Unique Taste Of Asafoetida- खाने के स्वाद को बढ़ाने के साथ औषधी भी है हींग

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unique taste of asafoetida-भारत दुनिया में हींग ( Asafoetida) का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाले देशों में है। खास बात यह है कि हींग के पौधे की खेती भारत में अभी तक नहीं हुई। आज भी अच्छी क्वालिटी वाला हींग अफगानिस्तान, ईरान और मध्य एशियाई देशों से आयात होता है। इसके बावजूद हींग का तड़का लगाकर कई चीजों को स्वादिष्ट और खुशबूदार बनाया जाता है। हींग डला आम का अचार हो या फिर हींग पानी वाला गोलगप्पा। इसी तरह सांभर हो या फिर कोई अन्य डिश, हींग डाले जाने के बाद उसका स्वाद ही निराला हो जाता है।

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हींग की भारत में एंट्री सिकंदर के दौर से मानी जाती है। कहा जाता है कि सिकंदर की सेना का एक सिपाही फ्लानक्स जब अफगानिस्तान से भारत आया तो अपने साथ हींग का यह फ्लेवर लेकर पहुंचा। रोमन इस मसाले के बारे में पहले से जानते थे लेकिन वे लोग इसे भूत भगाने के लिये इस्तेमाल करते थे। ईरानी वैज्ञानिक इसके औषधीय गुणों के बारे में जानते थे। हैरानी की बात है कि प्राचीन फारसियों ने इसे ‘देवताओं के भोजन’ की संज्ञा दी थी। लेकिन किसी ने भी इसे अपने खाने में या रसोई में इस्तेमाल नहीं किया। वहीं पाकिस्तान में उस दौर में इसे शैतान का गोबर या बदबूदार गम भी कहा गया।

हींग के औषधीय गुण

भारतीय लोग हींग के औषधीय गुणों को सदियों से पहचानते हैं। आयुर्वेदिक नुस्खे के मुताबिक हींग एक प्रभावी पाचक, वायुनाशक है जो पेट में अफारा यानी ब्लोटिंग की समस्या को कम करता है। इससे हिंगष्टक चूर्ण बनता है । जिसे सात अन्य सामग्रियों के साथ मिलाकर एक देसी ‘फ्रूट सॉल्ट पाउडर’ के तौर पर बनाया जाता है। असल या शुद्ध हींग पारदर्शी होता है। जो किसी रत्न की तरह साफ चमकदार होता है। यह बहुत तेज़ गंध छोड़ता है और इसे आमतौर पर एक बंद कंटेनर में रखा जाता है। वैसे किसी शेफ या मास्टर के हाथों में पहुंचकर हींग केसर से कम अरोमा नहीं रखता है।

हींग का इस्तेमाल

हींग से बना आम वाला सूखा आचार हम सबको भाता है। इसे पूरी या लच्छेदार परांठे के साथ खाया जाता है। कच्चे आम को छीलकर इसकी गुठली हटाई जाती है। इसे पतले टुकड़ों में काटकर तेल, नमक और लाल मिर्च पाउडर के साथ अचार बनाकर धूप में पकाया जाता है। गोलगप्पे और चाट पसंद करने वाले हींग का इस्तेमाल इसका पानी तैयार करने के लिये खूब करते हैं। राजस्थानी कचौरी की तो हींग के बिना कल्पना तक नहीं की जा सकती। इसी तरह जैन और मारवाड़ी जो लहसुन को तामसिक भोजन मानते हैं अपने खाने में फ्लेवर लाने के लिये हींग का प्रयोग करते हैं।

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गरिष्ठ भोजन भी हो जाता है सुपाच्य

HING ASAFOETIDA
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हींग का उपयोग उन दालों और सब्जियों के तड़के में किया जाता है जो पचने में मुश्किल होती हैं। बदलते मौसम के कारण अपच जैसी परेशानियों को कम करने के लिए भी हींग का इस्तेमाल किया जाना चाहिये। जैसे कि मसूर दाल इसका एक प्रमुख उदाहरण है। हींग और जीरे के तड़के के बाद कई दालें बेहतर हो जाती हैं। इसी तरह आलू डोम और हींग जारी आलू का स्वाद तो खास बन जाता है। कश्मीरी पंडित वज़वान में कुछ व्यंजन ऐसे हैं जिसमें नेचुरल फ्लेवर एड करने के लिये हींग इस्तेमाल होता है। इनमें से एक है हाक और कदम साग । इसमें सूखी लाल या ताजी हरी मिर्च इसे थोड़ा और लज़ीज़ बना देती है।

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Unique Taste Of Asafoetida-केवल शाकाहारी नहीं है हींग

asAfoETida
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हींग केवल शाकाहारी भोजन में डलने वाला मसाला नहीं है। लेकिन कश्मीरी पंडित इसे सौंफ और सौंठ के साथ अपने मसालों में खासतौर पर शामिल करते हैं। और यही तीन मसाले रोगनजोश को खासमखास बनाते हैं। दक्षिण भारत के खाने रसम, सांभर और अचार में हींग मुख्य तौर पर शामिल रहता है। ठीक इसी तरह गुजराती और मारवाड़ी खाने जो बेसन से बने होते हैं और पचने में कठिन माने जाते हैं इनमें हींग डाला जाता है। हालांकि, अब, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर और लाहौल-स्पीति में ईरान से लाये गये बीजों से हींग उगाने का प्रयास किया गया है। जिससे निकलने वाली पहली फसल का इंतज़ार हो रहा है।

By- Niroshaa Singh