Raja Mahendra Pratap University- will be equipped with these facilities- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर को अलीगढ़ से उत्तर प्रदेश चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे. राजा महेंद्र प्रताप विश्व विद्यालय का शिलान्यास करेंगे और एक सभा को भी संबोधित कर सकते हैं. राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का थ्रीडी मॉडल बनकर तैयार हो गया है. मॉडल को पीडब्ल्यूडी के नोडल कार्यालय के वर्ल्ड बैंक विभाग में रखा गया है.
Raja Mahendra Pratap University-कुछ ऐसे बनाई जाएगी
- प्रशासनिक भवन, शैक्षणिक भवन, लाइब्रेरी, कॉमन फैसिलिटी सेंटर, पुरुष छात्रावास, महिला छात्रावास, वीसी लॉज, अधिकारियों के आवास, गार्ड रूम सहित अन्य निर्माण कार्य लगभग 24917.94 वर्गमीटर में होंगे.
- विवि के निर्माण की अधिसूचना 22 नवंबर 2019 को जारी हुई थी, जिसके लिए कुलसचिव और वित्त अधिकारी की नियुक्ति हो चुकी है.
- विवि के क्षेत्राधिकार में अलीगढ़, एटा, कासगंज, हाथरस के लगभग 395 महाविद्यालय शामिल होंगे.
विवि में प्रस्तावित विभाग और कोर्स
स्कूल ऑफ वोकेशनल स्टडीज में बैचलर इन वोकेशनल कोर्स, पशु एवं डेयरी तकनीकी प्रशिक्षण, कम्यूनिकेटिव इंग्लिश, फॉरेन लैंग्वेज का कोर्स होगा. स्कूल ऑफ एडवांस लर्निंग में डिपार्टमेंट ऑफ एडवांस कम्प्यूटिंग, डिपार्टमेंट ऑफ बायो टेक्नोलॉजी, डिपार्टमेंट डिसीजन साइंस, डिपार्टमेंट ऑफ एडवांस मॉलिक्यूलर जेनेटिक्स, डिपार्टमेंट ऑफ रिन्यूएबिल एनर्जी होंगे। स्कूल ऑफ मल्टीलिंग्वल स्टडीज में स्कूल ऑफ स्प्रिचुअल साइंस एंड योगा, स्कूल ऑफ ह्ययूमिनटीज आर्ट एंड सोशल साइंस, स्कूल ऑफ ट्रांसडिस्पिलनरी साइंस कोर्स चालू होंगे.
कुछ यूं बनेगा विश्व विध्यालाय

- 92.27 एकड़ जमीन पर बनेगा विश्वविद्यालय
- परियोजना की लागत (प्रथम चरण) 101 करोड़ रुपये
- पहली किस्त के तौर पर 10 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं
- परियोजना की पूरा होने का समय जनवरी 2023 तक निर्धारित किया गया है.
- अलीगढ में 14 सितंबर को जाट राजा महेद्र प्रताप सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे, राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने 1915 में अफगानिस्तान में बनाई थी भारत की अंतरिम सरकार, 1930 में महात्मा गांधी को पत्र लिख कहा था कि जिन्ना जहरीला सांप हैं,गले मत लगाइए.
AMU के लिये राजा महेंद्र सिंह ने ही दी थी ज़मीन लेकिन नहीं लिखा गया उनका नाम

राजा महेंद्र सिंह ने ही अलीगढ़ में विश्वविद्यालय खोलने के लिए अपनी जमीन दान की थी, लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के किसी भी कोने में उनका नाम अंकित नहीं है. इसी कारण यहां पर एएमयू यानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नाम बदलने के लिए काफी मांग उठती रहती है, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए रास्ता खोज निकाला है.
सीएम योगी ने 2019 में किया था वादा
उत्तर प्रदेश सरकार ने AMU के जवाब में महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय बनाने का निर्णय लिया. योगी आदित्यनाथ ने 2019 में राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर अलीगढ़ में एक नया विश्वविद्यालय स्थापित करने का भरोसा दिलाया था. सीएम योगी आदित्यनाथ ने दो साल पहले सितंबर महीने में 2019 को विश्वविद्यालय के निर्माण की घोषणा की थी. अब इसकी नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद 14 सितंबर को रखेंगे. जिला प्रशासन ने 37 हेक्टेयर से अधिक सरकारी भूमि कोल तहसील के लोढ़ा और मुसईपुर गांवों में विश्वविद्यालय के लिए भूमि प्रस्तावित की गई है, इसके अलावा अन्य 10 हेक्टेयर भूमि अधिगृहीत की गई है.
अलीगढ़ के राजा थे महेंद्र प्रताप
राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर एक विश्वविद्यालय की मांग 2018 में उठी थी, जब हरियाणा के बीजेपी नेताओं ने जाट राजा के नाम पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का नाम बदलने का आह्वान किया था. उस वक्त इस बात का जोर दिया गया था कि महेंद्र प्रताप ने ‘एएमयू के लिए भूमि दान’ की थी. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक सभा में बताया था कि महाराजा महेंद्र प्रताप ने ब्रिटिश को बहुत बड़ी चुनौती दी थी. वह अलीगढ़ के राजा थे, लेकिन उन्होंने अफगानिस्तान जाकर आजाद हिंद फौज की टीम गठित की थी। विश्वविद्यालय को बनाने की घोषणा बीजेपी सरकार बनने के एक साल बाद ही कर दी गई थी, लेकिन अब निर्माण में तेजी लाने का आदेश है ताकि 2022 से पहले यह विश्वविद्यालय बनकर तैयार हो जाए.
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हाथरस में मुरसान रियासत के शासक थे राजा महेंद्र प्रताप सिंह

महेंद्र प्रताप का जन्म एक दिसंबर 1886 को एक जाट परिवार में हुआ था जो मुरसान रियासत के शासक थे, यह रियासत वर्तमान उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में है. वे राजा घनश्याम सिंह के तृतीय पुत्र थे, जब वो तीन साल के थे तब हाथरस के राजा हरनारायण सिंह ने उन्हें पुत्र के रूप में गोद ले लिया. राजा महेंद्र सिंह के बारे में बताया जाता है कि थॉमस कुक एंड संस के मालिक बिना पासपोर्ट के अपनी कंपनी के पी एंड ओ स्टीमर द्वारा राजा महेंद्र प्रताप और स्वामी श्रद्धानंद के ज्येष्ठ पुत्र हरिचंद्र को इंग्लैंड ले गए. उसके बाद जर्मनी के शासक कैसर से उन्होंने भेंट की, वहां से वो अफगानिस्तान गए, फिर बुडापेस्ट, बुल्गारिया, टर्की होकर हेरात पहुंचे जहां अफगान के बादशाह से मुलाकात की और वहीं से 1 दिसंबर 1915 में काबुल से भारत के लिए अस्थाई सरकार की घोषणा की जिसके राष्ट्रपति स्वयं तथा प्रधानमंत्री मौलाना बरकतुल्ला खां बने.
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आज़ादी की लड़ाई में राजा महेंद्र सिंह का योगदान
यहां स्वर्ण-पट्टी पर लिखा सूचना पत्र रूस भेजा गया, उसी दौर में अफगानिस्तान ने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया तभी वे रूस गए और लेनिन से मिले, लेकिन लेनिन ने कोई सहायता नहीं की, साल 1920 से 1946 विदेशों में भ्रमण करते हुए विश्व मैत्री संघ की स्थापना की, फिर 1946 में भारत लौटे. यहां सरदार पटेल की बेटी मणिबेन उनको लेने कलकत्ता हवाई अड्डे गईं, इसके बाद वो संसद-सदस्य भी रहे. 26 अप्रैल 1979 में उनका देहांत हो गया, अब उनके नाम पर अलीगढ़ में विश्व विद्यालय की स्थापना की जा रही है.