Focus On The Future- नये साल का सक्सेस मंत्र- बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ

New Year 2022
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Focus On The Future-जीवन में आगे की सुध लेने के लिये बीते कल को भुलाकर भविष्य पर निगाहें रखना जरूरी है। अपनी ही जिंदगी को हर कदम पर मुड़-मुड़ कर देखना किसी भी पहलू से सही नहीं कहा जा सकता। बीते कल से जुड़ी बातों को भूलना इसीलिए भी अहम है कि समय के साथ चलने के लिए यही पहला कदम है। ऐसा कदम जो वक्त के साथ कदमताल करने की ऊर्जा देता है। बीते समय की शिकायतों से बाहर लाता है। आज के साथ सहज रहना सिखाता है। समझना ज़रूरी है कि वर्तमान को इस सहजता से जीये बिना जिंदगी के किसी भी मोर्चे पर कुछ सार्थक नहीं किया जा सकता। यूं भी नई शुरुआत के लिए पुरानी बातों को भुलाना बेहद जरूरी है। इसीलिए नये साल का स्वागत दिल से कीजिये।

वर्तमान के सदुपयोग के लिए

आने वाले कल की बेहतरी के लिए आज पर फोकस करना ज़रूरी है और आज के सही इस्तेमाल में लिए बीते कल को भुलाना। कहा भी जाता है कि भविष्य इसपर निर्भर है कि आज आप क्या करते हैं ? इसीलिए नए साल में बीते कल में जीये बातों और हालातों से बाहर आइये । वर्तमान का सदुपयोग करने के लिए इस बोझ को उतारना बेहद जरूरी है। वरना यह वजन आपके आज के जीवन की गति काम कर देता है। यूं भी बीते समय से जुड़ी बातों की पोटली को सहेजना आज के पिटारे में मौजूद अच्छी चीज़ों को देखने-समझने और जीने में बाधा बनता है। कोशिश कीजिये कि ऐसी रुकावटें आपके वर्तमान समय के सार्थक इस्तेमाल में समस्या ना बनें। जॉर्ज ऑरवेल का कहना है कि’ जो अतीत पर नियंत्रण रखता करता है उसका भविष्य भी नियंत्रित रहता है। जो वर्तमान नियंत्रित रखता है उसका अतीत भी नियंत्रित रहता है ।’

Focus On The Future

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यकीनन कल, आज और कल सब जुड़ा सा ही है। लेकिन जिंदगी कि रफ्तार को गति देने वाले समय के इस ताने-बाने की बुनावट में आपको इतना सतर्क तो रहना ही होगा कि ना बीते कल की शिकायतों की गांठ पड़े और ना ही आने वाले कल की फिक्र भरी उलझनें हावी हों। नये साल के पहले ही दिन वर्तमान के सदुपयोग के लिए आज को अच्छे से जीने की सोचें ।

भविष्य की बेहतरी के लिए

अमेरिकी लेखक बेंजामिन फ्रेंकलिन के मुताबिक़ ‘अतीत को बार-बार देखने से एक ही समस्या आ सकती है कि कहीं हमारा भविष्य भी हाथ से न निकल जाए |’ यह ख्याल जरूरी है कि बार बार मुड़कर देखना आज की दौड़ में ठोकर खाने की वजह ना बन जाए। जिंदगी में अच्छा और बुरा हर रंग समाहित है। साल के बारह महीनों में ऐसे कई रंग हमारे हिस्से आते हैं, जो कभी मन को भाते हैं तो कभी मन दुखाते हैं। लेकिन इन्हें सहेजकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता। भावी ज़िंदगी को तराशने के लिए सुखद अनुभव से सम्बल और तकलीफदेह बातों से सबक लेकर आगे बढ़ जाइये। ना बीती बातों के लिए मन असंतोष रखिए और ना ही सब कुछ कर लिया जैसी बातों का संतोष मन में आने दीजिये। भविष्य की बेहतरी के लिए सोच में ऐसा संतुलन लाना जरूरी है जो बेहतरी की राह सुझाता हो। ताकि आज की कोशिशों में कोई कमी ना आए। बराक ओबामा के मुताबिक ‘भविष्य उन लोगों को पुरस्कृत करता है जो सतत प्रयास करते हैं । मेरे पास स्वयं के लिए खेद महसूस करने के लिए समय नहीं है। मेरे पास शिकायत करने का समय नहीं है। मैं सदैव प्रयत्नशील रहता हूं ।’

बीती बातों को भूलने की हो कोशिश

आमतौर पर देखने में आता है कि अतीत का बोझ हर बीतते साल के साथ बढ़ता ही जाता है। खासकर उन लोगों का बीता हुआ कल आज पर हावी रहता है जो तकलीफदेह परिस्थितियों से जूझते रहे हों। ऐसे में बीती बातों को भूलने की कोशिश ना की जाये तो भविष्य की भी दिशा खो जाती है । खयाल रहे कि दुनियाभर में ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जो बताते हैं की कभी कभी ख़राब अतीत वाले लोग ही सबसे अच्छे भविष्य का निर्माण करते हैं ।

जीवन की सहजता के लिए

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ज़िंदगी की अपनी एक गति है। जीवन की इस पटरी पर दौड़ते हुए कभी उपलब्धियां हिस्से आती हैं तो कभी असफलताएं। लेकिन जीवन से सहजता नहीं खोनी चाहिए।बेहतरी की उम्मीद कायम रखना जरूरी है। आशाओं को संजोना और आगे बढ़ते रहने का जज़्बा जरूरी है। ऐसे में मन-मस्तिष्क को अगर चैन नहीं तो आने वाले कल के लिए सपने नहीं देखे जा सकते । इसीलिए खुद को सहज और ज़िंदगी को सरल रखने के लिए भी बीते कल से बाहर आना जरूरी है। ना तो बीते हुये समय की उलझनों और शिकायतों को लेकर आगे बढ़ा जा सकता है और ना ही अपनी उपलब्धियों के मद में जिंदगी से कदमताल की जा सकती है। जिंदगी में सहजता ना रहे तो खुद से ही संघर्ष करने वाले हालात बन जाते हैं। अपने आप को लेकर आया यह नाखुशी का भाव ना आज के लिए अच्छा है और ना ही आने वाले कल के लिए। इसीलिए जो बीत गया उसके लिए आज और आने वाले कल की बेहतरी को ना भूलें बल्कि गुजरे दौर को भुलाएं। जीवन को सहज बनाए रखने के लिए इतना भर करना काफी है ।

Focus On The Future-अपने आप से जुड़ने के लिए

बीति को बिसारना हर गुजरे हुये कल के असंतोष से बाहर आकर खुद से दोस्ती करने जैसा है।यानी जो हुआ सो हुआ पर मैं खुद मेरे साथ हूं। साथ ही आगे की सुधि लेना अपने आप का संबल बन फिर जिंदगी से जद्दोजहद करने की हिम्मत जुटाने जैसा । बीता कल भुलाए बिना ये दोनों ही बातें संभव नहीं। पुराने दिनों का बोझ अपने आप को लेकर खीझ पैदा करता है । काश, ऐसा होता या वैसा होता । उस वक्त वो न किया होता या यह किया होता।जैसे अफसोस से भरे ऐसे भावों के फेर अपने आपसे ही दूरी बन जाती है। अपराधबोध का भाव भी मन में आने लगता है। दलाई लामा का कथन है कि ‘साल में केवल दो दिन हैं जिनमें कुछ नहीं किया जा सकता । एक को बीता हुआ कल कहा जाता है और दूसरे को आने वाला कल। प्रेम, विश्वास और जीने के लिए सही दिन आज है।’ यकीनन प्यार, भरोसे और जीवन को जी भरकर जीने के मानवीय भाव औरों के लिए ही नहीं खुद के लिए भी जरूरी हैं। जो कि अपने आप से जुड़े बिना नहीं आते। बीते समय की कड़वी यादें कई बार इस जुड़ाव में बाधा बनती हैं । इसीलिए खुद में विश्वास रखते हुए यह सोचें कि बीता हुआ कल बहुत सिखाकर गया है और आने वाला समय भी नई सीख और समझाइश साथ लाएगा। बस, आज को जीते हुए हर सबक जीवन को बेहतरी की ओर ले जाये।

डॉ. मोनिका शर्मा-साभार-ट्रिब्यून