ये सीक्रेट जान गए तो जिंदगी भर प्यार रहेगा बरकरार …

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अक्सर सुना है कि शादी दो रूहों का मेल है, दो परिवारों का संबंध है। हमारे समाज में शादी को ताउम्र किसी के प्रति समर्पित हो जाने के तौर पर माना जाता है। मगर मौजूदा दौर में शादी कर लेना आसान भले ही है, इसे खुशी-खुशी निबाह लेना बहुत मुश्किल है। अगर आप चाहते हैं कि आपका प्यार भी सालों-साल बरकरार रहे, उसके लिए आप दोनों को अपने बीच के रिश्ते को खंगालना होगा। समाज शास्त्र के कुछ निष्कर्ष हम आपको बता रहे हैं जो प्यार के लंबी देर तक टिके रहने की वजहें बताते हैं।

हमउम्र हो हमसफर

शादी आकर्षण मात्र नहीं है। हालांकि इस तर्क को झुठलाने वालों की कमी नहीं है कि शादी के लिये उम्र मायने नहीं रखती, लेकिन स्टडी कहती है कि उम्र सबसे ज्यादा मायने रखती है। एमोरी युनिवर्सिटी की स्टडी बताती है कि हमउम्र लोगों में रिश्ता ज्यादा देर तक टिका रहता है। जिन जोड़ों की उम्र में पांच साल का अंतर है, वहां तलाक की गुंजाइश 18 फीसदी और जहां यह अंतर बढ़कर 10 साल हो जाता है, वहां जुदा होने की गुंजाइश बढ़कर 39 फीसदी हो जाती है। यानी शादी से पहले उम्र का ध्यान भी रखें। उम्र में अधिक फासला रिश्तों में फासले न पैदा कर दे।

दोस्ती का रिश्ता

नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनोमिक्स रिसर्च की माने तो दोस्ती को शादी में बदलने वाले जोड़े सबसे सुखी जोड़े कहलाते हैं। दोस्त को साथी के रूप में पाने का मतलब है जिंदगी में बहुत कुछ हासिल कर लेना। अगर आपका पार्टनर आपका अच्छा दोस्त भी है, तब अपने रिश्ते को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए आपको जद्दोजहद से नहीं गुजरना पड़ेगा। बहुत सारा वक्त तो दोस्ती-दोस्ती में ही निकल जाएगा।

सही उम्र में शादी

यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया की एक स्टडी बताती है कि जो लोग 18 की अपरिपक्व उम्र में ब्याह रचाते हैं, उनके तलाक की गुंजाइश 60 फीसदी रहती है। जबकि जो लोग 23 साल की मैच्योर उम्र तक शादी का इंतज़ार करते हैं, वहां रिश्ता अधिक देर तक टिकता है। यानी जल्दबाजी में और कच्ची उम्र में पक्के रिश्ते की शुरुआत न करें। पहले दिलो-दिमाग को मेच्योर करें, फिर शादी के बंधन में बंधें।

हनीमून पीरियड के बाद

शादी के बाद आता है हनीमून पीरियड। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि रिश्ते में पूरी घनिष्ठता और खुमारी के साथ यह पीरियड ताउम्र नहीं चलता। इसकी उम्र साल के लगभग होती है। यानी इस साल के बाद प्यार के साथ-साथ व्यवहार में परिपक्वता शामिल कर लें। हनीमून के बाद का जीवन आपकी आदतों और स्वभाव का गुलाम होगा ना कि प्यार का।

नहीं मिलता नेचर..

शादी से पहले एक-दूसरे की खूबियां और अच्छाई ही देखी। मगर शादी के बाद समय है साथी के विपरीत स्वभाव को जानने का। न सिर्फ जानने का, बल्कि उसे अपनाने का। आपको लगेगा कि आपकी प्राथमिकताएं अलग-अलग हैं। काम करने का तरीका, दुनिया के प्रति नज़रिया, सब अलग। लेकिन यही अलहदा स्वभाव ही तो आकर्षित करता है और यही प्रेम रूपी पौधे की खुराक है। हालांकि यह इतना भी आसान नहीं है, इसके लिये मैच्योरिटी और पेशेंस ( matuarity and patience ) बहुत ज़रूरी है।

सुख दुख के साझी बनें…

सीक्रेट्स अच्छे हैं लेकिन बहुत ज्यादा सीक्रेट्स रिश्तों में इनसिक्योरिटी ले आते हैं। साथी पर भरोसा करें कि वह आपके दुख-दर्द में, सुख में साथ ज़रूर देगा।  रिसर्च कहती है कि जो कपल अपने दुख-सुख साथ-साथ मिलकर मनाते हैं, वे बेहद सुखी रहते हैं। आपके साथी की प्रमोशन की खबर, सैलरी बढ़ने की खबर, कोई लंबित काम सिरे चढ़ने की खबर-सब खुशियां मिलकर मनाएं। ऐसे ही दुख भी बांटे। दुख बांटने का मतलब है साथी को हौसला दें, उसे लगे कि जिंदगी में कोई तो है जो मुसीबत के वक्त उसके साथ खड़ा है।

काम में हाथ बंटायें

कामयाब शादीशुदा जोड़ों पर किये गए सर्वे बताते हैं कि सफल शादी में घरेलू कामकाज करना भी अहम भूमिका निभाता है। मिलजुलकर काम करने से दोनों का समय बचेगा और काम भी सुव्यवस्थित तरीके से निपटेगा। इसमें अहम भी नहीं आएगा।

( Everybody wants to have a happy marriage. Unfortunately, on average, marriages get less happy with time)

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