BCI IN THE COURT- बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि उसने देश भर में करीब 500 लॉ कॉलेज की पहचान की है जो मानक से कमतर हैं।
इसके साथ ही बीसीआई ने कहा कि कुछ पूर्व न्यायाधीशों व वरिष्ठ अधिवक्ताओं और अन्य के नेतृत्व में एक टीम ऐसे संस्थानों का औचक दौरा करेगी तथा कमी पाए जाने पर उन्हें बंद करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
कानूनी शिक्षा में सुधार और युवा वकीलों के लिए नौकरियों से संबंधित मामले में दायर एक हलफनामे में बीसीआई ने कहा कि वह एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन कर रही है।
परिषद ने कहा कि यह प्रस्तावित है कि बीसीआई की कानूनी शिक्षा समिति और सलाहकार बोर्ड अपनी अगली बैठक में लॉ कॉलेज में दाखिला के लिए राज्यस्तरीय प्रवेश परीक्षा शुरू करने पर विचार करेगी।
BCI IN THE COURT-मुद्दा गंभीर- बीसीआई
बीसीआई ने कहा कि वह कार्यकारी निकाय नहीं है और ऐसे कॉलेज को बंद करने के लिए विश्वविद्यालयों पर निर्भर है और वह ऐसे विश्वविद्यालयों को बंद किए जाने के लिए सरकार पर निर्भर है जो अनुरोधों के बावजूद
एलएलबी व एलएलएम परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग के मुद्दे पर गंभीर नहीं हैं।
इन कॉलेजों को मान्यता पर विचार करेंगे
उसने कहा कि इस प्रकार अंतिम प्रयास के रूप में बीसीआई ऐसे विश्वविद्यालय को कानूनी शिक्षा का पाठ्यक्रम चलाने के लिए दी गई मंजूरी को वापस लेने पर विचार कर रही है।
इसके साथ ही उसने देश भर में कानूनी शिक्षा को विनियमित करने में परिषद के सामने आ रही कठिनाइयों का उल्लेख किया।
BCI IN THE COURT-हलफनामें में क्या
हलफनामे में कहा गया है कि सरकार द्वारा संचालित लगभग 90 प्रतिशत कॉलेज व संस्थानों में बुनियादी ढांचे और संकाय की भारी कमी है तथा कई रिक्तियां पिछले 15-20 वर्षों से बनी हुई हैं।
बीसीआई ने कहा कि भारत में यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ ही विश्वविद्यालय कानूनी शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान कार्यों में गहरी रुचि दिखाते हैं और कानूनी शिक्षा वास्तव में सबसे अधिक उपेक्षित है।
उसने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इस उद्देश्य के लिए कानूनी शिक्षा केंद्रों (सीएलई) को कभी भी पर्याप्त वित्तीय सहायता नहीं दी है। यही कारण है कि भारतीय छात्र उच्च कानूनी शिक्षा के लिए दूसरे देशों की ओर आकर्षित होते हैं