Review Report of Assemblies-राज्य विधानसभाओं के सत्र 2021 में औसतन 21 दिन चले तथा उच्च शिक्षा, ऑनलाइन गेमिंग, धर्मांतरण और मवेशियों के संरक्षण को विनियमित करने सहित कई विषयों पर 500 से अधिक विधेयक पारित किए गए। विधानसभा से संबंधित एक थिंक टैंक के अनुसार, इनमें से अधिकतर विधेयकों ‘मामूली विधायी जांच” से गुजरना पड़ा और लगभग आधे विधेयक सदन में पेश होने के एक दिन के भीतर पारित हो गए।
2021 में कर्नाटक ने सबसे ज्यादा 48 विधेयक पारित किए
गैर लाभकारी संगठन ‘पीआरएस लेजिस्लेटिव’ के ‘एनुअल रिव्यू ऑफ स्टेट लॉज 2021′ के अनुसार, पिछले साल कर्नाटक ने सबसे ज्यादा 48 विधेयक पारित किए। कर्नाटक ने 2020 में भी सबसे अधिक 55 विधेयक पारित किए थे। सबसे कम दो विधेयक दिल्ली ने पारित किए, उसके बाद पुडुचेरी (तीन) और मिजोरम (पांच) का स्थान है। अध्ययन में कहा गया है कि कानून बनाना विधान पालिका की प्राथमिक जिम्मेदारी होती है। इन कानूनों की विस्तार से जांच की जानी चाहिए और पर्याप्त बहस एवं विचार-विमर्श के बाद ही इन्हें पारित किया जाना चाहिए।
Review Report of Assemblies-44 प्रतिशत विधेयक एक दिन के भीतर पारित किए गए

अध्ययन के अनुसार, ‘हालांकि, राज्य विधायिका अक्सर पर्याप्त जांच के बिना विधेयक पारित करती हैं, जिससे इन कानूनों की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा होता है।”
अध्ययन के अनुसार, ‘2021 में, 44 प्रतिशत विधेयक विधायिका में पेश होने के एक दिन के भीतर पारित किए गए थे। गुजरात, पश्चिम बंगाल, पंजाब और बिहार सहित आठ राज्यों में सभी विधेयक उसी दिन पारित किए गए, जिस दिन उन्हें पेश किया गया था।’
94 प्रतिशत विधेयक विधानसभा में 5 दिनों के बाद पारित किए
थिंक टैंक ने बताया कि पांच राज्यों को अपने 50 फीसदी से ज्यादा विधेयक पारित (Review Report of Assemblies) करने में पांच दिन से ज्यादा का समय लगा। ये राज्य हैं – कर्नाटक, केरल, मेघालय, ओडिशा और राजस्थान। केरल में 94 प्रतिशत विधेयक विधानसभा में पेश किए जाने के कम से कम पांच दिनों के बाद पारित किए गए थे। कर्नाटक के लिए यह आंकड़ा 70 प्रतिशत और मेघालय के लिए 80 प्रतिशत रहा।