Civilians On Target of Terrorists- घाटी को रक्तरंजित करने की एक बार फिर बड़ी साजिश !

KASHMIR KILLINGS

Civilians On Target of Terrorists-जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से आतंकी संगठन बौखलाए हुए हैं, क्योंकि अब उनको राज्य के नागरिकों को भारत सरकार के खिलाफ बरगलाने में आसानी से कामयाबी नहीं मिल पा रही है। चंद पैसे पर ईमान बेचने वाले चंद गद्दार लोगों को छोड़कर जम्मू-कश्मीर राज्य के सभी नागरिक कंधे से कंधा मिलाकर अपने वतन व अपनी भारत सरकार के साथ पूरी निष्ठा व देशभक्ति से खड़े हुए हैं। जिसके चलते राज्य में चंद पाक परस्त गद्दारों की टोली व आतंकियों के बीच में जबरदस्त बोखलाहट मची हुई है। राज्य में पाक परस्त चंद आतंकी हथियारों के दम पर आम जनमानस को भयभीत करने का प्रयास कर रहे हैं।

घाटी को रक्तरंजित करने की साजिश

KILLING

आतंकी एक बार फिर से शांत हो चुकी घाटी को रक्तरंजित करने की साजिश कर रहे हैं। जिसकी वजह से ही पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर राज्य में आतंकियों के द्वारा आम नागरिकों को निशाना बनाए जाने की नृशंस घटनाओं में वृद्धि हुई है। राज्य के पुलिस सूत्रों के अनुसार इस वर्ष 2021 में आतंकवादियों ने कुल 28 आम लोगों की हत्या कर दी है। मारे गए 28 लोगों में से 5 लोग स्थानीय हिन्दू व सिख समुदाय से थे, इसके अलावा दो अन्य लोग हिन्दू मजदूर थे जो अन्य राज्यों के निवासी थे।

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Civilians On Target of Terrorists

बौखलाहट में आतंकियों के द्वारा चुनचुन कर राज्य के ऐसे निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जा रहा है जो कि समाज के लिए कार्य करते हुए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं, सबसे बड़ी बात यह है कि इन लोगों का अपने काम के सिवाय किसी से भी कोई लेना-देना नहीं था, फिर भी उनकी हत्या कर दी गयी। राज्य में आतंकी गैर मुस्लिम नागरिकों को निशाना बनाकर उनमें डर का माहौल पैदा करके धर्म के आधार पर धुर्वीकरण करने की नापाक हरकतों में लगे हुए हैं, वह एक बार फिर नब्बे के दशक वाली भयावह स्थिति उत्पन्न करने का सपना देखने का दुस्साहस कर रहे हैं। धरातल के हालात देखकर लगता है कि राज्य में कहीं ना कहीं आतंकियों की मंसा गैर मुस्लिम समाज के लोगों की हत्याओं को सांप्रदायिक रंग देकर के सांप्रदायिक सद्भाव व आपसी भाईचारे को बिगाड़ने की एक बड़ी साजिश है। जिसको राज्य के देशभक्त निवासियों के सहयोग से हमारे देश के मां भारती के जाबांज वीर योद्धा कभी सफल नहीं होने देगें।

गैर मुस्लिम की हत्या करने का इतिहास पुराना

hindu killings in kashmir
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हालांकि जम्मू-कश्मीर में देश के दुश्मन आतकंवादियों के द्वारा गैर मुस्लिम लोगों को चिंहित करके उनकी हत्या करने का इतिहास बहुत पुराना रहा है, लेकिन हाल के वर्षों इस तरह की घटनाओं में काफी कमी आ गयी थी, आज के समय में देश के कर्ताधर्ताओं व हमारी सुरक्षा एजेंसियों को चिंतित करने वाली बात यह है कि फिर से घाटी में गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को चुनचुन कर निशाना बनाया जाने लगा है।

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हालांकि इस स्थिति ने गैर मुस्लिम समुदाय के परिवारों को अपनी व परिजनों की सुरक्षा को लेकर के एकबार फिर से चिंता में डाल दिया है, राज्य में बहुत सारे ऐसे परिवार हैं जिन्होंने नब्बे के दशक में गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को निशाना बनाने वाली चरमपंथी व आतंकी घटनाओं में जबरदस्त उभार के बावजूद भी अपनी मातृभूमि कश्मीर को नहीं छोड़ने का फ़ैसला किया था और उन्होंने कभी भी देश के दुश्मन आतंकियों के आगें घुटने टेकने का कार्य नहीं किया था, हालांकि उस समय आतंकवाद से ग्रस्त राज्य की भयावह परिस्थितियों चलते के उनके अपने ही बहुत सारे लोग अपनों के जीवन को सुरक्षित रखने की खातिर अपना भरापूरा घरबार, सम्पत्ति व कारोबार छोड़कर चले गये थे, जिसको बाद में स्थानीय बहुसंख्यक समाज के चंद लोगों ने कब्जा लिया था।

हिन्दुओं को वापस दिलाई जा रही है संपत्ति

सरकार को अब ऐसे विस्थापित लोगों के घर बार, सम्पत्ति, कृषि भूमि व कारोबार आदि को स्थानीय बहुसंख्यक लोगों के कब्जे से मुक्त करवा कर हिन्दू समुदाय के लोगों को जल्द से जल्द वापस दिलवाना चाहिए। हालांकि देश में धर्मनिरपेक्षता के लिए यह अच्छा रहता कि राज्य में खुद बहुसंख्यक समाज के लोग हिन्दुओं की कब्जा युक्त सम्पत्ति उन्हें ससम्मान वापस करके व उनको सुरक्षा देने की पहल करके आपसी भाईचारे की एक बड़ी नजीर पेश करते।

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सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण राज्य जम्मू-कश्मीर में एकबार फिर से इस तरह के बन रहे बेहद चिंताजनक हालात देश की एकता, अखंडता व धर्मनिरपेक्षता के लिए किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं हैं। 7 अक्टूबर बृहस्पतिवार को भी आतंकियों ने श्रीनगर में दो शिक्षक सपिंदर कौर और दीपक चंद की गोली मारकर हत्या कर दी थी, श्रीनगर शहर का गवर्नमेंट ब्वॉयज सेकेंडरी स्कूल, ईदगाह के सहन इलाके में एक बड़े भूभाग पर बना हुआ है, यह हायर सेकेंडरी स्कूल तीन मंजिला बड़ी इमारत में है, इस के विशाल परिसर में एक बड़ा खेल का मैदान भी बना हुआ है, उसमें घुसकर आतंकियों ने सुबह 11 बजे पहचान पत्र देखकर के हिन्दू और सिख शिक्षकों की पहचान करके हत्या कर दी थी, गनीमत यह रही कि उस समय स्कूल में छात्र नहीं थे, सपिंदर कौर स्कूल की प्रिंसिपल थी जबकि दीपक चंद टीचर थे।

पीड़ित परिवार के लोगों से मिलने जा रहे है

“वैसे जिस तरह से देश के विभिन्न राजनीतिक दलों के राजनेता उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में पीड़ित परिवार के लोगों से मिलने जा रहे है और उनकी मदद कर रहे हैं, अगर वह उसी जोशो-खरोश के साथ मदद करने के उद्देश्य से जम्मू-कश्मीर राज्य में आतंकियों का निशाना बनाये गये हिन्दू व सिख परिवारों के यहां चले जाये तो हर हाल में पीड़ित परिवारों का मनोबल बढ़ेगा और आतंकवाद की दुकान चलाने वाले देश के अंदर छिपे बैठे गद्दारों का मनोबल टूटेगा और राज्य के मूल निवासियों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव व आपसी भाईचारा मजबूत होगा।”

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वहीं 5 अक्टूबर मंगलवार की शाम कुछ अज्ञात हमलावरों ने श्रीनगर के इक़बाल पार्क इलाक़े में श्रीनगर के जानेमाने लोकप्रिय फार्मासिस्ट तथा कश्मीरी पंडित माखन लाल बिंदरू की उनकी ही फ़ार्मेसी की दुकान “बिंद्रू हेल्थ ज़ोन” पर गोली मार कर हत्या कर दी थी। उसके कुछ मिनट बाद ही बिहार के एक चाट विक्रेता वीरेंद्र पासवान की भी हत्या कर दी थी। पिछ़ले एक हफ्ते में सात आम नागरिकों की हत्या से कश्मीर को दहलाने की बड़ी आतंकी साजिश स्पष्ट नज़र आती है। इस वर्ष की शुरुआत में कश्मीर पंडित राकेश की दक्षिण कश्मीर के कुलगाम ज़िले में हत्या कर दी गई थी, वह पंचायत प्रमुख चुने गए थे, वर्ष 2020 में एक और कश्मीरी पंडित की त्राल में हत्या की गई थी, जो स्थानीय निकाय में प्रतिनिधि थे, बोखलाए आतंकियों के द्वारा आम नागरिकों की हत्याओं का सिलसिला निरंतर जारी है।

विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद

यहां आपको बता दें कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 हटा कर के राज्य का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से मुस्तैदी के चलते जाबांज सुरक्षा बलों पर आतंकी हमले की घटनाओं में तो भारी कमी आई है, लेकिन आतंकियों के पाकिस्तान में बैठे आकाओं को राज्य में अपने मंसूबों पर पानी फिरता देखकर तब से उसने आम नागरिकों पर आतंकी हमले करवाने शुरू कर दिये हैं। राज्य में आतंकियों के द्वारा पहले यह सिलसिला गैर-कश्मीरी मजदूरों की हत्या करके शुरू किया गया था, जो सिलसिला धीरे-धीरे भाजपा नेताओं, सरपंचों से होते हुए अब कश्मीरी पंडितों हिन्दू व सिखों की चुनचुन कर हत्या करने तक पहुंच चुका है, सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील राज्य में यह स्थिति उचित नहीं है।

Civilians On Target of Terrorists

राज्य में आतंकियों के जहरीले मंसूबों को नाकामयाब करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार के साथ-साथ सुरक्षा एजेंसियों को हालात के प्रत्येक पहलूओं का जांच करके जल्द ही आम नागरिकों को निशाना बनाने वालें आतंकियों का चुनचुन कर सफाया करना होगा और वर्ष 2021 में वर्ष 1990 के दशक की हालात उत्पन्न करने के सपने देखने वालें गद्दारों को खत्म करके, जम्मू-कश्मीर के आम नागरिक विशेषकर गैर मुस्लिम आबादी को सुरक्षा का पूर्ण विश्वास देना होगा। राज्य से आतंकियों का चुनचुन कर सफाया करके पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आकाओं को सख्त संदेश देना होगा कि जम्मू-कश्मीर राज्य में अशांति फैलाकर शांति, विकास और समृद्धि की यात्रा को अस्थिर करने के उनके नापक जहरीले मंसूबे अब कभी भी कामयाब नहीं होंगे, अब राज्य विकास के पथ पर तेजी के साथ अग्रसर है और बहुत जल्द वह भारत सरकार, राज्य सरकार व सभी देशभक्त देशवासियों के सामुहिक प्रयास से विकास के नये आयाम स्थापित करेगा।

दीपक कुमार त्यागी (हस्तक्षेप),स्वतंत्र पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक