की पढ़ाई की. वीरभद्र सिंह अपने राजनीतिक करियर में केवल एक ही बार चुनाव हारे हैं. देश में आपातकाल के बाद 1977 में जब कांग्रेस का देश से सफाया हो गया था, इसी दौरान वीरभद्र सिंह भी चुनाव हारे थे.

रामपुर बुशहर रियासत के राजा थे वीरभद्र

वीरभद्र सिंह का नाता राजघराने से रहा, रामपुर रियासत के राजखानदान से ताल्लुक रखने वाले वीरभद्र सिंह हिमाचल के छह बार मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र सिंह ने 30 जनवरी, 1962 को दिल्ली में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी और इससे दो दिन पहले ही उन्हें कांग्रेस ने महासू से अपना संसदीय उम्मीदवार घोषित कर दिया था।

  • –1962 में लड़ा पहला चुनाव
  • 1967 और 1971 का लोकसभा चुनाव जीता
  • 1980 में भी सांसद चुने गये
  • भ्रष्टाचार के भी आरोपों से घिरे
  • 2009 में मंडी संसदीय सीट से जीते

हिमाचल प्रदेश में डॉ. परमार के बाद सबसे लोकप्रिय नेता रहे वीरभद्र सिंह

virbhadra 2

vo….वीरभद्र सिंह ने पहली बार सन 1962 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और संसद पहुंचे. इसके बाद 1967 और 1971 के लोकसभा चुनाव में भी इन्हें जीत नसीब हुई. 1980 में सीएम वीरभद्र सिंह ने फिर चुनावी ताल ठोकी और सांसद चुने गए. उन्हें इस दौरान राज्य मंत्री उद्योग मंत्री का प्रभार मिला था.


इसके बाद वीरभद्र सिंह ने प्रदेश राजनीति की ओर रुख किया. केंद्र में मंत्री से लेकर राज्य में सीएम तक का पद वीरभद्र सिंह ने बखूबी सम्भाला, हालांकि हिमाचल में कई बार उनपर बीते दशकों में करप्शन के आरोप भी लगे। हालांकि 2009 में वह एक बार फिर मंडी संसदीय सीट से सांसद चुने गए. इससे पहले, जब 2004 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी, तो इसी सीट से उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह सांसद चुनी गई थीं.

यह भी पढ़ें: #VirbhadraSingh Dies at 86- जब माल ढुलाई हेलीकॉप्टर में सवार हो गये हिमाचल के पूर्व सीएम वीरभद्र

himachal कांग्रेस को इस राज्य में स्‍‌थापित करने में अहम योगदान

हिमाचल की राजनीति और कांग्रेस को इस राज्य में स्‍‌थापित करने में सीएम वीरभद्र सिंह का अहम योगदान रहा. साल 2015 में उन पर आय से अधिक संपत्ति बनाने के आरोप लगा और सीबीआई ने उन पर केस दर्ज किया. इस मामले में उनकी पत्नी, बेटे और बेटी को भी आरोपी बनाया गया। हिमाचल में वीरभद्र सिंह का मतलब सिर्फ नाम नहीं बल्कि पूरी कांग्रेस पार्टी के तौर पर थी।