Goodbye to them with the year 2021- नया वर्ष 2022 आ रहा है। हर नया वर्ष कुछ नया करने का संदेश भी साथ लाता है। कुछ ऐसा करने का संदेश जिससे जिंदगी बेहतर बन सके। जिंदगी की बेहतरी की नींव हमारी सोच और आदतों से पड़ती है। तो क्यों न हम अपनी सोच और आदतों को बेहतर बनाकर नए वर्ष का स्वागत करें। ये बेहतरी हमारे जीवन को नया रंग दे सकते हैं।
फिजूल की बातों को जीवन से निकालें
हम अक्सर बहुत सारी फिजूल की बातों को सोचकर अपना समय बर्बाद करते हैं। इन बातों से कुछ हासिल नहीं होता। ऐसी बातों से हम अपनी मानसिक शांति भंग कर रहे होते हैं। साथ ही अपनी क्षमताओं का उपयोग करने वाले बहुमूल्य समय को नष्ट भी करते हैं। जीवन जीने और सपनों को साकार करने के लिए है। व्यर्थ की बातों में बर्बाद करने के लिए नहीं। तो आइए नए वर्ष की इस नवीन बेला में हम अपने मन से सारी फिजूल बातों को अलविदा कहें।
Goodbye to them with the year 2021-अहंकार को करें विदा

हम बड़े और कमाऊ होने के साथ जिद्दी भी हो जाते हैं। मसलन मैंने जो बात कही वही सही है बाकी सब गलत। या मुझसे तो कोई गलती हो ही नहीं सकती। बंगाली में एक कहावत है “बड़े होना चाहते हो तो छोटे हो जाओ।” मतलब हम विनम्र होकर ही असल मायने में बड़े हो सकते हैं। खुद को श्रेष्ठ मानने की भावना अहंकार पैदा करती है। और अहंकार हमारा सबसे बड़ा शत्रु है। अहंकारी खुद को खो देता है। जीवन भर अकेला रहता है। इसलिए अपने स्वभाव को लचीला बनाइये। गलती हो जाने पर स्वीकार कीजिये। अपने से छोटों को भी सम्मान की नजर से देखिए।
आलस्य को त्यागें
आलस्य हमारे जीवन का बहुत बड़ा बैरी है। हम इस आलस्य के कारण अपने काम टालते जाते हैं। अपने लक्ष्य से पिछड़ते भी जाते हैं। आलस्य क्या है पहले तो इसे समझ लें। आलस्य आरामतलबी है। सुख की लालसा है। मगर जीवन में लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें इस आराम तलबी को जीवन से निकालना होगा। अपना काम समय पर करना होगा। जब हमारे बाहरी कार्य समय पर होते हैं तो हमारे भीतर चलने वाले विचारों की सतत प्रक्रिया भी सही दिशा में चलती है। हम निरंतर आगे बढ़ने के बारे में सोचते हैं उसके लिए प्रयत्नशील होते हैं।
Goodbye to them with the year 2021–गुस्से को दूर भगाएं
गुस्सा या क्रोध इंसान का जितना नुकसान करता है उतना और कोई भी भावना नहीं। क्रोध में इंसान हमेशा गलत फैसले लेता है। क्रोध जीवन भर अर्जित ज्ञान को एक पल में समाप्त कर देता है। ऐसे क्रोध इंसान का कोई अकेला दुर्गुण नहीं है। इंसान के भीतर तमाम तरह के दुर्गुण होते हैं। उन सब को दूर करने की जिम्मेदारी भी हमारी है। असल में ये गुण होते हैं लेकिन जब नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं तो दुर्गुण कहलाते हैं। हम सब में ऐसी भावनाएं मौजूद रहती हैं। मगर जो उन भावनाओं को नियंत्रित कर रख पाता है वही जीवन में सही फैसले कर आगे बढ़ पाता है।
जिंदगी है तो मुश्किलें भी
सिर्फ हमारे ही जीवन में नहीं मुश्किलें तो सभी के जीवन का हिस्सा हैं। एक नन्हा बीज भी अपने ऊपर मिट्टी की कठोर अड़चन को धारण करता है और अपने प्रयास से उसे पलटकर ऊपर आता है। इसी तरह तमाम पक्षियों पशुओं के जीवन की अपनी मुश्किलें हैं। हम तो फिर भी सुविधा सम्पन्न हो चुके हैं । जबकि अन्य जीव अब भी प्राकृतिक तरीके से जीवन जीते हैं। हवा पानी दूषित होने के बावजूद उसी में रहते , उसे ही पीते हैं। हर हाल में जीवन और जीविका के लिए संघर्ष करते हैं। इस प्रेरणा को आप भी धारण कर अपने जीवन की मुश्किलों को बाय करें।
सरस्वती रमेश-साभार