आर के झा
सरकार की कुछ योजनाएं हैं जिन्होंने जीता जीता वोटर्स का दिल। बीजेपी ने 2019 के चुनाव में बंपर जीत हासिल की है। यह जीत ऐसे ही नहीं मिली है। माना जा रहा है कि बीजेपी के राष्ट्रवाद के मुद्दे ने उसे बंपर जीत दिलाई है। ये सही भी है। पाकिस्तान के बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक से उसने देश में राष्ट्रवाद की लहर पैदा की और लोगों ने बीजेपी को वोट देकर उस पर मुहर लगाई। बीजेपी के हिंदुत्व की काट में कांग्रेस ने भी सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते पर चलने की कोशिश की, लेकिन जनता ने बीजेपी के हिंदुत्व पर भरोसा जताया।
जनकल्याण कार्यक्रमों ने भी दिलाई जीत

लेकिन अकेले राष्ट्रवाद के रथ ने ही उसे सत्ता के सिंहासन की दहलीज तक नहीं पहुंचाया। जनकल्याण के कार्यक्रमों ने भी उसकी जीत में अहम भूमिका निभाई। कुल मिलाकर राष्ट्रवाद और जन कल्याण के कार्यक्रमों के कॉकटेल से पार्टी ने अपनी इतनी बड़ी फैन फॉलोइंग बना ली कि उसका किसी के पास कोई तोड़ नहीं था। हम यहां इस ऐतिहासिक जीत के पीछे उन योजनाओं की बात करेंगे जिनकी बदौलत उसने शहर से लेकर गांव और अमीर से लेकर गरीब तक, हिंदू से लेकर मुसलमान तक हर वर्ग में जगह बनाई. जिन योजनाओं की बदौलत जाति समीकरण और फॉर्मूले टूट गए।
लोगों को सीधे मिला योजनाओं का लाभ
उज्जवला स्कीम, स्वच्छ भारत योजना के तहत शौचालय बनवाने और पीएम आवास जैसी योजनाएं लंबे समय से चल ही रहीं थीं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने आम जनता को बीजेपी की ओर करने के लिए दो और दांव चले. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम और आयुष्मान भारत का दांव। दोनों योजनाओं ने सारा गेम पलट दिया। क्योंकि ये सीधे लाभ पहुंचाने वाली थीं। इन दोनों को इतनी तेजी से लागू किया गया कि चुनाव में इनका पूरा असर दिखने लगा था। गांवों में जो लोग छह माह पहले किसी और पार्टी की बात कर रहे थे वो बीजेपी की तारीफ करने लगे थे। प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के तहत पेंशन बनवाने के काम से भी गरीब लोगों का झुकाव बीजेपी की तरफ हुआ है।
पीएम किसान सम्मान निधि

लघु एवं सीमांत किसान परिवारों जिनके पास दो हेक्टेयर यानी करीब 5 एकड़ तक जमीन है उन्हें खेती-किसानी के लिए सालाना 6000 रुपये देने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम लागू की गई। आंकड़ों के अनुसार देश में इस श्रेणी के 12 करोड़ किसान परिवार हैं। 12 करोड़ किसान परिवारों का मतलब कम से कम 48 करोड़ लोग। वे लोग जो गांवों में रहते हैं और सबसे ज्यादा वोट करते हैं। तीन करोड़ किसान परिवारों को 2000-2000 हजार रुपये की दो किस्त चुनाव से पहले पहुंचा दी गई। इसने 2019 के लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाई। यह दांव पार्टी की सेहत के लिए बहुत अच्छा साबित हुआ। पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में घोषणा की थी कि दोबारा सत्ता में आने पर इसका लाभ सभी किसानों को दिया जाएगा।
आयुष्मान भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2018 में दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थकेयर स्कीम ‘आयुष्मान भारत’ की शुरुआत की थी। इसके तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों यानी लगभग 50 करोड़ लोगों को सालाना 5 लाख रुपये का कैशलेस हेल्थ बीमा मिलने की शुरुआत हो गई। इसे ‘मोदी केयर’ भी कहा जाता है। इस स्कीम का लाभ शहर से लेकर गांव तक हर जगह के गरीबों को मिलना शुरू हो गया है। जिन गरीबों को इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ता था उन्हें इससे बहुत फायदा मिला है। स्कीम से इतने बड़े वर्ग को साधना चुनाव में बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित हुआ।
उज्जवला योजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अधिकांश भाषणों में उज्जवला योजना का जिक्र किया। उन्होंने चुनावी सभाओं में कहा कि कैसे ग्रामीण इलाके में माताओं-बहनों को खाना पकाने के लिए लकड़ी और गोबर के उपले का इस्तेमाल करना पड़ता था। इससे निकलने वाले धुएं से माताएं बीमार होती थीं। हमने उनकी यह दिक्कत खत्म कर दी है। पीएम मोदी की इस ड्रीम योजना को 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया में लॉन्च किया गया था। इसके तहत सरकार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को घरेलू रसोई गैस कनेक्शन देती है। पांच करोड़ का शुरुआती लक्ष्य पूरा करने के बाद पीएम मोदी ने अब आठ करोड़ परिवारों तक इसका लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रख दिया है। आठ करोड़ परिवार कितने वोटों में कन्वर्ट हुए होंगे इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री आवास योजना

अपना घर हर किसी की ख्वाहिश होती है। इसे पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जून, 2015 को एक योजना शुरू की। इसका मकसद था 2022 तक सभी को घर उपलब्ध करवाना। पीएम मोदी अपने भाषणों में अक्सर जिक्र भी करते हैं। पहले इस योजना का लाभ गरीब वर्ग के लिए था। वहीं अब इस योजना में लोन की रकम बढ़ाकर शहरी गरीब और मध्यम वर्ग को भी दायरे में ला दिया गया है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों गरीबों को घर मिल सका है। योजना के तहत शहरी क्षेत्र में बिल्डर अफोर्डेबेल हाउस बना रहे हैं। जिसे लेने में खरीदार को 2.67 हजार की सब्सिडी भी मिल रही है। फिलहाल, चुनाव में इसका सबसे ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिला है, जहां गरीबों को मुफ्त में आवास मिला है।
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दलितों और मुसलमानों को भी मिला लाभ
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गांवों के बेघरों को 1.20 लाख, शौचालय के लिए 12 हजार और घर बनवाने के लिए 15 हजार रुपये मजदूरी का पैसा मिला है. इसी तरह शहरी गरीबों को 2.5 लाख, शौचालय के लिए 20 हजार और मजदूरी का पैसा मिला है. यह गेमचेंजर स्कीम रही है. इसके तहत जिन दलितों और मुसलमानों के घर बने हैं उन्होंने मोदी को ही वोट दिया है। इसकी वजह से चुनाव में जातीय और धार्मिक बंधन भी टूटे हैं।