Himachal Towards Green Energy : 100 मेगावाट के प्रोजेक्टों के आवंटन शुरू, 30 मेगावाट के प्रोजेक्ट सिर्फ हिमाचली युवाओं को

Himachal Towards Green Energy
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Himachal Towards Green Energy-हरित हिमाचल के लक्ष्य को हासिल करने के प्रयासों में जुटी सुखविंदर सरकार ने राज्य में सौर ऊर्जा प्रोजेक्टों की स्थापना की कवायद तेज कर दी है। सौर ऊर्जा क्षमता के दोहन में तेजी लाने के लिए सरकार ने 100 मेगावाट क्षमता के प्रोजेक्टों के लिए उद्यमियों से आवेदन मांगे हैं। इनमें से 30 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा प्रोजेक्टों के लिए केवल हिमाचल के युवा ही आवेदन कर सकेंगे। बाकी की 70 मेगावाट क्षमता के दोहन के लिए बाहरी राज्यों के उद्यमी भी आवेदन कर सकते हैं। अलबत्ता बाहरी राज्यों के उद्यमी एक मेगावाट क्षमता से कम के सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे। सौर ऊर्जा दोहन के लिए बाहरी राज्यों के उद्यमियों को भी आवेदन करने की छूट देने से साफ है कि सरकार इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की कोशिश में है।


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राज्य सरकार ने हिम ऊर्जा को इस साल 100 मेगावाट सोलर पावर प्लांट लगाने का लक्ष्य दिया है। लक्ष्य को हासिल करने के लिए अब कोई भी व्यक्ति चाहे वह हिमाचल के बाहर का ही क्यों न हो वह भी प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए आवेदन कर सकता है। 100 मेगावॉट सोलर पावर प्लांट में 30 मेगावाट हिमाचली उद्यमी को मिलेगा। एक से 5 मेगावाट तक प्लांट सबके लिए ओपन होंगे। सोलर पावर प्रोजेक्ट के लिए हिम ऊर्जा 6 मार्च से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया को शुरू करेगा जो 15 मार्च तक जारी रहेगी।

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हिमाचल में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने हिम ऊर्जा को अगले 1 साल के भीतर 100 मेगावाट सोलर पावर प्लांट लगाने का लक्ष्य दिया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नियमों में भी छूट दी गई है। लोग सोलर पावर प्लांट लगाकर खुद की बिजली पैदा कर सकेंगे और उसे बिजली बोर्ड को बेचकर पैसा कमा सकेंगे। इससे एक तरफ जहां ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलेगा वहीं यह लोगों के लिए भी रोजगार का अच्छा जरिया बनेगा। एक मेगावाट सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए करीब 4 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। 500 किलोवॉट सोलर पावर प्रोजेक्ट पर दो से ढाई करोड़ रुपए का निवेश अनुमानित है।

हिमाचल में 33000 मेगावाट सौर ऊर्जा की क्षमता

राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान ने प्रदेश में 33 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता को आकलन किया है। अभी तक इसमें से महज 40 मेगावाट का ही दोहन किया जा सका है। एक मेगावाट सौर ऊर्जा के दोहन के लिए 5 से 7 करोड़ की रकम चाहिए। जाहिर है कि सौर ऊर्जा दोहन में तेजी लाकर सरकार राज्य में निवेश बढ़ा सकती है। सतलुज जल विद्युत निगम भी प्रदेश के काजा में 800 मेगावाट से अधिक का सौर ऊर्जा पलांट लगाने की कोशिश में है।