How To Rehabilitate Orphan Children-भारत में अनुमानत: 15 से 20 लाख बच्चों के सड़कों पर रहने को लेकर चिंता जताते हुए एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि कुछ राज्य सरकारों के उदासीन रवैये की वजह से उनकी पहचान कर पुनर्वास करना करना मुश्किल हो रहा है।उन्होंने कहा कि इसके बावजूद करीब 20 हजार ऐसे बच्चों की पहचान वेब पोर्टल के जरिये की गई और उनका पुनर्वास किया जा रहा है। भारत में सड़कों पर रह रहे बच्चों की स्थिति पर कानूनगो ने कहा कि सड़क पर रह रहे बच्चों के लिए वेब पोर्टल ‘बाल स्वराज्य’ बनाया गया है जहां पर उनकी जानकारी अपलोड की जा सकती है और उनपर नजर रखने के साथ उनके पुनर्वास के लिए कार्य किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अबतक करीब 20 हजार ऐसे बच्चों की पहचान की गई है जो पुनर्वासित किए जाने की प्रक्रिया में हैं। सड़क पर रहे बच्चों के पुनर्वास के लिए पोर्टल का विचार वर्ष 2019 में आया था लेकिन इसका इस्तेमाल कोविड-19 से प्रभावित बच्चों के लिए भी किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘गत तीन-चार महीने से हम इस पोर्टल का इस्तेमाल सड़क पर रहे बच्चों की पहचान और पुनर्वास के लिए भी कर रहे हैं।”
पहचान हो प्रभावी

वरिष्ठ अधिकारी ने हालांकि अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य ऐसे बच्चों का पुनर्वास और उनकी पहचान करने का कार्य प्रभावी तरीके से नहीं कर रहे हैं। कानूनगो ने कहा, ‘‘राज्य उतना प्रभावी तरीके से काम नहीं कर रहे हैं जितना उन्हें करना चाहिए। हम यथाशीघ्र काम करना चाहते हैं। राज्यों पर यह कार्य तत्काल करने के लिए दबाव डाला जाना चाहिए। मध्य प्रदेश और कुछ क्षेत्रों में पश्चिम बंगाल ने उनके पुनर्वास के लिए अच्छा काम किया है, लेकिन दिल्ली और महाराष्ट्र कुछ नहीं कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की अकर्मण्यता के कारण केवल 1,800 बच्चों को ही पुनर्वास की प्रक्रिया में लाया गया है जबकि दो साल पहले हमें बताया गया था कि दिल्ली की सड़कों पर करीब 73 हजार बच्चे रह रहे हैं।
How To Rehabilitate Orphan Children
कानूनगो का आकलन है कि इस समय भारत में 15 से 20 लाख बच्चे सड़कों पर जीवनयापन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ हमने तीन तरह के सड़क पर रहने वाले बच्चों को पाया। पहले वे जो अपने घरों से भागकर आए हैं या परिवार से उन्हें छोड़ दिया है और वे अकेले रह रहे हैं। दूसरी श्रेणी उन बच्चों की है जो सड़क पर अपने परिवार के साथ रह रहे हैं और उनका परिवार सड़कों पर रह रहा है जबकि तीसरी श्रेणी उन बच्चों की है जो नजदीकी झुग्गियों में रहते हैं और दिन सड़क पर बिताते हैं व रात अपने घरों को चले जाते हैं।”
योजना क्या है?
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने तीनों श्रेणियों के बच्चों के पुनर्वास के लिए योजना बनाई है। उन्होंने कहा, ‘‘इन श्रेणियों के बच्चों का पुनर्वास अलग-अलग तरह का है।उदाहरण के लिए जो बच्चे अकेले रहते हैं, उन्हें बाल गृह में रखा जाता है, जो परिवार के साथ झुग्गियों में रहते हैं उन्हें उनके परिवारों के साथ कल्याणकारी योजनाओं से जोड़कर पुनर्स्थापित किया जाता है। वहीं, जो बच्चे अपने परिवार के साथ सड़क पर रहते हैं और इनमें से अधिकतर बेहतर अवसर के लिए गांवों से शहरों में आए हैं, उन्हें हम उनके गांवों में जीवनयापन करने के लिए कल्याणकारी योजनाओं से जोड़कर वापस भेजने की कोशिश करते हैं।” कानूनगो ने बताया कि बाल अधिकार के शीर्ष निकाय ने छह स्तरीय पुनर्वास की योजना बनाई है।
How To Rehabilitate Orphan Children
उन्होंने बताया, ‘‘पहला बच्चे को बचाव और बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष उसे पेश करना, बच्चे की सामाजिक जांच रिपोर्ट तैयार करना, तीसरा व्यक्ति की देखभाल की योजना बनाना, उसके बाद समिति पुनर्वास की सिफारिश करती है कि बच्चा कहां जाएगा, पांचवां बच्चे को कल्याणकारी योजना से जोड़ना और छठा बच्चे पर नजर रखा।” कानूनगो ने बताया कि सड़क पर रहने वाले बच्चों की पहचान और उनके पुनर्वास के मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय में चल रही है और पिछली सुनवाई में अदालत ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पुनर्वास नीति के सुझावों पर अमल का निर्देश दिया था। कानूनगो ने कहा कि यह केवल कागज पर नहीं होना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होनी है।