Internet Addiction In Children- आपके बच्चे कहीं दिन भर फोन और गैजेट में तो नहीं फंसे रहते? ऑनलाइन क्लास के बाद वे क्या खेलते या लि्खते -पढ़ते हैं ? सोने से पहले या देर रात तक उनके हाथ में क्या मोबाइल रहता है? कौन सी गेम खेलते हैं, क्या नेट पर सर्च करते हैं और कितनी देर स्क्रीन पर उनकी प्रेजे़ेंस है, ये सब बातें शायद बहुत से पेरेंटस नोटिस करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि आपके बच्चे ने इंस्टाग्राम पर, फेसबुक पर या अन्य किसी चैट एप पर सीक्रेट नाम से कोई अकाउंट भी बना रखा है? अगर नहीं पता है तो सावधान हो जायें और सीक्रेटली खंगाले उसका फोन।
क्या कहता है राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्ययन के मुताबिक, देश में 10 साल की उम्र के 37.8 फीसदी बच्चों का फेसबुक अकाउंट है। इसी आयुवर्ग के 24.3 फीसदी बच्चे इंस्टाग्राम पर सक्रिय हैं। एनसीपीसीआर का कहना है कि यह विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा निर्धारित मानदंडों के विपरीत है। अध्ययन के मुताबिक, जहां 29.7 फीसदी बच्चों को लगता है कि महामारी का बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। वहीं 43.7 फीसदी का मानना है कि इसका मिला-जुला असर है।
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Internet Addiction In Children-अकाउंट बनाने के लिए इतनी है उम्र की सीमा

बता दें कि फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अकाउंट खोलने के लिए न्यूनतम आयु 13 साल निर्धारित है। मोबाइल फोन और दूसरे डिवाइस के इस्तेमाल का बच्चों पर होने वाले असर को लेकर एनसीपीसीआर ने यह अध्ययन करवाया है।
ऐसे बनाते हैं सोशल मीडिया तक पहुंच
एनसीपीसीआर ने बताया, ‘उसके अध्ययन में पाया गया है कि 10 साल की उम्र के बहुत ज्यादा बच्चे सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। 10 साल की उम्र के करीब 37.8 फीसदी बच्चों का फेसबुक अकाउंट है तथा इसी आयुवर्ग के 24.3 फीसदी बच्चे इंस्टाग्राम पर सक्रिय हैं। एनसीपीसीआर के इस अध्ययन में एक दिलचस्प बात यह सामने आई है कि ज्यादातर बच्चों की अपने माता-पिता के मोबाइल फोन के जरिए सोशल मीडिया और इंटरनेट तक पहुंच है। बता दें कि इस अध्ययन में कुल 5,811 लोग प्रतिभागी शामिल थे। इनमें 3,491 बच्चे, 1534 अभिभावक, 786 शिक्षक और 60 स्कूल थे.
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Internet Addiction In Children-बच्चों के लिए नहीं है अच्छा कंटेंट
कोरोना महामारी के दौरान आए सर्वे में कहा गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई तरह का कंटेंट होता है, जिनमें से बहुत सारे कंटेंट बच्चों के लिए न तो उपयुक्त होते हैं और ना ही उनके अनुकूल होते हैं। इनमें से कुछ कंटेंट हिंसक या अश्लील से लेकर ऑनलाइन दुर्व्यवहार और बच्चों को डराने-धमकाने से संबंधित भी हो सकते हैं। इसलिए, इस संबंध में, उचित निरीक्षण और कड़े नियमों की आवश्यकता है।