Growing craze of microgreens–माइक्रोग्रीन का प्रचलन भारत में तेजी से बढ़ा है। सौंफ, मेथी, धनिया, तुलसी, पुदीना आदि की भारतीय रसोई में खास जगह रही है। आप अपनी छत, बरामदे और गमलों में भी इन्हें जगह देकर अपना खुद का गार्डन तैयार कर सकते हैं और ताजी हरी सब्जियों और औषधीय पौधों को अपने परिवार की सेहत के लिए इस्तेमाल में ला सकते हैं। यह करना बहुत आसान है और कुछ ही दिनों में माइक्रोग्रीन्स तैयार हो जाते हैं।
क्या होते हैं माइक्रोग्रीन्स?

माइक्रोग्रीन्स पौधों की वो अवस्था है जब उनमें शुरुआती पत्तियां आती हैं। यानि अंकुरित होने के बाद जब तना, पत्तियां विकसित होते हैं और उनकी लंबाई 4-5 इंच होती है। एक विकसित पौधे की पत्तियों की तुलना में माइक्रोग्रीन्स में लगभग पांच गुना अधिक पोषक तत्व होते हैं। ऐसे पौधों को अधिक रख-रखाव की जरूरत नहीं होती। कम समय में भी इनकी देखभाल की जा सकती है। इन्हें जरूरत है तो बस थोड़ी सी धूप, पानी, रोशनी, हल्की मिट्टी और पत्तियों की खाद की। इनमें से कुछ पौधों को आप कांच की बोतल या छोटे गमलों में भी लगा सकते हैं।’ दो सप्ताह की अवधि के युवा पौधे यानी माइक्रोग्रीन, खासतौर पर फ्लेवर और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। माइक्रोग्रीन को आप साल भर उगा सकते हैं और ये 7 से 10 दिन में तैयार भी हो जाते हैं। इन्हें कम पानी की जरूरत होती है।
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Growing craze of microgreens-माइक्रोग्रीन से क्या फायदा है?

इन पौधों को आप अपनी जरूरत के अनुरूप लगा सकते हैं। पौधों को आने खानपान में जितना ताजा इस्तेमाल में लाया जाए, उतना ही बेहतर होता है। फसल के रूप में कटाई होने और सेवन में देरी होने पर उनके पोषक तत्वों में कमी आती रहती है। इन पौधों में विटामिन, मिनरल, एंटीऑक्सीडेंट व फाइटोन्यूट्रिएंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। इन औषधियों के नियमित सेवन से संक्रमण, सूजन, जलन, मोटापे और जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।
कैसे विकसित होते हैं माइक्रोग्रीन्स?

धनिया, सरसों, तुलसी आदि के पौधे इनके बीजों से तैयार होते हैं। एक छोटे गमले या कंटेनर में करीब 2 इंच मिट्टी या कोकोपीट लें। कोकोपीट का इस्तेमाल इंडोर प्लांट्स के लिए किया जाता है। कोकोपीट में ज्यादा पानी देने की भी ज़रूरत नहीं होती है। अब इन बीजों को कंटेनर में कोकोपीट में दबा दें। रोजाना हल्का पानी देते रहें और एक घंटा धूप दिखाएं। 3 से चार दिन में इनके अंकुर फूटने लगेंगे और 7-8 दिन में पौधा उगने लगता है। इस्तेमाल के लिए ये 14 दिन में तैयार हो जाते हैं। इसी तरह आप चना, मूंग, को पहले अंकुरित कर लें और फिर इन्हें गमले में डाल दें माइक्रोग्रीन तैयार हो जाएंगे। इसके अलावा धनिया, पुदीना, मूली, गाजर और प्याज भी तैयार किए जा सकते हैं। इन्हें तैयार करने के लिए इनकी गाठों को जमीन गाड़ देना चाहिए । और कुछ ही दिन बाद ताज़े-ताज़े माइक्रोग्रेन्स तैयार हो जाएंगे।
Salad में करें इस्तेमाल
माइक्रोग्रीन को तैयार करने में किसी तरह के यूरिया या कैमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है लिहाजा ये आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। वहीं परिपक्व पौधे की तुलना में माइक्रोग्रीन्स का स्वाद अधिक तीव्र होता है। आप उन्हें सलाद में जोड़ सकते हैं या सूप और सैंडविच गार्निश करने के लिए उनका उपयोग कर सकते हैं।