बीजेपी की नज़र साल 2022 के चुनाव पर है। कांग्रेस से नाराज चल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और युवा नेता जितिन प्रसाद ने बुधवार को भाजपा का दामन थाम लिया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए इसे एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और भाजपा सांसद अनिल बलूनी की मौजूदगी में प्रसाद ने यहां पार्टी मुख्यालय में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से प्रभावित होकर आये बीजेपी में

बलूनी ने इस अवसर पर कहा, ‘भाजपा की नीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से प्रभावित होकर जितिन प्रसाद भाजपा परिवार में शामिल हुए हैं।’ इसके बाद गोयल ने उन्हें भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई और कहा कि मैं उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनकी बड़ी भूमिका देखता हूं। भाजपा में शामिल होने के बाद प्रसाद ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इससे पहले उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।
2022 के चुनाव
प्रसाद ने कहा कि उन्होंने बहुत विचार-मंथन के बाद यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा, ‘आज से मेरे राजनीतिक जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में मैंने अनुभव किया कि अगर देश में असली मायने में कोई राजनीतिक दल है, तो वह भाजपा ही है। बाकी दल तो व्यक्ति विशेष और क्षेत्र विशेष के होकर रह गये हैं। आज देश हित के लिए कोई दल और नेता सबसे उपयुक्त है और वह मजबूती के साथ खड़ा है, तो वह भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।’
कांग्रेस के बारे में बोले- जनता के हितों की रक्षा नहीं कर पा रहे थे
प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस में रह कर वह जनता के हितों की रक्षा नहीं कर पा रहे थे, इसलिए वहां बने रहने का कोई औचित्य नहीं था। उन्होंने कहा, ‘अब भाजपा वह माध्यम बनेगी। एक सशक्त संगठन और मजबूत नेतृत्व है यहां, जिसकी आज देश को जरूरत है।’
2022 के चुनाव में ब्राह्मण चेहरा बनेंगे?
पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भी जितिन प्रसाद के भाजपा में जाने की अटकलें थीं। ज्ञात हो कि जितिन प्रसाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस में सक्रिय नेतृत्व और संगठनात्मक चुनाव की मांग को लेकर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी।
ब्राह्मण चेहरा, पिछले 3 चुनाव हारे
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने वाले जितिन प्रसाद ने 2004 और 2009 में लोकसभा चुनाव जीता। इसके बाद 2014 और 2019 में हार गये। उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में तिलहर सीट से हाथ आजमाया, लेकिन निराशा ही मिली। उन्हें कुछ महीने पहले पश्चिम बंगाल के लिए पार्टी प्रभारी बनाया गया था, जहां कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीती।
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