Taliban infiltration into Indian Embassies – दस्तावेज़ चुराये, कई भारतीय अभी भी काबुल में फंसे

afghanistan captured by taliban
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Taliban infiltration into Indian Embassies- काबुल में कई भारतीय फंसे हैं। इस बीच इंडियन एंबेसी ( Indian Embassies) में घुसकर तालिबान दस्तावेज़ चुरा ले गए हैं। अफगानिस्तान के कंधार और हेरात में स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावासों में तालिबान द्वारा ताले तोड़ कर घुसने और वहां तलाशी लिये जाने की खबरें न्यूज़ एजेंसियों ने दी है। एजेंसियों के हवाले से सुरक्षा सूत्रों के अनुसार बंद कर दिये गये इन दूतावासों में से 2 दिन पूर्व तालिबान कुछ दस्तावेज भी उठाकर ले गये। इतना ही नहीं, इन्होंने अंदर खड़े वाहनों को भी कब्ज़ा लिया।

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ये हैं भारत के 4 वाणिज्य दूतावास

भारत के 4 वाणिज्य दूतावास- कंधार, हेरात, मजार-ए- शरीफ और जलालाबाद में हैं। विगत 15 अगस्त को अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के घटनाक्रम के साथ ही इन्हें भारत ने बंद कर दिया था। वहां से विशेष विमान द्वारा भारत अपने दूतावास कर्मियों के अलावा सुरक्षाकर्मियों को वापस ले आया था।

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Taliban infiltration into Indian Embassy-31 का इंतजार कर रहा तालिबान

तालिबानी
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इस दौरान तालिबान के साथ वार्ता से अवगत एक अफगान अधिकारी ने कहा कि आगामी सरकार में बारे में कोई भी निर्णय करने या घोषणा करने के बारे में समूह (तालिबान) की 31 अगस्त तक कोई योजना नहीं है। यह तारीख अमेरिका के सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूर्ण होने की है। मीडिया को जानकारी देने के लिए अनधिकृत इस अफसर ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि तालिबान के मुख्य वार्ताकार अनस हक्कानी ने अपनी पूर्व सरकार के वार्ताकारों से कहा है कि समूह का अमेरिका के साथ समझौता है कि अंतिम वापसी प्रक्रिया की तारीख तक ‘कुछ नहीं करना है।’

Taliban infiltration into Indian Embassy

biwi

उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या कुछ नहीं करने का संदर्भ केवल राजनीतिक क्षेत्र के लिए है। तालिबान ने अभी तक यह नहीं बताया है कि अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा बलों को बदलने की उनकी योजना है अथवा नहीं।

रिपब्लिकन ने तालिबान के हाथ हथियार लगने का मसला उठाया

रिपब्लिकन पार्टी के 24 से अधिक सीनेटरों ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के हथिया व उपकरण तालिबान के हाथ लगने को लेकर जो बाइडेन प्रशासन से बृहस्पतिवार को जवाब मांगा है। रिपब्लिकन सांसदों ने रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन को लिखे पत्र में कहा, ‘जैसा कि हमने अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर कब्जा जमाने पर वहां से आ रही तस्वीरें देखी तो हम यह देखकर बेहद डर गए कि यूएच-60 ब्लैक हॉक्स समेत अमेरिका के कई उपकरण तालिबान के हाथ लग गए हैं।’ पत्र में सीनेटर बिल क्लासिडी, मार्को रुबियो और 23 रिपब्लिकन सांसदों ने बाइडेन प्रशासन से करदाताओं के पैसे से खरीदे जाने वाले अमेरिकी सैन्य उपकरणों का हिसाब मांगा जो तालिबान के हाथ लगे हो सकते हैं।