New research on the eyes of the deceased-कहते हैं कि किसी की भी मृत्यु से पहले मृत व्यक्ति के शरीर में सबसे कम समय तक आंखें ही इस लायक रहती हैं कि उससे किसी दूसरे व्यक्ति की मदद हो सके। कहा जाता है कि मौत के 4-6 घंटे के अंदर, आखें निकाल लेनी चाहिए, नहीं तो वह खराब हो जाती हैं. खराब होने के बाद आंखे किसी के भी काम नहीं आतीं. जबकि गुर्दे या लिवर जैसे अंगों को घंटों बर्फ में रखा जा सकता है. उटाह यूनिवर्टिसी (University of Utah) जॉन ए. मोरन आई सेंटर में, पोस्टडॉक्टोरल रिसर्चर फातिमा अब्बास का कहना है कि हम मानव मैक्युला (Macula) में फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं (Photoreceptor Cells) को ठीक करने में सफल रहे हैं. इन कोशिकाओं से हमें केंद्रीय दृष्टि (Central Vision) मिलती है और हम बारीक चीजें और रंगों को देख पाते हैं. इंसान की मौत के पांच घंटे बाद मिली आंखों में, इन कोशिकाओं ने तेज रोशनी, रंगीन रोशनी और प्रकाश की बहुत कम चमक पर प्रतिक्रिया दी.
इस तरह की नयी खोज
फातिमा अब्बास नेचर जर्नल (Nature journal) में प्रकाशित एक नए शोख की मुख्य लेखक हैं. इस शोध का मकसद यह पता लगाना था कि न्यूरॉन्स (Neurons) कैसे मरते हैं और उन्हें पुनर्जीवित (Revive) करने का क्या तरीका है. केंद्रीय तंत्रिका तंत्र Nervous System) के लिए एक मॉडल के तौर पर, टीम ने मानव रेटिना (Retina) का इस्तेमाल करते हुए, कई खोज कीं शोधकर्ता शुरुआत में फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं को रिवाइव करने में सफल थे, लेकिन ऑक्सीजन की कमी के चलते ठीक से काम नहीं कर पा रहे थे. इसलिए शोधकर्ताओं ने, मोरन आई सेंटर के वैज्ञानिक फ्रैंस विनबर्ग (Moran Eye Center scientist Frans Vinberg) के साथ मिलकर ऑक्सीजन की कमी से होने वाले नुकसान को दूर करने का एक तरीका खोजा. उन्होंने इसके लिए एक खास ट्रांसपोर्टेशन यूनिट बनाई, जो व्यक्ति की मौत के 20 मिनट के अंदर ली गई आंखों में ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्वों को रीस्टोर (Restore) कर सकती है.
ज़िंदा आंखों में Electrical Activity
इतना ही नहीं, उन्होंने एक और डिवाइस बनाया, जो इन रेटिना को विद्युत गतिविधि (Electrical Activity) उत्पन्न करने और आउटपुट को मापने के लिए स्टिम्यूलेट कर… जीवित आंखों में, बी तरंगें (b wave) एक तरह का इलेक्ट्रिकल सिगनल है जो रेटिना की अंदरूनी परतों के स्वास्थ्य से जुड़ा होता है.
New research on the eyes of the deceased
इसलिए निकाली गई आंखों में उन्हें उत्तेजित करना वास्तव में ज़रूरी है. इसका मतलब यह है कि मैक्युला की परतें फिर से संचार कर रही थीं, ठीक उसी तरह जैसे वे तब करती हैं जब हम जीवित होते हैं, जिससे हमें देखने में मदद मिलती है. फ्रैंस विनबर्ग का कहना है कि पहले अंगदाताओं की आंखों में बहुत सीमित इलेक्ट्रिकल …
एक्टिविटी को रीस्टोर किया था, लेकिन यह मैक्युला में कभी नहीं किया गया.