NGT’s mess over in Shimla- शिमला के ग्रीन बेल्ट एरिया में भी हो सकेगा निर्माण, विकास योजना को मंजूरी

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NGT’s mess over in Shimla-चुनावी साल में शिमलावासियों को एनजीटी ( NGT) के झंझट से निजात मिलने की उम्मीद जगी है। चार दशक बाद शहरी विकास विभाग ने शिमला की विकास योजना के मसौदे को अंतिम रूप दिया है। विकास योजना को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद लोगों को निर्माण कार्यों में राहत मिलने की उम्मीद है। खासतौर पर ग्रीन बेल्ट एरिया में प्लाट खरीदने के बाद निर्माण से महरूम 6 दर्जन से अधिक लोगों के साथ-साथ राजधानी के गैर कोर एरिया में रह रहे लोगों को विकास योजना के लागू होने से राहत मिलने की उम्मीद है। 25 हजार की आबादी के लिए बसाए गए शिमला शहर की आबादी करीब ढ़ाई लाख तक तक पहुंच गई है। हालांकि इस दौरान शिमला नगर निगम का दायरा भी सरकार ने बढ़ाया है, बावजूद इसके शिमला की विकास योजना न होने की वजह से 2016 से लोग लगातार एनजीटी के आदेशों से प्रभावित हो रहे हैं।

फ्लैट खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे लोग

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एनजीटी के आदेशों से शिमला के प्लानिंग एरिया में निर्माण गतिविधियां लगभग ठप हैं। लाखों के प्लाट खरीद कर इसमें ढ़ाई अथवा तीन मंजिल भवन निर्माण के बजाय लोग फ्लैट खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। नतीजतन फ्लैट के दाम आसमान छूने लगे हैं। निर्माण कार्यों को लेकर एनजीटी के सख्त आदेशों से लोगों को राहत प्रदान करने के मकसद से सरकार ने शिमला विकास योजना को लगभग तैयार कर लिया है। इसके मसौदे के मुताबिक कोर एरिया में तो ढ़ाई मंजिल तक ही निर्माण की अनुमति होगी, मगर गैर कोर एरिया अर्थात सर्कुलर रोड से बाहर के क्षेत्रों में पार्किंग फ्लोर, तीन मंजिल व एटीक के निर्माण की अनुमति लोगों को मिलेगी।

NGT’s mess over in Shimla-17 ग्रीन बैल्ट एरिया है शहर में

शिमला में 17 ग्रीन बेल्ट एरिया हैं। इन क्षेत्रों में साल 2000 से निर्माण पर पाबंदी है। शिमला विकास योजना में ग्रीन बेल्ट में भी निर्माण की अनुमति देने का प्रस्ताव है। खासतौर पर ऐसी ग्रीन बेल्ट जहां दोनों तरफ तो मकान बने हैं, मगर निर्माण पर पाबंदी के बाद इनके मध्य में प्लाट धारक मकान नहीं बना सकता। साथ ही ग्रीन बेल्ट में ऐसे प्लाट जिनमें कोई पेड़ पौधा नहीं भवन निर्माण की अनुमति मिल सकती है। शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने इस मुद्दे पर संपर्क करने पर कहा कि शिमला विकास योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

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