Some interesting things related to Kalyan Singh- कल्याण सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं। यूपी में कई बड़े फैसलों के लिये जाने जाते हैं कल्याण सिंह। लेकिन क्या आपको पता है कि कभी एक डॉन ने उन्हें मारने की सुपारी ली थी। यह आतंकी था श्रीप्रकाश शुक्ल…

श्री प्रकाश शुक्ल उस जमाने में यूपी और बिहार में आतंक का पर्याय बन चुका था.कहा जाता है कि उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मारने की सुपारी ली थी. 25 साल के इस युवा बदमाश से निपटने के लिए एसटीएफ (स्पेशल टॉस्क फोर्स) गठन करना पड़ा था.सितंबर 1998 को एसटीएफ ने इस डॉन को मुठभेड़ में मार गिराया.
श्रीप्रकाश के कुख्यात बनने की कहानी 1993 में शुरू हुई थी… पहली बार उसने एक शख्स को बीच बाजार गोली मारी थी.बताया जाता है कि मारे गए शख्स ने श्रीप्रकाश की बहन पर छिंटाकशी की थी.इस कांड के बाद वह बैंकॉक भाग गया. वापस लौटने के बाद वह बिहार के मोकामा पहुंच गया और सूरजभान गैंग को ज्वाइंन कर लिया.
यहां से वह कुख्यात माफिया बन गया. साल 1997 में उसने बाहुबली राजनेता वीरेंद्र शाही को लखनऊ में दिन दहाड़े मौत के घाट उतार दिया था.
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इसके बाद जून 1998 को पटना स्थित इंदिरा गांधी अस्पताल के बाहर बिहार सरकार के मंत्री बृज बिहारी प्रसाद को उनके सुरक्षाकर्मियों के सामने ही गोलियों से गोलियों से भून दिया था. बताया जाता है श्रीप्रकाश देश का पहला बदमाश था जिसने हत्या के लिए एके-47 राइफल का प्रयोग किया था. कल्याण सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी को साजिशकर्ता और ब्राह्मणवादी मानसिकता से ग्रस्त व्यक्ति तक बता दिया था। इतना ही नहीं, यह भी कहा कि, ‘अटल बिहारी को एक पिछड़े वर्ग से आने वाला व्यक्ति मुख्यमंत्री के रूप में सहन नहीं हो रहा था.अटल जी ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए राम मंदिर मुद्दे को तिलांजलि दे दी है. वह बीजेपी को खत्म करने को उतारू हैं.’
कल्याण सिंह को बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी से निष्कासित किया
वाजपेयी के खिलाफ मोर्चा खोलने के चलते कल्याण सिंह को बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी से निष्कासित कर कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. इसके बाद भी कल्याण सिंह ने वाजपेयी के खिलाफ बयानबाजी बंद नहीं की. बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे ने कल्याण सिंह को छह साल के लिए बीजेपी से बाहर कर दिया. इसके बाद कल्याण सिंह ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया. साल 2002 के विधानसभा चुनाव चार सीटें आईं.
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इसके बाद मुलायम सिंह की सरकार में शामिल हो गए, लेकिन 2004 में वाजपेयी उन्हें दोबारा से बीजेपी में ले आए. 2007 में बीजेपी ने उन्हें सीएम का चेहरा बनाया, लेकिन अब न तो पहले की तरह उनका सियासी असर रहा है और न ही तेवर. ऐसे में बीजेपी को करारी मात खानी पड़ी. इसके बाद कल्याण सिंह का बीजेपी से मोहभंग हो गया और 2009 में पार्टी छोड़ दी. बीजेपी छोड़ने के बाद कल्याण सिंह ने सपा के साथ हाथ मिला लिया. मुलायम के समर्थन से कल्याण सिंह तो जीत गए, लेकिन सपा को करारी झेलनी पड़ी..और 2012 के चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें करारी मात खानी पड़ी. इसके बाद 2014 में बीजेपी में वापसी की और कसम खाई कि जिंदगी की आखिरी सांस तक अब बीजेपी का रहूंगा।