Operation Khukri Was Not Of Britain But Of India-मे. जनरल राजपाल पूनिया ने अपनी किताब में किए कई खुलासे

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Operation Khukri Was Not Of Britain But Of India-अफ्रीका में शांति सेना में गोरखा राइफल्स का नेतृत्व कर चुके हैं मेजर जनरल राजपाल पूनिया


अफ्रीका की रिवोल्यूशनरी यूनाइटेड फ्रंट (Revolutionary United Front of Africa) की घेराबंदी को तोडऩे के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के मिशन सियरा लिओन के तहत करीब 21 वर्ष पूर्व अफ्रीका में किया गया ऑप्रेशन खुखरी में ब्रिटेन की भागीदारी थी लेकिन इस ऑप्रेशन में मुख्य भूमिका भारतीय सेना की थी जिसमें हिमाचल प्रदेश का हवलदार सेना मेडल कृष्ण शहीद भी हुआ। इस मिशन के लिए अफ्रीका गई भारत सहित कुल 17 देशों की सेना में से 16 देशों की सेना ने तो आतंकवादियों के सामने हथियार तक डाल दिए थे लेकिन भारतीय सेना के 222 जवानों ने सिर पर कफन बांध कर आरयूएफ के 150 से ज्यादा आतंकवादियों को मार गिराया और पाकिस्तान सहित कई देशों के सैनिकों को बचाया था।
यह खुलासा इस ऑप्रेशन का नेतृत्व करने वाले सेना के मेजर जनरल (वाईएसएम) राजपाल पूनिया व उनकी पुत्री दामिनी पूनिया द्वारा लिखी गई ऑप्रेशन खुखरी पुस्तक में किया है। मेजर जनरल राजपाल पूनिया व उनकी पुत्री सोमवार को हिसार आए हुए थे विशेष बातचीत कर रहे थे।

Operation Khukri Was Not Of Britain But Of India-1999 में शांति सेना के साथ अफ्रीका गए थे


उन्होंने बताया कि गोरखा राइफल्स के साथ वे दिसंबर, 1999 में शांति सेना के तौर पर अफ्रीका में गए थे। वहां पर आरयूएफ शांति के लिए तैयार नहीं था और कीनिया की सेना ने फायरिंग कर दी जिसमें 10 से 12 आंतकवादी मारे गए थे। इसके बाद आरयूएफ ने शांति सेना को हथियार डालकर वापस चले जाने के लिए कहा तो ब्रिटेन, यूएसएसआर, थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम, घाना व कीनिया सहित 16 देशों की सेना ने हथियार डाल दिए लेकिन भारतीय सेना ने ऐसा करने से मना कर दिया।
उस समय जब उनकी रेजिमेंट के कुल 222 जाबांज व अन्य देशों के 11 सिपाही व अधिकारी (ब्रिटिश सेना के मेजर एंड्रयू एडिसन कोलंकी, पाकिस्तानी सेना के मेजर रफीक व अन्य देशों के सलाहाकार सदस्य) जंगल में 100 गुणा 100 मीटर के बेस कैंप में थे तो आरयूएफ के करीब एक हजार आतंकवादियों ने उनको चारों तरफ से घेर लिया। उस दौरान आरयूएफ के ब्रिगेडियर र्कल मार्टिन से उनकी 15 बार फ्लैग मिटिंग हुई लेकिन वे शांति के लिए तैयार नहीं हुए।

ऑपरेशन में हिमाचल के हवलदार कृष्ण कुमार शहीद हो गए थे

जब 15 जुलाई, 2000 को ब्रिटेन के दो चिनूक हेलिकॉप्टर अपने मेजर व अन्य को लेने के लिए आए सुबह 5 बजे उन्होंने आरयूएफ के कैंप पर बमबारी कर दी और फिर जंगल में आरयूएफ से लड़ते हुए करीब 70 किलोमीटर का सफर तय किया। इस सफर के दौरान भारतीय पैरा-कमांडो व एक बटालियन भी उनकी मदद के लिए आ गई लेकिन हवलदार कृष्ण कुमार शहीद हो गए।

Operation Khukri Was Not Of Britain But Of India-बीबीसी ने बताया था ब्रिटेन का ऑपरेशन

उस दौरान बीबीसी ने इसको ब्रिटिश ऑप्रेशन बताया और इस पर ब्रिटेन की स्टांप लग गई थी। उन्होंने कहा कि इसमें ब्रिटेन का योगदान था लेकिन इस ऑप्रेशन को लीड भारतीय सेना ने किया। ऑप्रेशन खत्म होने के बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस भी उनसे मिलने के लिए अफ्रीका के के सीरिया लिओन की राजधानी फ्रीटाउन में आए थे।

21 साल बाद वादा पूरा किया

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-मेजर जनरल राजपाल पूनिया ने बताया कि ऑप्रेशन खुखरी के दौरान उन्होंने भारतीय सैनिकों से उनकी वीरता के बारे में भारत को बताने का वादा किया था। काफी वर्षों से वे यह वादा पूरा नहीं कर पाए लेकिन लॉकडाउन के दौरान जब उनकी बेटी दामिनी उनके पास आई तो फिर दोनों ने मिलकर 15 माह में यह किताब लिखी और अपना वादा पूरा किया।

Operation Khukri Was Not Of Britain But Of India-रामरहीम का डेरा खाली करवाने के दौरान काम आया अनुभव

-मेजर जनरल राजपाल पूनिया ने बताया कि वर्ष 2017 में गुरमीत रामरहित की गिरफ्तारी के बाद सिरसा के डेरा सच्चा सौदा को खाली करवाने की जिम्मेदारी भी उनकी थी और उसको बिना किसी गोली के खाली करवाने में ऑप्रेशन खुखरी का अनुभव काम आया। उन्होंने बताया कि जिस तरह आरयूएफ ने उनको घेरा हुआ था, उसी तरह उन्होंने डेरे को घेरे हुए था। इसी कारण उनको ऑप्रेशन खुखरी याद आया और शांति से बात की और डेरा खाली हो गया।

हिप्र सरकार ने पूरा नहीं किया वादा

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-मेजर जनरल राजपाल पूनिया ने बताया कि वर्ष 2000 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने सेना मेडल हवलदार कृष्ण कुमार के नाम से एक सरकारी स्कूल बनाने की घोषणा की थी। इस पुस्तक के विमोचन के दौरान हवलदार के पुत्र विशाल परमार ने बताया कि यह स्कूल अभी तक नहीं बना है।

Operation Khukri Was Not Of Britain But Of India-30 दिन के खाने को 75 दिन चलाया, घास की रोटी खाई

-मेजर जनरल राजपाल पूनिया ने बताया कि जब आरयूएफ के आतंकवादियों ने उनको घेरा तो उनके पास 30 दिन का खाना था और उसको हमने आधा-आधा करके 60 दिन तक चलाया। बाद में 15 दिन तक उन्होंने घास की रोटी बनाकर भी खाई।


कपड़े उतरवा कर छोड़े गए थे हथियार डालने वाले सैनिक

-मेजर जनरल राजपाल पूनिया ने बताया कि यह ऑप्रेशन सियरा लिओन के समीप चला और आरयूएफ के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले सैनिकों को लाइबेरिया देश में भेजा जाता था। उस देश के राष्ट्रपति चाल्र्स स्टेलर थे जो पहले आतंकवादी थे और आरयूएफ की मदद करते थे। आत्मसमर्पण करने वाले सैनिकों के लाइबेरिया की सेना सारे कपड़े उतरवा लेती थी और उनको सिर्फ अंडरवीयर में छोड़ा जाता था।

शाहरुख खान की कहानी वास्तविक नहीं थी

-मेजर जनरल राजपाल पूनिया ने बताया कि जब वे हिसार में थे तो वर्ष 2016 में अभिनेता शाहरुख खान के एक लेखक ने उनसे मुलाकात की जो ऑप्रेशन खुखरी फिल्म बनाना चाहते थे लेकिन उनकी कहानी वास्तविक नहीं थी। लेकिन अब इस पुस्तक के आधार पर कोई यदि फिल्म बनाना चाहता है तो वे उसका सहयोग करेंगे। साथ ही अंग्रेजी की इस पुस्तक को हिंदी में अनुमवाद करके भी प्रकाशित करवाया जाएगा।

Operation Khukri Was Not Of Britain But Of India-विश्वास ने दिया हौसला: अनिता

-मेजर जनरल राजपाल पूनिया की पत्नी अनिता पूनिया ने बताया कि इस ऑप्रेशन के दौरान उनको पता नहीं था कि उनके पति वापस घर आएंगे या नहीं लेकिन विश्वास ने उनको हौसला दिया। भिवानी जिले के सेवानिवृत्त कर्नल दरियाव सिंह की पुत्री अनिता ने बताया कि उन्होंने डर को कभी हावी नहीं होने दिया। उन्होंने लगातार अपने पति को पत्र लिखे लेकिन उन तक एक भी नहीं पहुंचा और जवाब भी नहीं आया लेकिन उन्होंने विश्वास नहीं छोड़ा।

भारतीय सेना को सेल्यूट करके गया पाकिस्तानी मेजर

मेजर जनरल राजपाल पूनिया ने बताया कि इस ऑप्रेशन के दौरान उन्होंने पाकिस्तान के मेजर रफीक को आरयूएफ से छुड़वाया और मेहमान की तरह रखा। हमने कम खाना खाया लेकिन उनको पूरा दिया। ऑप्रेशन खत्म होने के बाद मेजर रफीक ने कहा कि उनको कभी नहीं लगा कि वे भारतीय सेना की शरण में हैं और जाते हुए सेना को सलाम करके गए थे।