परीक्षाएं नहीं हैं मुश्किल- परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं और छात्र इसकी तैयारी में जुट गए हैं। ऐसे में उन्हें ज़रूरत है सही गाइडलाइन की। क्योंकि केवल पढ़ना ही काफी नहीं होता। परीक्षाओं में अच्छे नबंर आएं और ये बच्चों को बोज की तरह ना लगें इसके लिए ज़रूरी है सही मैनेंजमेंट। सही मैनेजमेंट ना सिर्फ स्ट्रेस फ्री रहेंगे बल्कि वो आपकी उम्मीदों पर खरे भी उतरेंगे।
परीक्षाएं नहीं हैं मुश्किल सही टाइम टेबल
किसी भी काम को सही ढंग से करने का सबसे अच्छा तरीका होता है सही टाइम टेबल…पढ़ाई के लिए सही टाइम टेबल बनाकर पढ़ना फायदेमंद होता है। हर बच्चे की लगातार पढ़ने की क्षमता अलग होती है। लिहाजा हर एक या आधे घंटे में उन्हें 10-15 मिनट का ब्रेक दें। ब्रेक के इस समय में बच्चे की बात सुनें और कोशिश करें की बात पढ़ाई से जुड़ी ना हो ताकि उनका माइंड अगले राउंड की पढ़ाई के लिए फ्रेश हो सके। बच्चों को एक बार में ही ज्यादा से ज्यादा पढ़ने के लिए ज़ोर ना डालें। साथ ही उन्हें बताएं कि पहले वो कठिन विषयों का अध्ययन कर लें फिर बाद में आसान विषयों को छुएं। जब बच्चा सेटल हो जाए तो धीरे-धीरे पढ़ाई के घटों को बढ़ाएं लेकिन बीच में ब्रेक लेना बहुत ज़रूरी है।
परीक्षाएं नहीं हैं मुश्किल-नींद का रखें ख्याल:
अक्सर देखा जाता है कि परीक्षाओं के समय में बच्चों की नींद पूरी नहीं होती । वो सुबह जल्दी उठ जाते हैं और देर रात तक पढाई करते हैं। परीक्षाओं के समय ये सबसे गलत दिनचर्या है। दरअसल नींद पूरी ना होने पर मानसिक थकान होती है जिसका असर आपके परिणाम पर पड़ सकता है। लिहाज़ा ध्यान रखें की बच्चा आठ घंटे की नींद ज़रूर ले। क्योंकि दिमाग तभी चुस्त होगा जब उसे पर्याप्त आराम मिलेगा।
खान-पान भी अहम

वैसे तो हमेशा ही बच्चों का खानपान सही होना चाहिए लेकिन परीक्षाओं के समय में खास ध्यान देने की ज़रूरत होती है। इस दौरान बच्चों को हल्का खाना देने चाहिए। उनकी डाइट में हरी सब्जियां, सलाद, दाल आदि को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा सुबह छात्रों को बादाम देने चाहिए। साथ ही बाहर के खाने, तली हुई चीजों और फास्ट फूड से बच्चों को दूर रखना चाहिए।
व्यायाम भी है ज़रूरी
देखा जाता है कि एग्ज़ाम्स में बच्चों की फिज़िकल एक्टिविटी पूरी तरह से खत्म हो जाती है। हंम भी परीक्षाओं के नाम पर उन्हें घर में कैद कर देते हैं। लेकिन ऐसे करना ठीक नहीं है। बच्चों को परीक्षाओं का डर भगाने के लिए उन्हें एक्सरसाइज़ के लिए प्रेरित करें। मार्निंग वॉक पर उनके साथ जाएं और उनसे बात करें उनकी समस्याएं सुनें। इससे ना सिर्फ वो फ्रेश फील करेंगे बल्कि उनका डर भी दूर होगा। इसके अलावा मेडिटेशन औऱ योगा भी अच्छा विकल्प हो सकते हैं। इससे दिमाग को ऑक्सीजन सही मात्रा में पहुंचती है, रक्तसंचार बेहतर होता है और वह तेजी से काम करता है।
मनोरंजन भी है ज़रूरी
सिर्फ पढ़ाई करते रहने से दिमाग बोझिल हो सकता है। लिहाजा ज़रूरी है दिन में कम से कम एक बाद बच्चा कुछ ऐसा ज़रूर करें जिससे उसे आनंद मिलता हो। चाहें तो घर पर ही कुछ फनी करें या फिर कुछ देर दोस्तों के साथ जाकर खेलकर या अन्य कार्य करके मूड को रिफ्रेश करें।