DISABLE का सम्मान करें: करीबी रिश्तों के अलावा भी कई ऐसे रिश्ते होते हैं, जिन्हें अच्छा इनसान होने के नाते पूरे मन से निभाने की जरूरत होती है। ऐसे रिश्ते मन और मनोबल से जुड़े होते हैं। इनका अपनापन हौसला देने वाला होता है। ऐसे में एक रिश्ता उन लोगों के साथ भी निभाइए जो शारीरिक अक्षमता के शिकार हैं। किसी दिव्यांग का साथ देना, अपने देश के एक नागरिक को साथ लेकर चलना है। इसीलिए अपना परिवेश हो या अनजान जगह, दिव्यांगों के प्रति सहयोग भरा व्यवहार अपनाएं।
DISABLE का सम्मान करें: मदद करें, सहयोग के लिये हाथ बढ़ायें

ऐसे लोगों को आपकी सहानुभूति नहीं चाहिए। ज़रूरत पड़ने पर थोड़ा सहयोग ही कर देंगें तो काफी है। आपका ऐसा व्यवहार उन्हें कमतर नहीं बल्कि बराबरी महसूस करवाता है। वे खुद को अलग-थलग नहीं बल्कि आपसे, अपने माहौल से जुड़ा हुआ पाते हैं। यूं भी किसी इंसान का मूल्यांकन उसकी शारीरिक क्षमता से नहीं, बल्कि उसकी सोच और काबिलियत से होना चाहिए। अक्सर दिव्यांगों के मामले में लोग यह बात भूल जाते हैं। जाने-अनजाने उन्हें कमतर आंकने लगते हैं, जिसके चलते उनके व्यवहार में सहयोग का भाव नहीं बल्कि सहानुभूति झलकने लगती है। ऐसे में दया करने के लिए नहीं, मदद करने की सोच के साथ उनका हाथ थामें।
ख्याल रखें

घर-दफ्तर, यात्रा करते हुए या सड़क पर, जहां भी ऐसे लोगों से मिलें उन्हें सहज महसूस करवाएं। चाहें तोउनको सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित कीजिए। वैसा ही व्यवहार कीजिए जैसे आप किसी शारीरिक रूप से सक्षम इंसान के साथ करते हैं। बस, उनकी सुविधा का ख्याल जरूर रखें। ऐसा करने से दिव्यांगजन सहज महसूस करते हैं। इतना ही नहीं, आपका यह व्यवहार दिव्यांगों के प्रति दूसरे लोगों का दृष्टिकोण और सोच बदलने में भी अहम भूमिका निभाएगा। यह बदलाव दिव्यांगों के लिए पूरा सामाजिक-पारिवारिक परिवेश सहज और सहयोगी बना सकता है।
DISABLE का सम्मान करें: हौसला दें
किसी दिव्यांग को जानते हैं तो उसकी काबिलियत निखारने में मदद कीजिए। किसी खास क्षेत्र से जुड़े हैं तो सहजता से उसका मार्गदर्शन कीजिए। आत्मनिर्भर बनाने की राह खोलिए। उसका हौसला बढ़ाइए। उनकी जरूरत के मुताबिक़ सूचनाएं और सुविधाएं उन तक पहुंचाने की कोशिश कीजिए। आपके ऐसे छोटे-छोटे प्रयास उनके लिए बेहद मायने रखते हैं। ऐसे मददगार कदम उन्हें सही मायने में सशक्त बना सकते हैं।
उपेक्षा या अपमान कभी न करें
दिव्यांग की शारीरिक अक्षमता को कभी भी अपमान या उपेक्षा की वजह नहीं बनाना चाहिए। खासकर बच्चों को तो उनके साथ संवेदनशील व्यवहार करने की सीख शुरू से ही देनी चाहिए। यह इंसानियत का रिश्ता है, जिसे निभाने की सीख बच्चों की परवरिश का हिस्सा होनी चाहिए। साथ ही बड़े भी दिव्यांगों के प्रति मानवीय भाव अपनाकर बच्चों के लिए रोल मॉडल बनें। हर वह कोशिश कीजिए जो दिव्यांगों के साथ सम्मान और सहयोग का मानवीय रिश्ता बनाये।