Unique Bank Running In Maharashtra- कभी सुना है ऐसे बैंक का नाम जो कर्ज में बकरी देता है। महाराष्ट्र के अकोला जिले के सांघवी मोहाली गांव में पिछले दो साल से एक अनोखा बैंक चल रहा है, ‘गोट बैंक ऑफ कारखेड़ा’ (Goat Bank Of Karkheda) । ये बैंक कर्ज़ तो देता है मगर पैसे नहीं बल्कि एक गर्भवती बकरी और बदले में लेता है चार मेमने। महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों में ये बैंक अब तक पांच सौ ज्यादा बकरियां दे चुका है और बदले में एक हजार से ज्यादा मेमने किस्तों में ले चुका है। इस बैंक की शुरुआत नरेश देशमुख (52 वर्ष) ने साल 2018 में की थी।
Goat Bank Of Karkheda को चलाते हैं नरेश देशमुख

वाशिम जिले कारखेड़ा गाँव के रहने वाले नरेश देशमुख बताते हैं, ‘हमने देखा कि ग्रामीण क्षेत्र में अब खेती से गुजारा होना संभव नहीं है। गांवों में अतिरिक्त कमाई के लिए लोग गाय-भैंस या फिर बकरी पालते हैं। इन सब में जिसमें सबसे अच्छी कमाई होती है, वो बकरी पालन है। महिलाएं खेतों में काम करती हैं और साथ में एक बकरी भी पालती हैं। एक बकरी से सात-आठ महीने में दो या तीन बच्चे हो जाते हैं और अगर उन बच्चों को अच्छी तरह से पाला जाए तो वो भी 12 महीने में तैयार हो जाते हैं। इस तरह से हमने कैलकुलेट किया तो इसमें हमें फायदा दिखा।’
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2018 से चल रहा है Goat Bank Of Karkheda
साल 2018 में बैंक से लोन लेकर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नरेश देशमुख ने गोट बैंक की शुरूआत की। उन्होंने साल 2018 में बैंक से लोन लेकर 40 लाख रुपए की 340 बकरियां खरीदीं और प्रति बकरी 1,100 रुपए पर 340 परिवारों को दे दी। नरेश देशमुख ने बताया, “बैंक में 1,100 रुपए के एग्रीमेंट पर लोन के रूप में एक गाभिन बकरी दी जाती है, किस्त के तौर पर कर्ज़दार को 40 महीने में बकरी के चार मेमने बैंक को वापस करने होते हैं। इसके अलावा जितने बच्चे होते हैं वो बकरी पालक अपने पास रखता है। दो साल में हमारे पास लगभग एक हजार मेमने किस्त के रूप में हमारे पास वापस आए हैं।”
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महिलाओं को ही बकरी देने की प्राथमिकता

बीसवीं पशुगणना के अनुसार, देश में बकरियों की कुल संख्या 14.89 करोड़ है, इनमें से महाराष्ट्र में बकरियों की संख्या 1.06 करोड़ है। नरेश देशमुख की कोशिश रहती है कि बकरियां महिलाओं को ही दें। इसके बारे में वो बताते हैं, “हमने दो साल पहले जब पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे शुरू किया था तो 340 के करीब बकरियां बांटी थीं, उसके बाद हमने उसकी स्टडी की कि किसे बकरियां देना ज्यादा फ़ायदेमंद है। हमने पाया कि महिलाओं को बकरी देने पर ज्यादा फायदा होता है। हमारी कोशिश रहती है कि एक महिला को दस बकरी देने के बजाए कई लोगों को बकरी दें, जिससे सभी को फायदा हो।” साल 2020 में कोरोना और लॉकडाउन के चलते वो बकरियां नहीं दे पाए, लेकिन अब तक करीब 500 बकरियां कर्ज़ के तौर पर दे चुके हैं। आने वाले दिनों में 800 और बकरियां देने वाले हैं।
महाराष्ट्र के अलावा दूसरे राज्यों में फैलाना चाहते हैं कारोबार
अभी नरेश ने महाराष्ट्र के अकोला, सांगली, वाशिम, यवतमाल, अमरावती जिलों में बकरियां दी थीं। लेकिन उनकी कोशिश है कि महाराष्ट्र ही नहीं दूसरे राज्यों में भी बैंक की शाखाएं खुलें। वो कहते हैं, “अगर किसी ने एक लाख रुपए बैंक में जमा किए तो उतना फायदा नहीं होगा, लेकिन अगर आप उसी एक लाख में बकरी ख़रीद लें तो अच्छा फायदा हो जाएगा। इसके लिए हम लोगों को ट्रेनिंग भी देते हैं कि कैसे आप बैंक शुरू कर सकते हैं। इसके लिए तीन एकड़ ज़मीन की जरूरत होती है, जिसमें बकरियों का शेड बन जाता है और बकरियों के लिए चारा भी उगाया जा सकता है। इसके साथ ही वहां पर पीपल, सुबबूल जैसे पेड़ भी लगा सकते हैं, जिससे बकरियों के चारे के लिए पत्तियां भी मिल जाएं और गर्मियों में छाया भी मिलती रहे।”
गोट बैंक आफ कारखेड़ा ने महिला एवं बाल विकास विभाग की योजना महिला आर्थिक विकास महामंडल के साथ भी अनुबंध किया है, जल्द ही वो इससे जुड़ी महिलाओं को भी बकरियां देंगे।
साभार-गांव कनेक्शन