Engineering books in regional languages- सेकेंड ईयर के लिये क्षेत्रीय भाषाओं में 88 पुस्तकों पर काम शुरू किया

Engineering books in regional languages
Engineering books in regional languages


अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने क्षेत्रीय भाषाओं में डिप्लोमा एवं इंजीनियरिंग की पुस्तकें तैयार करने का प्रथम चरण का कार्य लगभग पूरा कर लिया है और अब इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के लिये 12 भाषाओं में 88 पुस्तकों पर काम शुरू कर दिया है। एआईसीटीई इसके लिये आईआईटी से जुड़े लेखकों एवं राज्य तकनीकी संस्थानों के शिक्षकों एवं अनुवादकों की सेवाएं ले रहा है । इन पुस्तकों में हर पाठ के साथ छात्रों की सुविधा के लिये क्यूआर कोड जोड़ा गया है। परिषद के अध्यक्ष अनिल सह्रस्त्रबुद्धे ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया, ‘‘ नौ क्षेत्रीय भाषाओं में डिप्लोमा व इंजीनियरिंग की प्रथम वर्ष की पुस्तकें तैयार हो गई है और अब द्वितीय वर्ष की पुस्तकें तैयार करने का काम शुरू हो गया है । ” उन्होंने बताया कि इसके तहत तीसरे और चौथे सेमेस्टर के कुछ हिस्सों पर काम चल रहा है। उल्लेखनीय है कि नयी शिक्षा नीति के अनुरूप पहले इन तकनीकी पुस्तकों का परिष्कृत स्वरूप अंग्रेजी में तैयार किया जाता है और फिर इनका क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जाता है। अधिकारियों ने बताया कि इंजीनियरिंग, डिप्लोमा द्वितीय वर्ष के लिये क्षेत्रीय भाषाओं में 88 पुस्तकों पर काम शुरू किया गया है । इसमें 42 पुस्तकें इंजीनियरिंग की और 46 पुस्तकें डिप्लोमा की हैं ।

Engineering books in regional languages

एआईसीटीई ने इसके लिये लेखकों की पहचान कर ली है जिनमें अंग्रेजी के लिये करीब 90 प्रतिशत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से हैं । इनमें आईआईटी दिल्ली, आईआईटी रूड़की, आईआईटी कानपुर, आईआईटी मुम्बई, आईआईटी मद्रास आदि शामिल है। पुस्तकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये विशेष तौर पर समीक्षकों की सेवाएं ली गई हैं । अधिकारियों ने बताया कि इसे इस वर्ष अगस्त तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है । अंग्रेजी में पूरी पुस्तक तैयार होने का इंतजार नहीं किया जायेगा बल्कि एक यूनिट पूरा होने के बाद ही इन्हें अनुवाद के लिये भेज दिया जायेगा । उन्होंने बताया कि इस संबंध में बेहतर समन्वय के लिये एक साफ्टवेयर तैयार किया गया है। एआईसीटीई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद के लिये विभिन्न राज्यों के राज्य तकनीकी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों एवं अनुवादकों की सेवाओं ली जा रही हैं । मसलन, उत्तर प्रदेश में ए पी जे अब्दुल कलाम विश्वविद्यालय, अनंतपुर स्थित राजीव गांधी प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद स्थित मौलाना अबुल कलाम आजाद उर्दू विश्वविद्यालय, पंजाब प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय आदि शामिल है।

क्यूआर कोड से मिलेगी मदद

इन पुस्तकों में छात्रों के लिये स्व मूल्यांकन का खंड रखा गया है, साथ ही हर पाठ के साथ क्यूआर कोड दिया गया । क्याआर कोड के माध्यम से छात्र प्रयोग आदि का वीडियो भी देख सकते हैं। अधिकारी ने बताया कि अगले दो वर्षो में तकनीकी पुस्तकों का क्षेत्रीय भाषा में अनुवाद करने के कार्य को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
Engineering books in regional languages- एआईसीटीई के अनुसार, नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सुझावों के अनुरूप क्षेत्रीय भाषाओं में डिप्लोमा एवं इंजीनियरिंग की पुस्तकें तैयार करने का कार्यक्रम पिछले वर्ष शुरू किया गया था । इस कार्यक्रम में प्रथम वर्ष डिप्लोमा व इंजीनियरिंग के लिये 24 पुस्तकों पर काम शुरू किया गया था । ये पुस्तकें भौतिकी, रसायन, गणित, कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग, पर्यावरण विज्ञान, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग जैसे विषयों में हैं । इसमें 2 पुस्तकें अंग्रेजी में तथा शेष 22 पुस्तकें क्षेत्रीय भाषाओं में थी । प्रारंभ में इसे 9 भाषाओं (Hindi, Odia, Marathi, Bengali, Tamil, Telugu, Kannada, Punjabi, Gujarati) में शुरू किया गया और बाद में तीन अन्य भाषा (उर्दू, मलयाली, असमिया) को जोड़ा गया । प्रथम वर्ष के लिये 9 क्षेत्रीय भाषाओं में पुस्तकें तैयार करने का काम पूरा कर लिया गया है और उर्दू, मलयाली, असमिया में काम तेजी से चल रहा है।

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