जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों ने जिस ड्रोन को विस्फोटकों के साथ (Explosives in Drone) मार गिराया था, इस मामले में अहम खुलासा हुआ है। यूटी के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने रविवार को कहा कि भारत-पाक सीमा पर ड्रोन के जरिए (drone attack with IED) गिराया गया आईईडी जम्मू क्षेत्र के भीड़-भाड़ वाले बाजार में विस्फोट करने के लिए था और यह दिखाता है कि पाकिस्तान फरवरी में हुए संघर्षविराम समझौते के बावजूद विभिन्न आतंकी समूहों तक अपनी supply chain बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
आतंक का नया मॉडल
सिंह ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों के पास हथियारों और गोला-बारूद की कमी हो गई है, क्योंकि पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकवादी समूहों के सक्रिय सदस्यों के मॉड्यूल के कई लोगों को गिरफ्तार कर इसे रोकने में कामयाबी हासिल की है।
Explosives in Drone-ड्रोन से सप्लाई चेन बढ़ा रहा आतंकी देश
उन्होंने कहा, ‘पिछले साल सितंबर से पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित कुछ तत्व हथियार, गोला-बारूद और यहां तक कि नकदी गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि आतंकवादी समूहों की मांगों को पूरा किया जा सके।’
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23 जुलाई को मार गिराया था ड्रोन

Explosives in Drone
जम्मू कश्मीर पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जम्मू क्षेत्र के कानाचक इलाके में पाकिस्तान से आए एक ड्रोन को 23 जुलाई को मार गिराया था। सिंह ने बताया कि ड्रोन में आईईडी था जिसका वजन पांच किलोग्राम था जो इस्तेमाल करने के लिए लगभग तैयार था। पुलिस महानिदेशक ने कहा कि खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिया है कि जैश-ए-मोहम्मद आतंकी समूह इससे जम्मू में भीड़-भाड़ वाली जगह पर विस्फोट करना चाहता था ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग हताहत हो सकें।
इससे पहले सीमा के आस-पास के इलाकों में कई बार सेना और सुरक्षाबलों ने उड़ते हुए ड्रोन को मार गिराया या भगा दिया था। ऐसी घटनाएं काफी वक्त से सीमाई इलाकों में देखी जा रही है । जिसके बाद सुरक्षाबल चौकन्ने हैं। यहां तक कि इलाके में ड्रोन या इससे जुड़े उपकरण बेचने पर भी पाबंदी लगा दी गई है।