Causes of crisis in SriLanka-कैसे इस हाल में पहुंचा भारत का यह खूबसूरत पड़ोसी देश

The cause of the crisis
The cause of the crisis


श्रीलंका आज जिस हाल में है उसमें काफी बड़ा रोल चीन का भी है। चीन ने पहले श्रीलंका को सपने दिखाए, फिर अपने पैसे दिखाए और फिर जमकर भ्रष्टाचार किया। अब हालात ऐसे हैं कि चीन के कारिंदे श्रीलंका में ही बैठकर तमाशा देख रहे हैं। यदि कहा जाए कि इस वक्त श्रीलंका के सिस्टम में चीन का कब्जा हो चुका है, तो कुछ गलत नहीं होगा।
राष्ट्रपति किसी अज्ञात स्थान पर फरार हो चुके हैं और 13 जुलाई को इस्तीफा देने की घोषणा कर चुके हैं, जबकि प्रधानमंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

Causes of crisis in SriLanka-रोजमर्रा की चीजों की भी हो गई किल्लत

श्रीलंका की जनता पिछले कुछ महीनों से रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों के लिए भी जूझ रही थी। जब तेल खत्म हो गया, राशन खत्म हो गया, दवाई खत्म हो गई तो आखिरकार जनता को सड़क पर आना पड़ा। श्रीलंका में पब्लिक का यह आक्रोश राजपक्षे परिवार के परिवारवाद के खिलाफ भी है, जो दशकों से अपने ही देश को लूटकर कंगाल किए जा रहा था। जनता का यह आक्रोश इतना भड़का कि इसकी तपिश शनिवार को राजपक्षे परिवार ने राष्ट्रपति भवन की तस्वीरें देखकर महसूस कर ली होगी।

राष्ट्रपति भवन पर हजारों की भीड़ ने किया कब्जा


श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन पर हजारों की भीड़ ने कब्जा कर लिया। आमतौर पर ऐसी भीड़ को अनियंत्रित होते देखा गया है, लेकिन श्रीलंका में जुटी यह भीड़ जरा भी अराजक नहीं हुई। इस भीड़ ने न तो कोई वाहन फूंका और न ही किसी पर पत्थर फेंका। हालांकि बाद में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास के एक हिस्से में भीड़ ने आग जरूर लगाई, लेकिन ऐसे हालात वहां सुरक्षाबलों की कार्रवाई के बाद पैदा हुए। इसके अलावा कहीं से भी हिंसा की एक भी खबर नहीं आई।

Causes of crisis in SriLanka-तेल की भारी किल्लत ने भी भड़काया गुस्सा

श्रीलंका में पिछले कुछ महीनों से तेल की भारी किल्लत है। डीजल और पेट्रोल भरवाने के लिए लोगों को कई-कई घंटों, बल्कि 2-3 दिन तक इंतजार करना पड़ता था। सिर्फ कोलंबो में पेट्रोल लाइन में लगने के दौरान 5 लोगों की मौत हो चुकी है। यहां तक कि एक महिला ने पेट्रोल पंप के पास ही एक बच्चे को भी जन्म दिया। पेट्रोल पंप सुरक्षाबलों के नियंत्रण में दिए जा चुके हैं और हालात ऐसे हैं कि एक-एक लीटर तेल के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। यही वजह है कि श्रीलंका की जनता अब भारी आक्रोश में है।

खाने-पीने का सामान भी हुआ महंगा

श्रीलंका में पिछले कुछ दिनों में खाने-पीने का सामान भी काफी महंगा हुआ है। मिसाल के तौर पर जुलाई 2021 में एक किलो चावल की कीमत 155 श्रीलंकाई रुपये थी जो जुलाई 2022 में बढ़कर 240 हो गई। पिछले साल तक एक किलो साल्या मछली की कीमत 350 रुपये थी जो अब 820 रुपये किलो बिक रही है। एक किलो चीनी 120 से 350 पर, एक किलो सेब 80 रुपये से 200 पर पहुंच गया है। एक लीटर दूध खरीदने के लिए लोगों को 300 रुपये से ज्यादा चुकाना पड़ रहा है, जबकि पेट्रोल 550 रुपये लीटर है। ऐसे में लोगों का गुस्सा भड़कना स्वाभाविक ही है।

Causes of crisis in SriLanka-कुकिंग गैस की कमी ने भी बढ़ाई तकलीफ

Causes of crisis in SriLanka
Causes of crisis in SriLanka

श्रीलंका में लोगों को कुकिंग गैस की भी भारी किल्लत झेलनी पड़ रही है। यही वजह है कि इस देश के कई शहरों में अब लकड़ी और कोयले पर खाना पकाना पड़ रहा है। लोग किसी तरह सिलेंडर भरवा भी लें, लेकिन सरकार के पास गैस ही नहीं है। गांवों में तो फिर भी लकड़ियों से खाना बन जा रहा है, लेकिन शहरों में लोगों को खाना बनाने के लिए भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। और यह कमी आज से नहीं, बल्कि पिछले कई महीनों से चल रही है।

आंदोलन में बौद्ध धर्मगुरुओं की भी हुई एंट्री

श्रीलंका के इस आंदोलन में बौद्ध धर्मगुरुओं की भी एंट्री हो चुकी है। 8 जुलाई को सभी धर्मों के गुरुओं ने राष्ट्रपति गोटाबाया के खिलाफ आंदोलन का ऐलान किया और Senkadagala Statement पर साइन किया। 9 जुलाई को जब जनता राष्ट्रपति भवन की तरफ बढ़ी तो उस भीड़ में बौद्ध धर्मगुरु भी थे। वे आंदोलन को लीड कर रहे थे। पुलिस और सुरक्षाबलों ने इस भीड़ को रोकने की काफी कोशिश की, लेकिन उनकी सारी कोशिशें नाकाफी रही।
बौद्ध धर्मगुरुओं के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन में घुसने में कामयाब रहे।

Causes of crisis in SriLanka-कर्ज ने बुरी तरह बिगाड़ा श्रीलंका का खेल

2010 के बाद से ही लगातार श्रीलंका का विदेशी कर्ज लगातार बढ़ता गया है। श्रीलंका ने अपने ज्यादातर कर्ज चीन, जापान और भारत जैसे देशों से लिए हैं। यह देश एक्सपोर्ट से लगभग 12 अरब डॉलर की कमाई करता है, जबकि इम्पोर्ट का उसका खर्च करीब 22 अरब डॉलर है, यानी उसका व्यापार घाटा 10 अरब डॉलर का रहा है। पिछले 2 सालों में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घटा है। इस साल मई अंत तक श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में केवल 1.92 अरब डॉलर ही बचे थे, जबकि 2022 में ही उसे लगभग 4 बिलियन डॉलर का लोन चुकाना है।