Best Way To Preserve Grain-दुनिया भर में खाद्यान्न का संकट पैदा होने के आसार बनते दिख रहे हैं। भारत ने विदेशों को गेहूं निर्यात करने पर रोक लगायी है। सरकार ने देश में अनाज की कीमतों पर नियंत्रण बनाये रखने के लिये और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये गेहूं का निर्यात रोक कर खाद्यान्न का स्टॉक बढ़ाने के फैसला किया है । खाद्यान्न संकट की आशंका के बीच दुनिया भर की नजर भारत के स्टोरेज पर है। दूसरी ओर देश के अंदर ओडिशा समेत हरियाणा, पंजाब और यूपी जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों ने गेहूं का स्टॉक रखना शुरू कर दिया है। लेकिन हमारे देश में असल समस्या पैदावार की नहीं बल्कि अनाज के सही भंडारण की है। ऐसे में देश का परमाणु ऊर्जा विभाग अनाज समेत अन्य खाद्यान्नों को संरक्षित करने के लिये फूड इरेडियेशन अपनाने पर ज़ोर दे रहा है।
हर साल बर्बाद होता है हज़ारों टन अनाज

हाल ही में गेहूं के दाम बढ़ने के बाद राज्यों ने और किसानों ने इसे स्टॉक करना शुरू कर दिया है, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत इसके भंडारण की पैदा हो गई है। देश के गोदामों में हर साल हजारों टन अनाज बर्बाद हो जाता है। बड़ी मात्रा में फसलें या खाद्य पदार्थ कीड़ों के संक्रमण बैक्टीरिया, चूहों या अन्य जैविक व भौतिक कारणों से नष्ट हो जाते हैं । आंकड़े कहते हैं कि देश में हर साल भंडारण के दौरान करीब 40 % से अधिक अनाज बर्बाद हो जाता है।
Best Way To Preserve Grain-करोड़ों लोगों को भोजन मिल सकता है

यदि देश में तैयार होने वाला खाद्य पदार्थ या खाद्यान्न सुरक्षित कर लिया जाए तो करोड़ों लोगों को भोजन मिल सकता है। हरियाणा, पंजाब और छत्तीसगढ़ के अलावा पंश्चिम बंगाल में अनाज की सबसे ज्यादा पैदावार होती है। पंजाब अनाज उगाने के मामले में तीसरे स्थान पर आता है, यहां हर साल 1.20 करोड़ टन चावल का उत्पादन होता है। गेहूं उगाने के मामले में भी इसकी गिनती अग्रणी राज्यों में होती है। मूंगफली, कैस्टरसीड और कपास में गुजरात अव्वल है। हरियाणा की बात करें तो यहां 70 फीसदी लोग खेती करते हैं। एफसीआई के गोदामों में अनाज की बर्बादी और स्टोरेज से संकट खत्म नहीं हो सकता। महंगे दामों पर कोल्ड स्टोरेज में अनाज रखना सबके बूते की बात नहीं है। ऐसे में इन सबके बीच परमाणु कृषि जैव प्रौद्योगिकी (nuclear agriculture biotechnology) एक बेहतर उपाय नजर आ रहा है। न्यूक्लियर रेडियेएशन पर आधारित बायोटेक्नॉलॉजी (FOOD IRRADIATION) से खाद्यान्न को लंबे समय तक साफ सुथरा और कीटाणु रहित रखा जा सकता है यानी इससे खाद्य पदार्थों जिनमें अनाज से लेकर फल-सब्जि़यां और कई अन्य खाने पीने की चीजें शामिल हैं।
Food Irradiation है क्या?

फूड इरेडिएशन में फलों सब्जियों और अन्य खाद्य पदार्थों की शेल्फ लाइफ बढ़ाकर उन्हें बैक्टीरिया के प्रकोप से बचाया जाता है । यह रेडिएशन की वह टेक्नीक (Food Irradiation Technique) है जिसमें खाद्य पदार्थों को रेडिएशन की निर्धारित मात्रा में एक सीमित वक्त के लिए गुजारा जाता है। यह रेडिएशन खाद्य पदार्थों के बीच से कुछ मात्रा में होकर कुछ वक्त के लिए गुजरती है और उसे सुरक्षित कर लेती है। इसकी वजह से फल सब्जियां या दूसरे अनाजों के बीच में पैदा होने वाले कीटाणु खत्म हो जाते हैं और यह लंबे समय के लिए सुरक्षित हो जाते हैं। यह तकनीक उन जीवों को प्रभावी ढंग से समाप्त कर देती है जो आमतौर पर खाद्य जनित बीमारी का कारण बनते हैं। यह साल्मोनेला और ई-कोलाई के खिलाफ सबसे प्रभावी है। यह उन जीवों को निष्क्रिय या नष्ट करने का एक तरीका है जो खाद्य पदार्थों को खराब करने या सड़ाने का कारण बनते हैं।
अंतरिक्ष यात्री खाते हैं sterilized food

यह प्रक्रिया कीटनाशकों और अन्य केमिकल का उपयोग करने की आवश्यकता को भी कम करती है जो उत्पाद को नुकसान पहुंचा सकती हैं । आईजीसीएआर के निदेशक बी वेंकटरमन के अनुसार – यह इतना सुरक्षित है कि नासा के अंतरिक्ष यात्री वही खाद्य पदार्थ खाते हैं जो कि खाद्य विकिरण प्रक्रियाओं से स्टेरेलाइज़्ड (sterilized by food irradiation processes) होते हैं ताकि अंतरिक्ष में खाद्य जनित बीमारी होने की कोई आशंका न हो। यही वजह है कि इस तकनीक की व्यापकता को देखते हुए केंद्र सरकार देश के अलग-अलग हिस्सों में फूट इरेडिएशन सेंटर खोलने की योजना बना रही है ।
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पूरी तरह सुरक्षित है फूड इरेडियेशन प्रक्रिया

चिंताएं दूर करते हुए आईजीसीएआर के निदेशक बी वेंकटरमन कहते हैं कि ‘जिस तरह एक्सरे और स्कैनर हमारे सामान को रेडियोधर्मी नहीं बनाते हैं, उसी तरह इस खाद्य संरक्षण प्रक्रिया के कारण इस बात की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है कि आप क्या खा रहे हैं ? यह पूरी तरह सुरक्षित होता है।’
ब्रिट की साइंटिस्ट Dr Yojana Singh (A scientist from BRIT) का कहना है कि ‘परमाणु ऊर्जा के साथ बहुत सारी नकारात्मकता जुड़ी होती है। असल में खाद्यान्न केवल कुछ सेकंड के लिए किरणों के संपर्क में रहते हैं और इसके पोषक तत्व किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होते हैं। बल्कि उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है।’
भारत में कितने सेंटर

भारत में फिलहाल 26 FOOD IRRADIATION सेंटर है (26 Gamma Radiation Processing Plants) जो कि एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड की कड़ी निगरानी में काम करते हैं । हरियाणा में, धारूहेड़ा (रेवाड़ी) में फूड रेडियेशन प्लांट है जो उद्योग चिकित्सा, खाद्य और आयुर्वेदिक उत्पादों को रेडियेट यानि विकिरण का कार्य करता है। “यह राज्य की एकमात्र इकाई है जो गामा किरणों के साथ खाद्य विकिरण प्रक्रिया के जरिये हर महीने 300 टन मसालों और आयुर्वेदिक उत्पादों का प्रसंस्करण करती है।
एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की शाखा ब्रिट संयुक्त रूप से फूड रेडिएशन सेंटर खोलने की इस पहल पर काम कर रहे हैं अभी तक भारत ने कई सारे खाद्य पदार्थों पर इसका सफल परीक्षण किया है । विश्व के 30 देशों में बड़े पैमाने पर फूड रेडिएशन का प्रयोग किया जा रहा है।
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प्रोसेस के बाद अंकुरण कम होता है

आलू , प्याज, मांस-मछलियां और खाद्यान्नों में इस प्रोसेस के बाद अंकुरण कम होता है यानी उन्हें स्प्राउट्स नहीं आते हैं और यह 3 से 6 महीने तक खराब नहीं होते हैं । आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश में साल 2018 में आयी बाढ़ और बादल फटने की आपदा के दौरान भाभा एटॉमिक रिसर्च की तरफ से इरेडियेटिड फूड मुहैया कराया गया. था जो गुणवत्ता और स्वाद में बेहतर होने के अलावा पोष्टिक रूप से भी समृद्ध था। जानकारी के लिये बता दें कि अंतरिक्ष यात्री भी ऐसे ही रेडिएशन द्वारा प्रोसेस किए गए इस फूड को लेकर जाते हैं।

इस बीच संयुक्त राष्ट्र की संस्था वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने यह कहकर सबको चौकन्ना कर दिया है कि यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद गेहूं की निर्यात कीमतें 22 फीसदी बढ़ गई हैं, जबकि मक्के की कीमत 20 फीसदी बढ़ी है और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्ल्ड फूड प्रोग्राम भारत से गेहूं खरीदने पर विचार कर रहा है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2020-21 में भारत ने 109.59 मिलियन गेहूं की पैदावार की थी और इस साल यह उत्पादन बढ़ती गर्मी के कारण 15 फीसदी तक कम आंका गया है.