Covid19 Third Wave- बच्चों को देर तक न जागने दें, मेंटल हेल्थ को ऐसे बनाएं मज़बूत

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Covid19 Third Wave-कोरोना की तीसरी लहर को लेकर कहा जा रहा है कि यह बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इसका आधार यही माना जा रहा है कि तीसरी लहर आने तक अधिकतर वयस्क टीके की कम से कम पहली डोज ले चुके होंगे। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक होगी। विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चों को डराने के बजाय मजबूत बनाएं और अच्छा खानपान रखें।

बच्चों को डराना सही नहीं

COVID-19: Lockdown in Delhi
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करीब सवा साल से कोरोना के डर के चलते अपना बालपन छोड़ घरों में बंद बच्चों के जहन में इस तीसरी लहर का हौवा कुछ ज्यादा हावी न हो जाए, इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है। बेशक यह जरूरी है कि बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर की जाएं, साथ ही उन्हें कोरोना से लड़ने के लिए भी तैयार किया जाए। डर से तो काम ही बिगड़ेगा चाहे मामला अभिभावकों का हो या फिर बच्चों का।

Covid19 Third Wave-मास्क पहनने की आदत डलवाएं

लखनऊ के की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य कहती हैं कि तीसरी लहर आएगी और बच्चों के लिए बहुत खतरनाक होगी, यह बात प्रामाणिक नहीं है। इसलिए बच्चों को तीसरी लहर के नाम पर डराना ठीक नहीं। हां इतना जरूर करें कि बच्चों को कोरोना से लड़ने के लिए तैयार करें। कोरोना ही क्यों, अन्य सभी बीमारियों से भी लड़ने के लिए बच्चों को तैयार करना है। बेहतर इम्यून सिस्टम के लिए उनके खानपान का ध्यान रखें। मास्क पहनने की आदत डलवाएं। सोशल डिस्टेंसिंग के मायने समझाएं। हाथों की सफाई के बारे में बताएं। बाहर का खाना न दें। घर में बने पौष्टिक खाने को लेकर बच्चों में रुचि बढे इसके लिए घर में अच्छे-अच्छे और स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन बनाकर खिलाएं।

भीड़भाड़ में न ले जायें

डॉ. पियाली कहती हैं कि जिन बच्चों को मास्क नहीं पहनाया जा सकता, उन्हें फेस शील्ड लगाएं। प्रयास करें बच्चों को ऐसी किसी जगह पर न लेकर जाएं जहां संक्रमण का खतरा हो। इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चे निष्क्रियता का शिकार न हो जाएं। गांव-देहात के परिवेश की बात छोड़ दी जाए तो अधिकतर बच्चे इस दौरान घरों में बंद ही हैं। उनका बचपन छिन सा गया है। इसलिए बच्चों को समय दें। घर में फिजिकल एक्टिविटी कराएं। उनके साथ खेलें।

Covid19 Third Wave-विटामिन सी के लिए नींबू और आंवला खिलाएं

कोशिश करें कि सुबह की धूप में खिलाएं। धूप से शरीर को विटामिन डी मिलता है और विटामिन डी इसलिए जरूरी है कि खाद्य पदार्थों से कैल्शियम लेकर शरीर को देने के लिए विटामिन डी जरूरी है। बच्चों को हरी सब्जी, दाल और मौसमी फल अवश्य खिलाएं। विटामिन सी के लिए नींबू और आंवला खिलाएं। गुड़ और चना खाना भी अच्छा होता है। डॉ. पियाली भट्टाचार्य कहती हैं कि छोटे बच्चों के लिए मां के दूध से बड़ा कोई इम्यूनिटी बूस्टर नहीं हो सकता। दो साल तक बच्चों को स्तनपान अवश्य कराएं।

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लक्षण आने पर डॉक्टर से संपर्क करें

बच्चों में संक्रमण होने पर प्रायः डायरिया, गले में खराश, नाक बहना, सांस लेने में तकलीफ, खांसी और बुखार जैसे लक्षण देखे गए हैं। कुछ मामलों में बच्चे सिरदर्द की शिकायत भी करते हैं। यूं तो कोई भी लक्षण आने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, लेकिन उपरोक्त लक्षणों पर तत्काल डाक्टर से संपर्क करें। घबराएं ‌बिल्कुल नहीं, डॉक्टर की सलाह पर घर में ही दवा लेने पर बच्चा ठीक‌ हो जाता है। ध्यान रहे कि डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को एंटी वायरल ड्रग, स्टेरॉयड या एंटीबायोटिक दवाएं बिल्कुल भी न दें। कई बार लोग किसी दूसरे बच्चे के लिए डॉक्टर द्वारा लिखी दवा लाकर दे देते हैं, यह भी ठीक नहीं। डाक्टर हर बच्चे की आयु व वजन के हिसाब से दवा की मात्रा और फ्रीक्वेंसी तय करते हैं।

Covid19 Third Wave-कुछ हटकर करें

साइकोलॉजिस्ट एवं किशोरावस्था में आने वाली समस्याओं के अलावा स्ट्रेस मैनेजमेंट विशेषज्ञ डॉ. निधि गुप्ता वर्तमान हालात का जिक्र करते हुए कहती हैं कि बच्चों को यह बताने की जरूरत है कि हमेशा वैसा होना संभव नहीं होता जैसा हम सोचते हैं। इसके लिए हमें हमेशा बी और सी प्लान भी अपने जेहन में रखना होता है। उनका कहना है कि ऐसे बच्चों को हमें यह भी बताने की जरूरत है कि कोरोना काल के चलते जैसा आपके साथ हो रहा है, दूसरे बच्चों के साथ भी वैसा ही हो रहा है, इसलिए कोई तनाव लेने के बजाय कोरोना काल को बोनस पीरियड मानते हुए कुछ क्रिएटिव करने का प्रयास करें।

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क्रियेटिविटी बरकरार रखें

घर में रहते हुए कुछ सृजनात्मक कर सकते हैं। यदि आपके पास कोई कोई वाद्य यंत्र जैसे हारमोनियम या गिटार मौजूद है तो उसे बजाना सीख सकते हैं। यूट्यूब आदि पर कई तरह की क्रिएटिविटी आप सीख सकते हैं। यूं तो कोरोना काल में इंटरनेट और मोबाइल पर निर्भरता बहुत ज्यादा हो गई है। बच्चे सपनों की दुनिया में रहने लगे हैं। बेशक बच्चे इंटरनेट के जरिए पढाई कर पा रहे हैं लेकिन इस पर डायवर्जन की आशंका भी बहुत रहती है इसलिए बच्चों पर नजर रखना बहुत जरूरी है।

देर तक जागने की प्रवृत्ति न पनपने दें

डॉ. निधि कहती हैं कि इस कोरोना काल में बच्चों में रात में जागने की प्रवृत्ति बढ रही है। यह प्रवृत्ति इसलिए गलत है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए सोने की टाइमिंग का बड़ा महत्व होता है। सोने और जागने की प्रतिकूल आदतें मानसिक स्वास्थ पर असर डालती हैं।

Courtesy-Ritu Dhillon ( DT)