Search and rescue operation continues in Kinnaur-हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में भूस्खलन वाली जगह पर खोज और बचाव अभियान चल रहा है। अब तक 13 लोगों के शव बरामद किए गए हैं। रात भर टीमें लोगों को बचाने और खोजने में लगी रहीं। भूस्खलन स्थल से बस का मलबा और 1 और शव बरामद हुआ है। मलबे से अब तक कई घायलों को निकाला जा चुका है, जिनकी हालत नाजुक है। इनमें बस चालक और परिचालक शामिल हैं। जबकि 13 शव बरामद किए गए हैं।
टाटा सूमों में सवार थे 8 लोग, शव बरामद

बचाव अभियान में आईटीबीपी के साथ ही सेना, एनडीआरएफ, सीआईएसएफ के जवान जुटे हुए हैं। हिमाचल प्रदेश राज्य आपातकालीन ऑपरेशन केंद्र की ओर से जारी ताजा सूचना के अनुसार, घटनास्थल पर ड्रोन से भी सर्च अभियान चलाया जा रहा है। एक ट्रक व यात्री गाड़ी (टाटा सूमो) को मलबे से निकाल लिया गया है। टाटा सूमो में सवार आठ मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
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Search and rescue operation continues in Kinnaur
सीएम बोले- बचाव के प्रयास जारी
किन्नौर भूस्खलन पर जयराम ठाकुर, हिमाचल प्रदेश के सीएम ने कहा कि बस में सवार लोगों की संख्या का सही अंदाजा नहीं लग पा रहा है। आज दोपहर तक रेस्क्यू ऑपरेशन काफी हद तक पूरा हो जाएगा। सीएम भी वहां जाने की तैयारी कर रहे हैं।
Search and rescue operation continues in Kinnaur
ITBP के डिप्टी कमांडेंट धर्मेंद्र ठाकुर ने बताया,”रात को भी भूस्खलन हो रहा था। बस का इंजन और टायर मिला है। एक और शव मिला है।”
वहीं, 25-30 लोग अब बी लापता बताए जा रहे हैं। फिलहाल, जिंदगी बचाने की जंग में एनडीआरएफ से लेकर आईटीबीपी के जवान जुटे हुए हैं। दरअसल, किन्नौर जिले के निगुलसेरी में भूस्खलन वाली जगह पर सड़क साफ करने के बाद मलबे में सिर्फ रोडवेज बस की बॉडी का एक टुकड़ा मिला है। बस का और उसमें बैठे 25 यात्रियों का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है।
Search and rescue operation continues in Kinnaur-रात भर गिरते रहे पत्थर
घटनास्थल पर अंधेरा व फिर से भूस्खलन के खतरे को देखते हुए बुधवार रात नौ बजे बचाव और खोजी अभियान बंद कर दिया गया। अब गुरुवार अल सुबह से अभियान की शुरुआत हो गई है। माना जा रहा है कि हरिद्वार जा रही हिमाचल रोडवेज की बस सतलुज नदी में गिर गई। क्योंकि, बचाव अधिकारी इसे मलबे के नीचे नहीं ढूंढ पाए।
ड्राइवर ने बयां की आंखों देखी
बस के ड्राइवर गुलाब सिंह ने बताया, यह अंदाजा लगाना मुश्किल था कि बस यहां से गुजर पाएगी या नहीं। ऐसे में मैं और कंडक्टर बस से उतरकर पैदल सड़क पर चल पड़े। जैसे ही थोड़े आगे निकले, चट्टानें गिरनी शुरू हो गईं। हम दोनों पीछे की तरफ भागे और सड़क किनारे एक जगह पर छिप गए। इसके बाद भारी भरकम चट्टानें और मलबा बस समेत अन्य वाहनों पर गिर गए। वो मंजर बेहद डरावना था।
बस में सवार थे 25 यात्री
बस कंडक्टर महेंद्र पाल ने बताया, बस में करीब 25 यात्री सवार थे। जैसे ही हम निगुलसेरी पहुंचे, तो उसने देखा कि सामने पहाड़ी से चट्टानें गिर रही हैं। हमने बस को 100 मीटर पीछे ही रोक दिया। यहीं पर कार और ट्रक समेत दूसरी गाड़ियां भी रुक गईं। इसके बाद अचानक पहाड़ी चट्टानें सभी गाड़ियों पर गिर गईं। बस ड्राइवर और कंडक्टर ने ही अफसरों को इसकी सूचना दी।
एक महीने में तीसरा हादसा
इससे पहले 25 जुलाई को किन्नौर जिले के बटसेरी में सांगला-छितकुल मार्ग पर पहाड़ी से दरकी चट्टानों की चपेट में एक पर्यटक वाहन आ गया था। हादसे में टेंपो ट्रैवलर में सवार नौ पर्यटकों की मौत हो गई थी। हादसा इतना भयानक था कि वाहन को चट्टानों ने हवा में ही उड़ा दिया था और 600 मीटर नीचे बास्पा नदी के किनारे दूसरी सड़क पर जा गिरा था। इसी तरह 27 जुलाई को लाहौल-स्पीति जिले के उदयपुर में तोजिंग नाले पर बादल फटने से अचानक आई बाढ़ में आठ लोगों की मौत हो गई थी, दो अन्य घायल हो गए थे और दो लापता हो गए थे।