Himachal Assembly Elections 2022-अनदेखी से नाराज़ आनंद शर्मा ने छोड़ा हिमाचल प्रदेश संचालन समिति के अध्यक्ष का पद, यह है वजह
हिमाचल में विधानसभा चुनाव (Himachal Assembly Elections 2022) से ठीक पहले कांग्रेस में रार कम नहीं हो रही है. कांग्रेस में अनदेखी के चलते जहां दो विधायकों ने कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का दामन थामा. वहीं, अब कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश इकाई की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा (himachal pradesh steering committee congress president) दे दिया है.
26 अप्रैल को हुआ था कमेटी का गठन
26 अप्रैल को कांग्रेस आलाकमान द्वारा आनंद शर्मा को विधानसभा चुनावों को देखते हुए हिमाचल प्रदेश संचालन समिति के अध्यक्ष नियुक्ति किया गया था, लेकिन इसके बाद हिमाचल में बैठकों को नहीं बुलाया जा रहा था.
शिमला में 7 अगस्त को कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक (Congress core committee meeting) हुई थी, जिसमें पर्यवेक्षक भूपेश बघेल और सचिन पालयट भी पहुंचे थे, लेकिन आनंद शर्मा को इस बैठक में नहीं बुलाया गया.
नहीं हुलाया जा रहा था बैठकों में
इससे पहले भी दिल्ली में हुई बैठक में उन्हें नहीं बुलाया गया था. इन बैठकों में सभी प्रमुख कमेटियों के अध्यक्षों को बुलाया जाता है, लेकिन लगातर आनंद शर्मा को अनदेखा किया जा जा रहा था जबकि आनंद शर्मा हिमाचल से ही संबंध रखते हैं और हर बार चुनावों में उन्हें अहम जिम्मेदारी दी जाती रही है. इस बार भी उन्हें संचालन समिति का अध्यक्ष (steering committee himachal assembly elections) बनाया गया था, इस समिति में प्रदेश के 10 नेताओं को शामिल किया गया था. बता दें कि इसी साल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा का राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हुआ था. वे हिमाचल से कांग्रेस से राज्यसभा भेजे गए थे.
हिमाचल प्रदेश संचालन समिति के अध्यक्ष -क्या है संचालन समिति का कार्य

इस समिति का कार्य चुनावों को लेकर रणनीति बनाना है और प्रबंधन करना है. इसके साथ ही इस समिति का कार्य अन्य कमेटियों पर नजर रखना और फीडबैक लेना का काम था, लेकिन इस कमेटी का अध्यक्ष होने केबावजूद उन्हें बैठकों में नहीं बुलाया जा रहा था जिसके चलते उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. सोनिया गांधी को लिखे पत्र में भी आनंद शर्मा ने चुनावों को लेकर होने वाली बैठकों के बारे में सूचित न करने की बात कही है.कमेटी में ये लोग थे शामिल: कांग्रेस आलाकमान ने 26 अप्रैल को हिमाचल संचालन समिति का गठन किया था, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा (Former Union Minister Anand Sharma) के नेतृत्व में समिति का अध्यक्ष बनाया गया था. इसमें आशा कुमारी, धनीराम शांडिल, कुलदीप राठौर, विप्लव ठाकुर, हर्षवर्धन चौहान, रामलाल ठाकुर, चंद्र कुमार और सुरेश चंदेल को सदस्य बनाया गया है. स्टीयरिंग कमेटी में प्रतिभा सिंह (Himachal Congress President Pratibha Singh), नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (Leader of Opposition Mukesh Agnihotri) और सुखविंद्र सिंह सुक्खू स्थायी आमंत्रित सदस्य होंगे, उनके इस कदम को कांग्रेस के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, समझा जा रहा है कि शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा है कि उनके स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं किया जा सकता और उन्होंने पार्टी की हिमाचल इकाई की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है.
गुलाम नबी आजाद भी छोड़ चुके हैं जम्मू-कश्मीर कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष का पद
शर्मा से पहले जी23 समूह के एक अन्य नेता गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे चुके हैं. शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष से कहा है कि परामर्श प्रक्रिया में उनकी अनदेखी की गई है. हालांकि, उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वह राज्य में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करना जारी रखेंगे. पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता शर्मा को 26 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में पार्टी की संचालन समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था.
आजाद और शर्मा, दोनों ही जी23 समूह के प्रमुख नेता हैं, जो पार्टी नेतृत्व के फैसलों की आलोचना करने से नहीं चूके हैं. भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मनीष तिवारी सहित कई अन्य दिग्गज नेताओं वाला यह समूह ब्लॉक से लेकर केंद्रीय कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) स्तर तक सही तरीके से चुनाव कराने पर जोर दे रहा है. हिमाचल प्रदेश के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शुमार शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष को भेजे अपने पत्र में कथित तौर पर कहा है कि उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंची है, क्योंकि उनसे पार्टी की किसी भी बैठक के लिए परामर्श नहीं किया गया और न ही उन्हें उनमें आमंत्रित किया गया. शर्मा ने पहली बार 1982 में विधानसभा चुनाव लड़ा था। 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें राज्यसभा भेजा था. वह तभी से राज्यसभा सदस्य हैं और पार्टी में कई प्रमुख पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं.