Love In Shimla- फिल्म खासी चर्चा में रही। ब्लॉक बस्टर थी। गाने, पटकथा, रोमांस, कॉमेडी सारे तत्वों को लिए हुए थी। मतलब तकनीकी और शैली पक्ष दोनों मजबूत। अन्य कारणों से भी यह फिल्म चर्चा में रही। इसी फिल्म से जॉय मुखर्जी और साधना का फिल्मों में डेब्यू हुआ। साधना को तो पहली फिल्म के प्रोड्यूसर से प्यार हो गया और बाद में उन्होंने शादी भी कर ली। यह शादी करवाने वाले बिचौलिए कोई और नहीं बल्कि राजकपूर थे। जब साधना के नैन प्रोड्यूसर से भिड़े तो वह नाबालिग थीं। उनके वयस्क होने तक इंतजार किया गया। चूंकि उनकी कजिन बबीता राजकपूर की बहू थीं, इस नाते राजकपूर बिचौलिए बन बैठे।
Love In Shimla
Love In Shimla वर्ष 1960 में रिलीज़ हुई थी। इसी फिल्म का गाना जब गेयटी थियेटर में शूट किया जा रहा था तो साधना का डांस देखकर फिल्म के प्रोड्यूसर आरके नैयर मर मिटे। रही हीरो की बात तो इस फिल्म से जॉय मुखर्जी की केमिस्ट्री साधना से ऐसी बनी कि बाद में उन्हें ‘एक मुसाफिर एक हसीना’ फिल्म में भी रिपीट किया। लेकिन जॉय मुखर्जी के भविष्य की उम्मीद जैसी लगाई जा रही थी, उनका करिअर उतना चला नहीं। वह शशाधर मुखर्जी के सबसे छोटे बेटे थे। पाठकों को तो पता होगा कि अशोक कुमार दादामुनि की बहन शशाधर मुखर्जी को ब्याही हुई हैं।
Joy ने बदला था फिल्मों का ट्रेंड
जॉय मुखर्जी के बैक ग्राउंड में जाने के पीछे कई कारण हैं। एक तो उस समय तक बॉलीवुड में राजेश खन्ना आ चुके थे और उन्होंने आते ही फिल्मों का ट्रेंड बदल दिया था। दर्शकों ने उन्हें नये ताजे चेहरे के कारण सिर-आंखों पर बैठाया। दर्शक लोग अपना जायका बदलना चाहते थे। वे बांग्ला नायकों से अघा चुके थे वे एक अन्य पंजाबी हीरो को भी देखना चाहतो क्योंकि धर्मेंद्र को तो देख चुके थे। लेकिन जॉय मुखर्जी ने जिन-जिन नायिकाओं के साथ काम किया वे खूब सफल रहे। ‘लव इन टोक्यो’ में उनके साथ आशा पारेख थीं, खूब हिट रही थी फिल्म। आशा पारेख के साथ उन्होंने और भी हिट मूवीज दी हैं।
हल्की-फुल्की, रोमांटिक मूवीज के लिए जाने जाते हैं जायॅ मुखर्जी, तभी तो उनका नाम चॉकलेटी हीरो पड़ा है। उनका बांग्ला फिल्मों में भी बड़ा मकबूल नाम है।
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Love In Shimla

लव इन सीरीज को शुरू करने वाले जॉय मुखर्जी ही थे। ‘लव इन बाम्बे’ फिल्म ने उन्हें कर्जे में डुबो दिया। रिलीज भी 40 साल बाद हुई। इस फिल्म के कारण वह मुकदमेबाजी में उलझे सो अलग। अगर इस पिल्म को छोड़ दें तो बाकी की लगभग उनकी सभी फिल्में सफल ही रहीं। पहली ही फिल्म से उन्होंने हिट फिल्मों की नींव रखनी शुरू कर दी। रही साधना की बात तो ‘साधना कट’ जुल्फों का रिवाज इसी फिल्म से शुरू हुआ था। बाद में वह सबसे ज्यादा मेहनताना वसूलने वाली हीरोइनों में से एक थीं। अपने जमाने में तो इतनी पारिश्रमिक राशि अकेली वही हीरोइन लेती थीं। उन्हें मिस्ट्री गर्ल भी कहा जाता है क्योंकि राजखोसला ने जितनी भी उनके साथ मूवीज बनायीं, सस्पेंस वाली ही थीं।
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ऐसे हुई साधना कट की शुरूआत
साधना बला की खूबसूरत थीं लेकिन उनका चौड़ा माथा था, ‘लव इन शिमला’ के डायरेक्टर ने चौड़े माथे ढकने के लिए जुल्फों की एक लट गिरा दी और वही फैशन चल निकला। स्कूल-कॉलेज की लड़कियां तो इस फैशन की दीवानी ही थीं, गली-मोहल्ले भी अछूते नहीं रहे। साधना ने इसी फिल्म से एक अन्य फैशन को अपना ब्रांड बनाया। वह था चूड़ीदार पायजामे के साथ कुर्ते का सुमेल। इससे पूर्व महफिलों आदि में पुरुष लोग व मुस्लिम औरतें ही इसे पहनते थे। साधना ने इसे हिंदू औरतों में भी सम्मानजनक पहरावे के रूप में स्थापित किया। लड़कियां जो उस जमाने में पैंट, स्कर्ट आदि नहीं पहनती थीं, चूड़ीदार पायजामा उनकी पोशाकों में शामिल होने लगा। ये थे साधना होने के मायने।
बिशुद्ध रोमांटिक फिल्म है Love In Shimla

इस फिल्म में शोभना समर्थ भी थीं। शोभना समर्थ यानी नूतन और तनुजा की मां। मतलब काजोल की नानी। इसमें अजरा ने भी शिरकत की है साधना की कजिन के रूप में। अजरा को महबूब खान फिल्मों में लाये थे। उन्होंने मदर इंडिया से फिल्मों में डेब्यू किया था। फिल्म में चुपचाप रहने वाली लड़की जो सुनील दत्त को मन ही मन में प्यार करती है, उसे हिसाब-किताब पढ़ना सिखाती है। वह जो लाला के गड़बड़झाले समझाती है, वह अजरा ही है। कुल मिलाकर यह बड़ी खूबसूरत रोमांटिक फिल्म है, जिसे देखने के लिए दर्शक को मन पर बोझ नहीं डालना पड़ेगा। विशुद्ध मनोरंजन है यह फिल्म।