Roe v. Wade overturned- अमेरिका में गर्भपात कानून पर क्यों मचा है घमासान

Roe v. Wade overturned
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Roe v. Wade overturned-सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि संविधान गर्भपात का अधिकार नहीं देता है. हमारी तरफ से ‘रो वी वेड’ केस को खारिज कर दिया गया है.
इतने सालों बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने उसी फैसले को पलट दिया है जिसकी वजह से देश में माहौल काफी गर्म है. कोर्ट ने ये जरूर कहा है कि अमेरिका के सभी राज्य गर्भपात को लेकर अपने नियम-कानून बना सकते हैं. अब जिस ऐतिहासिक फैसले को पलटा गया वो, वो अमेरिका की ही सुप्रीम कोर्ट ने साल 1973 में दिया था. केस का नाम था रो बनाम वेड.

Roe v. Wade overturned

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उस मामले में नॉर्मा मैककॉर्वी नाम की महिला के दो बच्चे थे और तीसरा आने वाला था. लेकिन मैककॉर्वी वो तीसरा बच्चा नहीं चाहती थीं,(Roe v Wade)
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान गर्भपात का अधिकार प्रदान नहीं करता है। उन्होंने यह भी बताया कि गर्भपात को विनियमित करने का अधिकार लोगों और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों को वापस कर दिया गया है। बहुमत से लिए गए फैसले को सुनाते हुए न्यायमूर्ति सैमुअल अलिटो ने कहा कि गर्भपात एक गहरा नैतिक मुद्दा प्रस्तुत करता है, जिस पर अमेरिकी तीव्र परस्पर विरोधी विचार रखते हैं। संविधान प्रत्येक राज्य के नागरिकों को गर्भपात को विनियमित करने या प्रतिबंधित करने से प्रतिबंधित नहीं करता है।

Abortion Law Overturn IN US-क्या है रो बनाम वेड फैसला

रो बनाम वेड का ऐतिहासिक फैसला नॉर्मा मैककॉर्वी नाम की एक महिला की याचिका पर आया था। अदालती कार्यवाही में उनको ही ‘जेन रो’ नाम दिया गया है। दरअसल, मैककॉर्वी 1969 में अपना अबॉर्शन कराना चाहती थीं। उनके पहले से ही दो बच्चे थे। वह टेक्सास में रहती थीं जहां गर्भपात गैरकानूनी है, उसकी इजाजत तभी दी जा सकती है जब गर्भ धारण करने से मां की जान को खतरा हो। मैककॉर्वी ने फेडरल कोर्ट में याचिका दाखिल कर दावा किया कि टेक्सस का गर्भपात कानूनी असंवैधानिक है। इस मुकदमे में बचाव पक्ष के तौर पर तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी हेनरी वेड का नाम था। हालांकि नॉर्मा मैककॉर्वी को तब गर्भपात कराने की अनुमति नहीं मिल सकी थी।

Roe v. Wade overturned-महिला की याचिका के दो साल बाद आया फैसला

इसके दो साल बाद जनवरी 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने मैककॉर्वी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि गर्भ का क्या करना है, गर्भपात कराना है या नहीं, ये तय करना महिला का अधिकार है। जो बनाम वेड का ये फैसला ऐतिहासिक रहा जिसने अमेरिकी महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात का अधिकार दिया। इसके बाद अमेरिका के अस्पतालों के लिए महिलाओं को गर्भपात की सुविधा देना कानूनी तौर पर बाध्यकारी हो गया था। लेकिन, कोर्ट के इस फैसले का अमेरिका के कई धार्मिक समूहों ने खूब विरोध किया था। उनका कहना था कि महिला के अंदर पल रहे भ्रूण को भी जीने का अधिकार है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला धार्मिक रूप से उचित नहीं है। इस मुद्दे पर डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी के विचार भी अलग-अलग थे।

फैसले का ड्राफ्ट पहले ही हो गया था लीक

अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के गर्भपात को लेकर सुनाए जाने वाले फैसला का ड्राफ्ट पहले ही लीक हो गया था। इसे लेकर अमेरिका के कई राज्यों में महिलाओं और उनसे जुड़े अधिकार समूहों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन भी किया था। खुद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि ये महिला का मौलिक अधिकार है कि वह तय कर सके कि वह अपने गर्भ का क्या करे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अमेरिका में गर्भपात एकदम से गैर कानूनी नहीं हो गया है। अब राज्यों के पास शक्ति है कि वे अपनी मर्जी के हिसाब से गर्भपात को कानूनी या गैरकानूनी का दर्जा दे सकते हैं। आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका के अलबामा, जॉर्जिया, इंडियाना समेत 24 राज्य गर्भपात को अवैध घोषित करने वाले हैं।