Ayodhya Ram temple construction- 28 सालों तक टैंट में रहने के बाद मार्च 2020 को रामलला को अस्थाई मंदिर में विराजमान किया गया। इसके बाद राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। अब पहले चरण का काम पूरा हो चुका है। स्तंभ के नीचे का हिस्सा (bottom of column) तैयार कर लिया गया है। काम की रफ्तार इसी तरह रही तो दिसंबर 2023 तक अपने गर्भगृह में श्रीराम विराजेंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (Champat Rai, general secretary of Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust) ने बताया कि नींव के लिए भूमि को मजबूत करने का काम सितंबर में पूरा हो गया है। गर्भगृह के ऊपर मंदिर का निर्माण कार्य होगा। मंदिर निर्माण के लिए 20 फीट का प्लिंथ बनाया जा रहा है, जिसके ऊपर मंदिर के खंबे लगाए जाएंगे। 15 जनवरी 2022 के बाद मंदिर के दूसरे चरण का काम शुरू होगा।
45 हज़ार घनफुट पत्थर लगेंगे

मंदिर के पूरे निर्माण में कुल 12 लाख घनफुट पत्थर लगेंगे। करीब 45 हजार घनफुट पत्थर पहले से तराशे जा चुके हैं। बाकी के पत्थरों को तराशने के काम में तेजी लाने के लिए मशीनों का प्रयोग भी होगा। मंदिर निर्माण में मिर्जापुर और राजस्थान के पत्थरों के अलावा संगमरमर और ग्रेनाइट का भी प्रयोग होगा। नदी के प्रवाह से बचाने के लिए मंदिर के किनारे मजबूत दीवार का भी निर्माण किया जाएगा।
Ayodhya Ram temple construction-इस कारण आई दिक्कत
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्रा (Dr. Anil Mishra, Trustee of Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra) ने बताया कि पत्थरों की तराशी का काम चल रहा है। अगस्त 2023 तक पत्थरों को लगा दिया जाएगा। मंदिर के प्रथम तल का काम दिसंबर 2023 का पूरा होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि मिट्टी रेतली होने के कारण निर्माण में दिक्कतें आई है। इसके लिए आईआईटी दिल्ली, चेन्नई और गुवाहटी के इंजीनियरों ने 50 फुट नीचे खुदाई करके चरणबद्ध तरीके से भराई की है और इसकी 48 परतें तैयार की हैं। विशेष प्रकार के इंजीनियर फिलर के साथ मंदिर की नींव एक नेचुरल चट्टान के तौर पर तैयार की गई है। जो न कभी दरकेगी और न ही उसमें कोई परिवर्तन आएगा। यह चट्टान 48 परतों की है। ऐसी विशेष चट्टानों पर तैयार की गई इमारतें हजारों हजार साल तक चलती है। मिश्रा ने बताया कि निर्माण के वक्त इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि सरयू नदी की धारा कभी इस ओर न मुड़े। इसका ध्यान रखते हुए एक जमीन से 40 फीट नीचे तक एक दीवार का निर्माण किया गया है। जिसके चलते कभी सरयू नदी का रुख मंदिर की तरफ नहीं हो सकेगा।
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70 प्रतिशत हिस्से पर कोई निर्माण नहीं
पूरे परिसर में सिर्फ 30 प्रतिशत का ही निर्माण होगा जबकि 70 प्रतिशत मंदिर खुला और ग्रीन होगा। पहले प्रथम तल के निर्माण के बाद अन्य तलों पर कार्य शुरू किया जाएगा। मंदिर में सभी लोगों के आने का विधिवत बंदोबस्त किया जा रहा है। जिसमें विकलांगों से लेकर बुजुर्गों के भी आने का बंदोबस्त होगा। विकलांगों के लिए जहां अलग से व्हीलचेयर कॉरिडोर होगा, वहीं वरिष्ठ नागरिकों या चलने में असमर्थ लोगों के लिए कार्ट का भी इंतजाम किया जा रहा है।
Ayodhya Ram temple construction-मकराना के संगमरमर से बनेगी राममंदिर की चौखट
राममंदिर की नींव में कुल चार प्रकार के पत्थरों का इस्तेमाल किया जाना है। प्लिंथ को ऊंचा करने में जहां कर्नाटक का ग्रेनाइट व मिर्जापुर का सिलेटी पत्थर इस्तेमाल किया जाएगा। राजस्थान के वंशीपहाड़पुर के गुलाबी पत्थरों से मुख्य मंदिर तैयार होगा। इसी तरह परकोटा में जोधपुर के पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा। मंदिर की चौखट मकराना के संगमरमर से बनाई जाएगी।
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