A private member’s bill in a parliamentary system of government is a bill (proposed law) introduced into a legislature by a legislator who is not acting on behalf of the executive branch. … The United Kingdom parliament has a long history of enacting private members‘ bills.
राज्यसभा सांसद और संघ विचारक राकेश सिन्हा ने एक ट्वीट किया है. जिसमें राम मंदिर पर प्राइवेट मेंबर बिल लाने के बारे में कहा गया है.
Will @RahulGandhi @SitaramYechury @laluprasadrjd Mayawati ji support Private member bill on Ayodhya? They frequently ask the date ‘तारीख़ नही बताएँगे ‘ to @RSSorg @BJP4India ,now onus on them to answer
— Chowkidar Prof Rakesh Sinha (@RakeshSinha01) November 1, 2018
प्राइवेट मेंबर बिल
दरअसल, किसी भी कानून को पारित कराने के लिए सबसे पहले बिल पेश किया जाता है. संसद के सदन लोकसभा और राज्यसभा में कोई बिल पेश कर पास करने के बाद ही राष्ट्रपति की सहमति मिलने से वह कानून का रूप लेता है. संसद में बिल सरकार के किसी भी मंत्री या संसद के किसी भी सदस्य के जरिए लाया जा सकता है. सरकार के मंत्री अगर बिल लाते हैं तो उसे गवर्नमेंट बिल और दूसरी स्थिति को प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में जाना जाता है.
लोकसभा और राज्यसभा में जो सांसद मंत्री नहीं है वह एक निजी सदस्य कहलाए जाते हैं. लोकसभा में ऐसे सदस्यों की ओर से जो विधेयक पेश किया जाता है, उसे निजी विधेयक या प्राइवेट मेंबर बिल के तौर पर जाना जाता है. लेकिन प्राइवेट मेंबर बिल के पारित होने की संभावना काफी कम रहती है क्योंकि इन विधेयकों का कानून का रूप लेना सरकार के रुख पर भी निर्भर रहता है. लोकसभा और राज्यसभा में हर शुक्रवार दोपहर के बाद संसदीय कार्यवाही में प्राइवेट मेंबर बिल पेश करने के लिए समय तय होता है.