The Empire’ Glorifying The Mughals- डिज्नी हॉटस्टार पर आज से द एंपायर (‘The Empire‘) स्ट्रीम हो रही है। करीब छह सीजन चलने वाली इस कहानी का पहला सीजन आज रिलीज हुआ. इसमें उत्तर दिशा/मध्य एशिया से भारत आने वाले पहले मुगल बादशाह बाबर की जिंदगी की दास्तान है. यह सीरीज ऐसे वक्त में रिलीज़ हुई है जब देश में मुगलों को भारत निर्माता कहने पर बहस छिड़ी है। वैसे भारत में मुग़ल साम्राज्य को लेकर अक्सर बहस छिड़ी रहती है। पिछले कुछ अर्से से सोशल मीडिया में इस मुद्दे को लेकर विचारधाराओं के टकराव को देखा जा रहा है।
मुगल बादशाह बाबर और इतिहास
वर्तमान उज्बेकिस्तान 14वीं-15वीं सदी में तुर्क-मंगोलों के अधीन था और वहां स्थित समरकंद और फरगना राज्यों से बाबर की कहानी शुरू होती है. किशोरवय बाबर का पिता उसे बताता है कि यहां से बहुत दूर हिंदुस्तान है, जो दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों में है. पिता बाबर को वहां जाने और बसने का ख्वाब दिखाता है क्योंकि तुर्क-मंगोलों-अफगानों की धरती पर जीवन की कभी खत्म न होने वाली मुश्किलें हैं और आततायी दुश्मनों से कड़ा संघर्ष है. जबकि हिंदुस्तान इस धरती की जन्नत है. सारी कहानी भारत में मुग़ल साम्राज्य की नींव डालने वाले जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर के जीवन और जंगों पर आधारित है। लिहाज़ा सुबह से ट्विटर पर लोग हॉटस्टार एप्प का बहिष्कार कर रहे हैं।
एंपायर ऑफ द मुगल’ की पहली कड़ी ‘राइडर्स फ्रॉम द नॉर्थ’ पर आधारित
द एंपायर एलेक्स रदरफोर्ड के छह ऐतिहासिक उपन्यासों की सीरीज ‘एंपायर ऑफ द मुगल’ की पहली कड़ी ‘राइडर्स फ्रॉम द नॉर्थ’ (‘Riders from the North’ first episode of ‘Empire of the Mughal’) पर आधारित है. इसकी शुरुआत पानीपत की पहली लड़ाई अप्रैल 1526 से होती है, जहां मैदान में करीब-करीब हथियार डाल चुका जहीरुद्दीन-मोहम्मद-बाबर अपनी जिंदगी के सफर को याद कर रहा है. कहां से चला था और कहां पहुंचा है. कहानी फ्लैशबैक में समरकंद और फरगना पहुंचती है. जहां पिता की मृत्यु के बाद 14 बरस के बाबर को नानी (शबाना आजमी) फरगना के तख्त पर बैठा देती है परंतु फरगना के दुश्मन शैबानी खान (डिनो मोरिया) की नजरें यहां गड़ी है. वह फरगना और समरकंद, दोनों पर कब्जा चाहता है.
बाबर अमन पसंद?
बाबर अमन पसंद है. उसे परिवार तथा अवाम की चिंता है. वह खून-खराबा नहीं चाहता. उसे पिता का दिखाया ख्वाब भी याद है. बाबर शैबानी खान के सामने प्रस्ताव रखता है कि अगर उसे परिवार और शुभचिंतकों समेत किले से निकल जाने दे, वह हमेशा के लिए चला जाएगा. शैबानी मान जाता है मगर इस शर्त पर कि बाबर अपनी खूबसूरत बहन खानजादा (दृष्टि धामी) वहीं उसके पास छोड़ जाए.
‘The Empire’ Glorifying The Mughals-बाबर क्या नर्मदिल था ?

वेब सीरीज में बाबर की कहानी उसकी जिंदगी में आए उतार-चढ़ावों और संघर्षों को दिखाती है. सीरीज में बार-बार बाबर के साथ उसकी किस्मत का भी जिक्र होता है. खुद बाबर असमंजस में है कि क्या वह वाकई बादशाह होने के योग्य है क्योंकि वह पेशे से योद्धा होने के बावजूद क्रूर, सनकी, अत्याचारी और दूसरों के खून का प्यासा नहीं है. वह बार-बार नर्मदिल, विचारवान और दार्शनिक व्यक्ति की तरह सामने आता है. अंतिम समय में भी उसके भीतर जंग चलती रहती है कि अपनी विरासत हुमायूं और कामरान में से किसे सौंपे.
सीरीज़ की कहानी
द एंपायर देखने योग्य सीरीज है. प्रत्येक कड़ी औसतन 40 मिनिट या उससे अधिक है. आठ कड़ियों की सीरीज को भव्यता से बनाया गया है और ओटीटी की दुनिया में इसकी जगह जरूर बनेगी. इतिहास को यहां गहराई में भले नहीं परंतु आंशिक रूप से समझा जा सकता है.
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‘The Empire’ Glorifying The Mughals
इतना जरूर है कि शुरुआती कड़ियों से तालमेल बैठाने में थोड़ा वक्त लगता है क्योंकि कई किरदार तथा शहर जाने-पहचाने नहीं हैं. इतिहास में उनकी क्या जगह है, यह मालूम न होने पर उनसे देर तक दूरी बनी रहती है. द एंपायर की पटकथा अच्छी है लेकिन संवादों के साथ कहीं-कहीं मुश्किल है. लेकिन सबसे ज्यादा समस्या इस बात की है कि वक्त कैसे गुजरा, वह ठीक ढंग से स्पष्ट नहीं होता. 1526 में शुरू हुई कहानी 30 साल पीछे पहुंचती है. पीछे के इन 30 बरसों का विस्तार खटकता है. खास तौर पर उन किरदारों को देख कर जिनका मेक-अप, गेट-अप कई-कई वर्षों में नहीं बदलता. चेहरों और जवानी की चमक ज्यों की त्यों बनी रहती है.
सितारों ने कैसी एक्टिंग की है
सीरीज मुख्य रूप से कुणाल कपूर, दृष्टि धामी, डिनो मोरिया और शबाना आजमी के कंधों पर टिकी है. कुणाल ने बाबर के रूप में अच्छा काम किया है और कई जगहों पर उनके भावुक दृश्य बढ़िया हैं. दृष्टि धामी सुंदर दिखी हैं और उन्होंने बाबर की बहन खानजादा का किरदार जीवंत किया है. उनकी भूमिका यहां बहुत अहम है.
‘The Empire’ Glorifying The Mughals
शबाना आजमी बाबर की सख्त दिल नानी के रूप में असर छोड़ती हैं. मगर इन सबके बीच जो ऐक्टर सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित करता है, वह डिनो मोरिया हैं. बचपन में जुल्मो-सितम सहते हुए पत्थर दिल-क्रूर बन गए शैबानी खान बने डिनो ने अपने रोल में जान फूंक दी है. दृष्टि धामी के साथ भावुक दृश्यों को भी खूबसूरती से निभाया है. अंततः वह याद रहते हैं.
courtesy-abp review