रामदेव पर राजद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग, नाराज़ IMA ने लिखी पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी

RANDEV

Indian Medical Association (IMA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर रामदेव पर राजद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की है। आईएमए ने मांग की है कि कोविड-19 के उपचार के लिए सरकार के प्रोटोकॉल को चुनौती देने तथा टीकाकरण पर दुष्प्रचार वाला अभियान चलाने के लिए योगगुरु रामदेव पर तत्काल राजद्रोह के आरोप में मामला दर्ज होना चाहिए। Modern medical practice से इलाज करने वाले डॉक्टरों के प्रमुख संगठन ने रामदेव को मानहानि का नोटिस भी भेजा है। संघ ने उनसे 15 दिन के अंदर माफी मांगने को कहा है। उसने कहा है कि ऐसा नहीं होने पर वह उनसे 1,000 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति राशि मांगेगा।

रामदेव पर राजद्रोह चलाने की मांग क्यों ?

IMA ने पत्र में कहा कि यह बड़ी संतोषजनक बात है कि देश में टीकों की दोनों खुराक ले चुके केवल 0.06 प्रतिशत लोगों को कोरोना वायरस का ‘मामूली’ संक्रमण हुआ और टीका लगवा चुके लोगों को फेफड़ों में अत्यंत गंभीर संक्रमण होने के मामले ‘बहुत दुर्लभ’ रहे।

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यह था रामदेव का बयान

चिकित्सक संघ ने अपने पत्र में लिखा, ‘….हम बड़े दुख के साथ आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं कि सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि टीके की दोनों खुराक लेने के बाद भी 10,000 डॉक्टरों की मौत हो गयी और एलोपैथिक दवाएं लेने के कारण लाखों लोगों की मौत हो गयी, जैसा कि पतंजलि प्रोडक्ट्स के मालिक श्री रामदेव ने कहा है।’

odern medical practitioners नाराज़

इसमें कहा गया, ‘हम Modern medical practitioner के प्रतिनिधि कहना चाहते हैं कि हम उपचार में आईसीएमआर या राष्ट्रीय कार्यबल के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों तथा प्रोटोकॉलों का पालन करते हैं। अगर कोई दावा कर रहा है कि एलोपैथिक दवाओं से जानें गयीं तो यह मंत्रालय को चुनौती देने का प्रयास है जिसने प्रोटोकॉल जारी किया।’ आईएमए ने आंकड़े देते हुए कहा कि कपटपूर्ण तरीके से टीके की दोनों खुराकें लेने के बाद भी 10,000 लोगों के मरने की बात करना जनता तक टीकाकरण को पहुंचाने के प्रयासों को बाधित करने का प्रयास है और इसे तत्काल रोकना होगा।

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रामदेव पर राजद्रोह की मांग लेकिन आयुर्वेद का सम्मान

उसने यह भी कहा कि आईएमए चिकित्सा की सभी प्रणालियों, विशेष रूप से आयुर्वेदिक दवाओं की भारतीय प्रणाली का सम्मान करता है। ‘हम आपसे अपील करते हैं कि अपने कंपनी के उत्पादों के निहित स्वार्थ के चलते टीकाकरण पर डर का संदेश फैलाने वाले तथा भारत सरकार के उपचार प्रोटोकॉलों को चुनौती देने वाले लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करें। हमारे विचार से यह स्पष्ट रूप से राजद्रोह का मामला है और ऐसे लोगों पर बिना किसी देरी के राजद्रोह के आरोपों में मुकदमा दर्ज होना चाहिए।’

रामदेव ने वापस ले लिया था अपना बयान

उल्लेखनीय है कि रामदेव ने वायरल हुए वीडियो में जारी अपने बयान को रविवार को वापस ले लिया था। इसमें उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल कुछ दवाओं पर सवाल उठाते हुए और यह कहते सुना जा सकता है कि ‘कोविड-19 के इलाज में एलोपैथिक दवाएं लेने की वजह से लाखों लोग मर गये।’