20 साल में 10 मुख्यमंत्री बदले और पहाड़ी प्रदेश की कमान अब 11वें (Uttarakhand New CM) के हाथ में आ गई है…पुष्कर धामी पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड के नये सीएम होंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। देहरादून में शुक्रवार देर रात सवा ग्यारह बजे राजभवन पहुंच कर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया। तीरथ रावत ने बीती 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी और इस तरह से रावत चार महीने का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए और राह के रोड़े को हटाने में असफल रहे।
धामी विधायक दल के नेता चुने गये
ऊधमसिंहनगर जिले की खटीमा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे पुष्कर सिंह धामी लगातार दूसरी बार से विधायक हैं. पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के करीबी माने जाने वाले धामी भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष समेत पार्टी में अन्य पदों पर कार्य कर चुके हैं और युवाओं में उनकी पकड़ को बेहतर माना जाता है.शनिवार दोपहर तीन बजे भाजपा प्रदेश मुख्यालय में हुई विधायक दल की बैठक में पुष्कर सिंह धामी के नाम पर मुहर लगी।

धामी के नाम पर रखे गए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। भाजपा प्रदेश मुख्यालय में विधायक दल की बैठक के लिए विधायक और पार्टी नेता दोपहर 12 बजे से ही जुटना शुरू हो गए थे। कार्यकर्ताओं का जमावड़ा भी प्रदेश कार्यालय में दिखा। नए मुख्यमंत्री को लेकर समर्थक अपने नेताओं के नाम के कयास लगा रहे थे।
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Uttarakhand New CM-इस वजह से गई रावत की कुर्सी
अपने गठन के 20 साल में पहाड़ प्रदेश उत्तराखंड अब तक 10 मुख्यमंत्री देख चुका है. दरअसल तीरथ सिंह रावत ने 111 दिन तक राज्य की कमान संभालने के बाद इस्तीफा सौंप दिया है और इसी के साथ उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल का अंत हो गया. इतना तो साफ है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिलाकर तीरथ सिंह रावत को CM बनाने के पीछे यही पुजारी और संत समाज की नाराजगी बड़ी वजह थी। उम्मीद थी कि तीरथ सिंह रावत संत समाज को साध लेंगे। लेकिन 115 दिनों में तीरथ सिंह रावत कोई कमाल नहीं कर पाए। बल्कि उन्होंने विवादित बयान जरूर दिए।
20 साल में 11 मुख्यमंत्री- रावत के लिये उपचुनाव बना बड़ा रोड़ा
उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में एक वर्ष से भी कम का समय बचा है और पद पर बने रहने के लिए रावत का 10 सितम्बर तक विधानसभा सदस्य चुना जाना संवैधानिक बाध्यता है लेकिन उपचुनाव न होने की संभावना देखते हुए यही एक विकल्प बचा था। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे जनप्रतिधि कानून की धारा 191 ए के तहत छह माह की तय अवधि में चुनकर नहीं आ सकते। इसलिए मैंने अपने पद से इस्तीफा दिया। तीरथ ने पार्टी के बड़े नेताओं को इस बात का धन्यवाद किया कि, उन्होंने उन्हें यहां तक पहुंचाया।
Uttarakhand New CM-6 महीने के भीतर विस उपचुनाव जीतना था

संविधान के मुताबिक पौड़ी गढ़वाल से भाजपा सांसद तीरथ सिंह रावत को 6 महीने के भीतर विधानसभा उपचुनाव जीतना था। तभी वह मुख्यमंत्री रह पाते। यानी 10 सितंबर से पहले उन्हें विधायकी जीतनी थी। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि तीरथ सिंह गंगोत्री से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, चुनाव आयोग द्वारा सितंबर से पहले उपचुनाव कराने से इनकार करने के बाद सीएम रावत के सामने विधायक बनने का संवैधानिक संकट खड़ा हो गया।
सूत्रों ने बताया कि उत्तराखंड उपचुनाव को लेकर अभी भी चुनाव आयोग को फैसला करना बाकी है। सूत्र ने कहा कि ये चुनाव कोरोना संक्रमण के हालात पर ही निर्भर करते हैं।
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20 साल में 11 मुख्यमंत्री-पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के इस्तीफे के बाद
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के इस्तीफे के बाद 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इस तरह वह केवल 115 दिन मुख्यमंत्री के पद पर रहे। वे ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जिन्हें विधानसभा में बतौर नेता सदन उपस्थित रहने का मौका नहीं मिला।
3 दिन से दिल्ली में थे रावत
तीन दिनों से दिल्ली में डेरा जमाए तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को, पिछले चौबीस घंटों के भीतर दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की। नड्डा के आवास पर उनसे लगभग आधे घंटे की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब रावत के भविष्य को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। पौड़ी से लोकसभा सांसद रावत ने इस वर्ष 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था।
अपने पद पर बने रहने के लिए 10 सितम्बर तक उनका विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना संवैधानिक बाध्यता है। इससे पहले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को इस्तीफा देने के लिए कहा गया था।
दिल्ली से देहरादून पहुंचते ही कर दिया इस्तीफे का ऐलान
तीरथ सिंह रावत के शुक्रवार को दिल्ली से देहरादून पहुंचते ही यह खबर बाहर आ गई कि मुख्यमंत्री ने उपचुनाव की संभावना न होने पर नड्डा के सामने इस्तीफा देने की पेशकश की है। इसी बीच रात 10 बजे उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी उपलब्धियां गिनाईं। राज्य विधानसभा चुनावों के पहले भाजपा का भरोसा डगमगाने लगा है।
चार महीने में दो मुख्यमंत्री बदलने के फैसले से जाहिर है कि पार्टी अगले विधानसभा चुनाव को लेकर कितना परेशान है