The game on Dalal Street- कारोबार की दुनिया के लोगों के लिए हर्षद मेहता कोई नया नाम नहीं है. देश को शेयर बाजार से रूबरू कराने वाले इस शख्स की कामयाबी का सफर बहुत छोटा रहा लेकिन इसने आम लोगों को सिखा दिया कि शेयर का कारोबार कैसे किया जाता है. हर्षद मेहता (Harshad Mehta) घोटाला नहीं, महाघोटाला था। आरबीआई (RBI) के अनुमान के मुताबिक, यह घोटाला करीब 4025 करोड़ रुपये का था। हर्षद खुद मुंबई में रहते थे। लेकिन जब घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो इसकी जद में दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री आवास भी आ गया। हर्षद मेहता ने खुद दावा किया था उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को 1 करोड़ रुपये रिश्वत दी थी। गुजरात के एक आम परिवार में जन्म लेने वाला हर्षद शांतिलाल मेहता कैसे दलाल स्ट्रीट का ‘बिग बुल’ बन गया, इसकी कहानी दिलचस्प भी है और रोमांचक भी।
बनानी पड़ी थी SEBI
नब्बे का दशक ग्लोबलाइजेशन के लिए जाना जाता है। हिंदुस्तान बदल रहा था (The game on Dalal Street) । डॉ. मनमोहन सिंह (Dr Manmohan Singh) वित्त मंत्री थे और पीवी नरसिम्हा राव (PV Narsimha Rao) प्रधानमंत्री। नई आर्थिक नीति लागू की गई। हिंदुस्तान के दरवाजे दुनिया के लिए खोल दिए गए। प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा दिया गया। लेकिन इसी बीच 1992 में हर्षद मेहता के महाघोटाले का पर्दाफाश हुआ। एक ऐसा अपराध, जिसके बाद देश में इसके लिए अलग से कानून और यहां तक ‘सेबी’ (SEBI) के नाम से नियामक संस्था तक बनानी पड़ गई, जो स्टॉक मार्केट (Stock Market) के कारोबार पर नजर रख सके।
The game on Dalal Street-एक बीमा कंपनी में नौकरी कर रहे थे हर्षद मेहता

गुजरात के राजकोट में 29 जुलाई 1954 को जन्मे हर्षद मेहता ने तब बीकॉम की पढ़ाई पूरी की थी। वह मुंबई में एक बीमा कंपनी में नौकरी कर रहे थे। लेकिन इसके कुछ बाद ही उन्होंने बीमा कंपनी छोड़ स्टॉक मार्केट के लिए काम करने का निर्णय किया। हर्षद ने एक ब्रोकरेज फर्म में नौकरी शुरू। प्रसन्न परिजीवनदास से हर्षद मेहता ने स्टॉक मार्केट की एबीसीडी सीखी। 1984 में उसने खुद की कंपनी शुरू की और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) की मेंबरशिप ली। 90 के दशक में एंट्री लेते-लेते हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट का किंग बन गया। लेकिन सवाल ये है कि यह सब हुआ कैसे?
90 के दशक में हर शख्स हर्षद मेहता बनना चाहता था
दलाल स्ट्रीट पर 80-90 के दशक में चलने वाला हर शख्स हर्षद मेहता बनना चाहता था। वजह थी उसकी बेतहाशा तरक्की। लग्जरी गाड़ियों का काफिला और मिलने वालों का तांता। हर्षद मेहता की यही पहचान थी। हर्षद मेहता के काम करने का तरीका क्या था, इसमें हर किसी की दिलचस्पी थी। ऐसा इसलिए कि वह जिस शेयर को भी छूते उसकी कीमतें आसमान छूने लगतीं। इसे बस इस बात से समझ लीजिए कि जिस ACC कंपनी के जिस शेयर को हर्षद मेहता ने 200 रुपये में खरीदा था, वह कुछ ही दिनों में 9000 रुपये तक पहुंच गया।
The game on Dalal Street-‘1992 द स्कैम’ और ‘द बिग बुल’ नाम की फिल्में बनी
यह सब हर किसी के लिए सपनों जैसा था, जबकि इसके पीछे की कहानी के तार बैंक फ्रॉड से लेकर सियासी खेमे तक से जुड़े हुए थे। हर्षद मेहता के घोटाले का खुलासा ‘The Times of India’ की पत्रकार सुचेता दलाल ने किया था। सुचेता ने इसके बाद देबाशीष बासु संग ‘द स्कैम’ नाम की किताब भी लिखी, जिस पर हंसल मेहता की टीवी सीरीज ‘1992 द स्कैम’ और ‘द बिग बुल’ है।
15 दिनों का ऐसा कर्ज, जो कागजों पर नहीं था

हर्षद मेहता के इस घोटाले का सबसे बड़ा फॉर्मूला था बैंक से 15 दिनों का ऐसा कर्ज, जो कागजों पर संभव ही नहीं था। कोई भी बैंक 15 दिनों के लिए कर्ज नहीं देती। लेकिन हर्षद मेहता के केस में यह बात सामान्य थी। यानी स्टॉक खरीदने और बेचने के लिए हर्षद मेहता को कभी पैसे की कमी हुई ही नहीं। असल में हर्षद मेहता बैंकिंग सिस्टम के उस झोल को जानते थे, जहां उन्होंने तगड़ी सेटिंग कर अपनी पैठ बना ली।
The game on Dalal Street-सरकारी बॉन्ड गिरवी रख कर पैसे लेते थे
बैंकों को जब भी कैश की जरूरत होती है तब वह अपना सरकारी बॉन्ड दूसरे बैंक के पास गिरवी रख कर पैसे लेते हैं। जबकि असलियत में बॉन्ड का लेनदेन नहीं होता। एक रसीद के बूते ही काम चल जाता है और यह सब बिचौलियों के जरिए होता है। हर्षद मेहता ने इसी नब्ज को अपना हथियार बनाया था। हर्षद मेहता बैंक से 15 दिन का कर्ज लेते थे और फिर पैसा लौटा देते थे। इसे ऐसे समझिए कि उन्होंने 15 दिनों का अवैध कर्ज लेकर स्टॉक खरीदे और फिर करोड़ों का मुनाफा कमाकर 15 दिन बाद वह पैसा बैंक को लौटा दिया।
शेयर बाजार धड़ाम हुआ, कर्ज लौटा नहीं पाए
हर्षद मेहता के करोड़ों के मुनाफे के बिजनेस को उस वक्त पहला झटका लगा, जब शेयर बाजार धड़ाम हुआ। वह बैंक को कर्ज लौटा नहीं पाए और तब इस कांड का भंडाफोड़ हुआ। देबाशीष बासु ने अपने एक लेख में लिखा था, ‘इस घोटाले की समस्या हर्षद मेहता नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था थी।’ सुचेता दलाल की रिपोर्ट ने हर्षद मेहता को सीधे जमीन पर लाकर पटक दिया। बात इतनी बढ़ गई कि संसद में हंगामा हो गया।मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति बनाई गई। सीबीआई ने हर्षद मेहता और उनके दोनों भाइयों अश्विन और सुधीर को गिरफ्तार कर लिया। उन पर 72 आपराधिक मामले और 600 से ज्यादा दीवानी मामले दर्ज हुए। हर्षद मेहता ने इस बीच एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐसे दावे किए, जिसने हिंदुस्तान की नींव हिला दी। हर्षद मेहता ने कहा कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को 1 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी।
The game on Dalal Street-पत्रकार सुचेता दलाल ने किया था खुलासा
रकार ने आरापों को खारिज कर दिया। पैसे वाकई दिए गए थे या नहीं, इसकी पुष्टि कभी नहीं हुई। लेकिन कांग्रेस सरकार की खूब मिट्टी पलीत हुई। हर्षद मेहता जेल चले गए। लेकिन जब जमानत मिली तो दोबारा से अपना वही धंधा शुरू कर दिया। उन्हें एक के बाद एक कई मामलों में जमानत मिलने लगी। लेकिन फिर 2001 में हर्षद मेहता दोबारा गिरफ्तार हुए। किस्मत ने इस बार उनका साथ नहीं दिया और 31 दिसंबर 2001 को जेल में ही दिल का दौरा पड़ने से हर्षद मेहता की मौत हो गई। साल 2006 में हर्षद मेहता केस का भंडफोड़ करने वाली पत्रकार सुचेता दलाल को सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया।