This is the meaning of Sharia law in Afghanistan-क्या महिलाओं को मिलेंगे अधिकार ?

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This is the meaning of Sharia law in Afghanistan—शरिया क्या है….? शरिया क़ानून क्या है और ‘तालिबान के शासन’ में अफ़ग़ान महिलाओं के लिए इसके क्या मायने हैं?

महिलाओं की ये हालत अब सुधरेगी?

इसे जानने के लिये सबसे पहले बात करते हैं उस तालिबानी शासन की जो 2000 से पहले अफगानिस्तान में दिखता था। मसलन महिलाओं की स्थिति बेहद खराब थी।

  • महिलाओं को काम करने या शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी.
  • आठ साल की उम्र से लड़कियों को बुर्क़ा पहनना पड़ता था.
  • महिलाओं को बाहर जाने की अनुमति तभी थी,
  • अगर बाहर जाना हो तो उनके साथ कोई पुरुष संबंधी होने चाहिये. मसलन भाई, बेटा,पिता या पति
  • नियमों की अवहेलना करने पर महिलाओं को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे जाते थे.

This is the meaning of Sharia law in Afghanistan-शरिया का अर्थ

शरिया क़ानून इस्लाम की क़ानूनी व्यवस्था है. इसे इस्लाम की सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक क़ुरआन और इस्लामी विद्वानों के फ़ैसलों यानी फ़तवों, इन दोनों को मिलाकर तैयार किया गया है. शरिया का शाब्दिक अर्थ- “पानी का एक स्पष्ट और व्यवस्थित रास्ता” होता है. शरिया क़ानून जीवन जीने का रास्ता बताता है. सभी मुसलमानों से इसका पालन करने की उम्मीद की जाती है. इसमें प्रार्थना, उपवास और ग़रीबों को दान करने का निर्देश दिया गया है.इसका उद्देश्य मुसलमानों को यह समझने में मदद करना है कि उन्हें अपने जीवन के हर पहलू को ख़ुदा की इच्छा के अनुसार कैसे जीना है.

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शरिया क्या है?

शरिया किसी मुसलमान के दैनिक जीवन के हर पहलू के बारे में व्यवस्था देता है.
पारिवारिक क़ानून, वित्त और व्यवसाय के मार्गदर्शन के लिए भी मुसलमान शरिया क़ानून का रुख़ कर सकता है.
शरिया क़ानून अपराधों को दो सामान्य श्रेणियों में विभाजित करता है.
पहला, ‘हद’, जो गंभीर अपराध हैं
दूसरा, ‘तज़ीर’ अपराध होता है.
इसकी सज़ा न्याय करने वाले के विवेक पर छोड़ दी गई है.

This is the meaning of Sharia law in Afghanistan-चोरी के लिये हाथ काटने की सज़ा

हद वाले अपराधों में चोरी शामिल है. इसके लिए अपराधी के हाथ काटकर दंड दिया जा सकता है. वहीं व्यभिचार यानी एडलटरी करने पर पत्थर मारकर मौत की सज़ा दी जा सकती है. कुछ इस्लामी संगठनों का तर्क है कि ‘हद’ अपराधों के लिए दंड मांगने पर इसके नियमों में सुरक्षा के कई उपाय तय हैं. इसके लिए दंड तय करने से पहले काफ़ी ठोस सबूत की ज़रूरत होती है.

क्या कहता है यूएन

संयुक्त राष्ट्र संघ ने पत्थर मारकर मौत की सज़ा देने का विरोध किया है.
उसका कहना है: “यह दंड यातना या अन्य क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक सज़ा तय करता है.
इसलिए यह साफ़ तौर पर प्रतिबंधित है.”
धर्मांतरण के लिए फांसी दी जा सकती है
धर्म को छोड़ना, मुसलमानों के बीच एक बहुत ही विवाद का मसला है. विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश इस्लामी विद्वानों की राय है कि इसके लिए सज़ा मौत है.

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This is the meaning of Sharia law in Afghanistan

क़ुरआन स्वयं घोषणा करता है कि धर्म में “कोई बाध्यता नहीं” होती.हालांकि सभी मुस्लिम देश हद अपराधों के लिए ऐसे दंड नहीं देते.सर्वेक्षणों की मानें तो ऐसे अपराधों के लिए कठोर दंड देने को लेकर मुसलमानों की राय बहुत बंटी हुई है.