बच्चों में मूड स्विंग्स होते हैं, सुनने में थोड़ा सा अजीब लग सकता है लेकिन यह बात सच है। हम अक्सर देखते हैं कि कुछ बच्चे पल में तोला, पल में माशा, कभी हंसना तो कभी चीखना, चिल्लाना और रोना जैसी चीज़ें करते हैं। आपके बच्चे जब इस तरह के मूड स्विंग से गुज़र रहे हों, तो आपको उनका ख़्याल बहुत बारीकी से रखने की ज़रूरत होती है।बस यह समझने की ज़रूरत सबसे ज्यादा है कि बच्चे को केवल आपका प्यार और विश्वास चाहिये।
बच्चे बहुत छोटे हैं तो उनके खान-पान का ख़्याल रखें। अगर बहुत व्यस्त हैं तो किसी ऐसे शख्स को उनके खान-पान का ज़िम्मा दें जो हरवक्त उनके पास रहता है, जैससे दादी या नानी। अपने बच्चों को दो से तीन घंटे से ज़्यादा भूखा न रहने दें। थोड़े-थोड़े समय पर उन्हें खाने को देते रहें।
बच्चों में मूृड स्विंग्स के कारण भी जानें
बच्चों में मूड स्विंग्स का कारण यह भी है कि बढ़ती उम्र में बच्चे थोड़ा स्पेस चाहते हैं। ऐसी एज में मूड स्विंग के दौरान यह ध्यान रखें कि आपके बच्चों के शरीर में परिवर्तन हो रहा है। वे अपनी दुनिया बना रहे हैं। उन्हें ज़्यादा रोकने-टोकने की बजाए उनकी भावनाएं समझकर रिऐक्ट करें।
बच्चों को हर क्षेत्र में अव्वल बनाने के सपने की बीमारी से बचें। याद रखें कि महत्वकांक्षांएं अच्छी हैं लेकिन अति महत्वकांक्षी होना न तो आपकेे लिये न ही बच्चे के लिये ठीक है। खुद को सुपरमॉम या सुपरडैड बनने का ख्याल छोड़कर उन्हें उनके मन की भी करने दें। इससे वे मानसिक तौर पर हेल्दी रहेंगे।
बच्चों को नीचा न दिखाएं
मूड स्विंग के दौरान बच्चों को ज़्यादा समय दें। उनमें हो रहे परिवर्तनों पर नज़र रखें और उससे दोस्ताना अंदाज़ में बात करें। अपनी सुनाने की बजाए उनकी सुनने की कोशिश करें।
घर का माहौल अच्छा रखने का प्रयास करें। बच्चों के सामने लड़ें-झगड़ें नहीं, वरना उन्हें अकेलापन महसूस होगा। वे भी आपकी तरह बात करना और लड़ना झगड़ना अपनी आदत ना सकते हैं या दब्बू बन सकते हैं। एक और खास बात किसी भी क़ीमत पर उन्हें नीचा न दिखाएं।
बातचीत के लिये दबाव न डालें
अक्सर ऐसा होता है कि आप बाहर से आएं और बच्चे आपसे बात नहीं करना चाहते । ऐसे में आप उन्हें टीज़ न करें, क्योंकि ऐसा करने से वे ज़्यादा परेशान हो जाएंगे। कोशिश करें कि इस बात का कारण बिना पूछे जान लें कि बच्चे का मूड आज अच्छा क्यों नहीं है। हर समय की रोक-टोक और कुछ सिखाने की कोशिश बच्चों को या तो ज़िद्दी बना देगी या फिर गैरज़िम्मेदार।
ध्यान रखें कि उन्हें बहुत सहानुभूति की ज़रूरत होती है, उन्हें डांटने की बजाए उनसे प्रेम से पेश आएं।
बच्चा थका हुआ है तो…
बच्चों को भी दिन भर खेल-कूद और पढ़ाई, क्लारूम, गर्मी-सर्दी धूप और बारिश के कारण किसी भी तरह की परेशानी या थकान हो सकती है। घर आने पर उनसे इनकी दिनचर्या पूछें। थके होने पर उनसे क़तई बात न करें या उन्हें डांटें। जब वे रिलैक्स हों तब प्यार से उनसे बात करने की कोशिश करें और जब वह अपनी बात कह रहे हों तो टोकने की बजाए उनकी बात सुनें। इससे वे आपको अपने करीब पाएंगे।