डॉ.ब्रह्मदीप अलूने
चीन की खूनी लैब का सच। डॉक्टर ली वेनलियांग ( Li Wenliang)। जी हां ! यही वो शख्स हैं जिन्होंने कोरोना के घातक वायरस को सबसे पहले पहचान कर चीन की सरकार को इसके खतरों से आगाह किया था। साल 2019 खत्म होने की ओर था की दिसम्बर के आखरी दिनों में वुहान सेट्रल अस्पताल के नेत्र-विशेषज्ञ वेनलियान्ग दिसम्बर 2019 में अचानक एक रहस्यमय वायरस से संक्रमित हो गए थे। उन्होंने अपने साथी डॉक्टरों को चेताया था कि उन्होंने कुछ मरीज़ों में सार्स जैसे वायरस के लक्षण देखे हैं। इसके बाद स्थानीय पुलिस ने उनसे मुँह बंद रखने को कहते हुए कड़ी चेतावनी दी थी कि वे लोगों को भ्रमित ना करे।
खूनी लैब का सच

डॉक्टर ली वेनलियांग ने साहस दिखाते हुए अस्पताल से अपनी कहानी एक वीडियो के ज़रिए पोस्ट कर दी थी। इसके बाद वे चीन की पुलिस के निशाने पर आ गए,उन पर सामाजिक व्यवस्था खराब करने का आरोप लगाकर जांच बैठा दी गई। उन्हें गायब कर दिया गया और सात फरवरी 2020 को डॉक्टर ली की रहस्यमय हालात में मृत्यु हो गई। ली वेनलियांग का नाम एक व्हीसलब्लोअर डॉक्टर के तौर पर चीन में जाना जाता है और उन्हें लोग अब भी याद करते है। उनकी मृत्यु के बाद लाखों यूज़र्स ने चीन के सोशल प्लेटफार्म साइना वीबो पर उनके समर्थन में लिखा।
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कम्युनिस्ट सरकार की करतूत
हालांकि कम्युनिस्ट सरकार ने जानबूझकर इन पोस्ट्स को हटवा दिया। अब कोरोना वायरस की भयावहता से यह साफ हो गया कि डॉक्टर ली की चिंता सही थी लेकिन चीन ने जानबूझकर इस बीमारी को छुपाने का प्रयास किया था। यदि शुरूआती दौर में ही एहतियातन कदम उठाए लिए गये होते तो दुनिया में कोरोना से लाखों लोग नहीं मारे जाते। उस समय चीन के एक पत्रकार चेन कुशी वुहान से कोरोना पर रिपोर्टिंग कर रहे थे लेकिन वे भी एक दिन अचानक गायब कर दिए गए। एक ओर पत्रकार ली झेहुआ ने फरवरी 2020 में यूट्यूब पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने बताया था कि पुलिस उनकी कार का पीछा कर रही है। इसके बाद वह लापता हो गए।
खूनी लैब का सच-दबा दी गई सच्चाई
दो महीने तक किसी को उनके बारे में पता नहीं था लेकिन उसके बाद उनकी एक वीडियो आई जिसमें उन्होंने बताया कि वे क्वारंटीन में हैं और अथॉरिटी के साथ सहयोग कर रहे हैं। उसके बाद से उन्होंने कोई वीडियो पोस्ट नहीं की। इस प्रकार उनकी आवाज को चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने हमेशा के लिए दबा दिया।
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वुहान का वायरस कनेक्शन
कोविड-19 का सबसे पहला केस दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में दर्ज किया गया था। चीनी प्रशासन ने इसका संबंध वुहान की एक सीफ़ूड मार्केट से बताया था। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वायरस जानवरों से इंसानों में पहुँचा है। लेकिन अब वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने अमेरिकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि इससे पहले ही नवंबर 2019 में वुहान लैब के तीन सदस्यों को कोविड जैसे लक्षणों वाली बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था।

कोरोना वायरस फैलने के बाद चीन के वुहान का यह मार्केट बंद कर दिया गया था,यहां एक वन्य जीव सेक्शन था,जहां अलग-अलग जानवर ज़िंदा और उनके कटे मांस बेचे जाते थे। यहां ऊंट,कोआला,भेड़िये का बच्चा,झींगुर,बिच्छू, चूहा,गिलहरी,लोमड़ी,सीविट,जंगली चूहे,सैलमैन्डर,कछुए और घड़ियाल के अलावा पक्षियों का मांस भी मिलता था।
खूनी लैब का सच-वायरस से मौत की भयावहता को चीन ने छुपाया
वूहान चीन के हुबेई प्रान्त की राजधानी है और यह मध्य चीन में सबसे अधिक जनसंख्या वाला नगर है। इसकी पहचान मध्य चीन के राजनीतिक,आर्थिक, सांस्कृतिक,शैक्षणिक और परिवहन केन्द्र के रूप में है। हुबेई में कोरोना से शुरूआती दौर में ही हजारों लोग मारे गए थे। चीन की सरकार ने मरने वालों के सही आंकड़े छुपाकर 23 जनवरी 2020 को ही हुबेई को अलग-थलग कर दिया था। चीन ने इस वायरस को देश के दूसरे हिस्सों में फैलने से रोकने के लिए ऐसा किया था।
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डेटा कंपनी ब्लूमबर्ग ने आंकड़ों पर जताया था शक
प्रसिद्द मीडिया और डेटा कंपनी ब्लूमबर्ग ने कोरोना वायरस से प्रभावित और मरने वाले लोगों पर चीन के अधिकारिक आंकड़ों को लेकर संदेह जताया है। चीन में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हुबेई प्रांत में संक्रमण के नए केसों में नाटकीय गिरावट बताई गई। इससे यह संदेह गहरा गया था कि चीन ऐसे मामलों को छुपा कर दुनिया को यह सन्देश देने की कोशिश की कि कोरोना से बढ़ती हुई समस्या अब नियंत्रण में है। ब्लूमबर्ग ने हुबेई की तरफ से कोरोना वाइरस को लेकर जारी किए गए डेटा पर स्पष्टीकरण मांगा था लेकिन चीन के नैशनल हेल्थ कमिशन और हुबेई के प्रांतीय स्वास्थ्य आयोग ने सवालों के जवाब नहीं दिए।
वुहान की लैब में क्या होता है..

चीन के वुहान में एक बड़ा जैविक अनुसंधान केंद्र है। वुहान में ही पहली बार इस वायरस का पता चला था। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी नाम की इस संस्था में चमगादड़ में कोरोना वायरस की मौजूदगी पर दशकों से गुपचुप शोध चल रहा है। वुहान की यह प्रयोगशाला पशु बाज़ार से बस चंद किलोमीटर दूर है। इसी वेट मार्केट में पहली बार संक्रमण का पहला कलस्टर सामने आया था। दुनिया के कई विशेषज्ञ यह दावा के साथ कह रहे है कि कोरोना वायरस इस लैब से लीक होकर वेट मार्केट में फैल गया होगा। इनका मानना है कि यह चमगादड़ से हासिल किया गया असली वायरस होगा,इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया होगा।
खूनी लैब का सच-जैविक हथियार का संदेह क्यों ..?
आधुनिक दौर में सैन्य क्षमता को मजबूत करने के लिए कुछ राष्ट्र रासायनिक और जैविक हथियारों का जखीरा जमा कर वैश्विक अशांति को बढ़ाने में अग्रणी है और इसमें सबसे अव्वल साम्यवादी चीन नजर आता है। जिस इलाके से यह वायरस फैला है वहां स्थित वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी चीन के जैविक हथियार का केंद्र माना जाता है और इसकी पुष्टि भी हो गई है। इस्राइल के एक जैविक हथियार विश्लेषक डैनी सोहम वुहान में जैविक हथियार तैयार करने की गोपनीय परियोजना की जानकारी दी है और इसे चीन का जैविक हथियार तैयार करने का बड़ा केंद्र बताया है।
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क्या चीन का जैविक हथियार है कोरोना ?
कोरोना वायरस को एक जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए ही कोरोना वायरस में परिवर्तन किए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इस वायरस से निपटने में चीन ने जिस तेजी से सफलता पाई है,वह आश्चर्यजनक है। इस बात की भरपूर संभावना है कि कोरोना से निपटने की तैयारी भी यहां कर ली गई थी। चीन ने कोरोना के प्रयोग और परीक्षण के तौर पर हुबेई प्रान्त के हजारों लोगों की जान ले ली थी।
जैविक हथियारों से है चीन का पुराना नाता

जैविक हथियार से चीन का सम्बन्ध बहुत पुराना है। एंथ्रेक्स की दहशत लगभग 90 साल पहले चीन ने देखी थी और भोगी थी जब 1930 में जापान ने चीन और मंचूरियन में प्लेग के जरिए निशाना बनाया था। वास्तव में जैविक हथियारों के तौर पर एंथ्रेक्स,कालरा,प्लेग,टाईफ़ायड से दहशत फ़ैलाने की संभावना रहती है और सूक्ष्म कणों के माध्यम में इसे खाद्य पदार्थों में मिलाकर इसे महामारी का रूप दिया जा सकता है। कोरोना को लेकर भी यह दावा किया जा रहा है कि यह खाद्य पदार्थों से ही महामारी का रूप धारण कर रही है। चीन के आक्रामक इरादों को दुनिया जानती है और जैविक हथियारों का जखीरा बढ़ाने के संदेह को आसानी से ख़ारिज भी नहीं किया जा सकता।
खूनी लैब का सच-विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी है संदेह
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से नियुक्त वैज्ञानिकों की एक टीम इस साल की शुरुआत में इसकी जाँच के लिए वुहान पहुँची थी कि कोरोना वायरस यहीं से फैला या नहीं। इनके साथ चीनी रिसर्चर भी थे। इस टीम की रिपोर्ट इसी साल मार्च महीने में आई थी जिसमें कहा गया था कि शायद कोरोना वायरस चमगादड़ों और दूसरे जानवरों के ज़रिए इंसानों में आया।
लैब लीक थ्योरी पर चीन क्यों है चुप?
टीम ने वहाँ 12 दिन बिताए और वुहान की प्रयोगशाला का दौरा भी किया। वैज्ञानिकों ने लैब लीक थ्योरी की संभावनाओं पर भी विचार किया। डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर-जनरल डॉक्टर टेड्रोस एडहॉनम गिब्रयेसुस ने कहा कि सभी अवधारणाएं खुली हुई हैं और इनका अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने साफ किया कि ये रिपोर्ट एक बहुत अच्छी शुरुआत है लेकिन ये अंत नहीं है। हमें अभी वायरस के स्रोत की जानकारी नहीं मिली है।
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खूनी लैब का सच-चीन कर रहा है गुमराह

वैश्विक आलोचना से बचने के लिए चीन यह दावा कर रहा है कि कोरोना वायरस चीन में किसी दूसरे देश से भोजन लेकर आने वाले जहाज़ों से फैला होगा। चीन ने मशहूर वॉयरोलॉजिस्ट प्रोफ़ेसर शी ज़ेंग्ली के उस रिसर्च का हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि उनकी टीम ने 2015 में चीन की एक खदान में मौजूद चमगादड़ों में कोरोना वायरस की आठ प्रजातियों की पहचान की थी। इस रिसर्च पेपर के मुताबिक़,उनकी टीम ने खदान में जो कोरोना वायरस पाए थे उनकी तुलना में पैंगोलिन में पाए गए कोरोना वायरस इंसान के लिए फ़िलहाल ज़्यादा ख़तरनाक हैं। इसे ‘नैचुरल ऑरिजिन’ थ्योरी कहा जा रहा है। इसके अनुसार यह वायरस प्राकृतिक तौर पर जानवरों से फैलता है,इसमें किसी वैज्ञानिक या प्रयोगशाला का हाथ नहीं होता।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की क्या है योजना
जो बाइडन ने इंटेलिजेंस एजेंसियों को हाल ही में आदेश दिया है कि कोरोना वायरस कहां से फैला,यह 90 दिनों के अंदर पता लगाएं। पिछले सप्ताह अमेरिकी मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक़,कुछ ऐसे सबूत हैं जो इस ओर इशारा करते हैं कि यह वायरस चीन की एक प्रयोगशाला से लीक हुआ है। बाइडन के चीफ़ मेडिकल एडवाइज़ डॉक्टर एंथनी फ़ाउची कहते रहे है कि उनके विचार से यह बीमारी जानवरों से इंसानों में फैली,मगर उन्होंने भी कह दिया कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। पिछले साल पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि कोरोना वायरस वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरलॉजी से निकला है। उस समय कई अमेरिकी मीडिया संस्थानों ने इस दावे को निराधार या झूठ बताया था।
खूनी लैब का सच-अब चीन पर डाला जायेगा दबाव
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि चीन पर पूरी तरह पारदर्शी और साक्ष्य आधारित अंतरराष्ट्रीय जाँच में शामिल होने और सभी सबूतों को उपलब्ध करवाने के लिए दबाव डाला जायेगा। ऑस्ट्रेलिया पहले ही जांच की मांग कर चूका है और संभव है ओर भी कई देश इस रहस्यमय बीमारी के असली गुनाहगार का पता लगाने के लिए अमेरिका के साथ आयेंगे।
कोरोना से हाहाकार
विभिन्न सरकारी एजेंसियों के दावों की बात की जाये तो कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी के कारण दुनिया भर में अब तक कम से कम 35 से 36 लाख लोगों की जान जा चुकी है और संक्रमण के करीब 17 करोड़ मामले दर्ज किए जा चुके हैं। वहीं स्वतंत्र संस्थाओं का कहना है कि चीन समेत पूरी दुनिया में कोरोना से मरने वालों के सही आंकड़े सरकारों द्वारा छुपाएं गए है और यदि इसकी ठीक पड़ताल की जाएं तो मरने वालों की संख्या डेढ़ करोड़ तक हो सकती है।