राजस्थान में सीएम के नाम पर छाया संस्पेंस खत्म हो गया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके अशोक गहलोत को कांग्रेस ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की बागडोर सौंपी है। साथ ही सचिन पायलट को राज्य का डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाया गया है। इसके साथ ही सचिन पायलट के समर्थकों को शांत करा दिया गया है। बता दें कि सचिन के समर्थक विरोध की धमकी देकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे थे। हालांकि इसमें कोई शक नहीं था कि अशोक गहलोत की दावेदारी सचिन पायलट की बजाय ज्यादा मजबूत थी।
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— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 14, 2018
साल 2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव और फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद भी अशोक गहलोत ने राज्य में अपनी पार्टी को प्रासंगिक बनाए रखा।
क्यों राजनीति के जादूगर कहलाते हैं गहलोत?
Rajasthan Chief Minister designate Ashok Gehlot and Deputy Chief Minister designate Sachin Pilot at AICC headquarters in Delhi pic.twitter.com/lwCnOcUayj
— ANI (@ANI) December 14, 2018
साल 2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव और फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद भी अशोक गहलोत ने राज्य में अपनी पार्टी को प्रासंगिक बनाए रखा। राजस्थान में ‘राजनीति का जादूगर’ माने जाने वाले गहलोत ने 2018 के राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत के जादुई आंकड़े के करीब लाने में अहम भूमिका निभाई है। अशोक गहलोत या सचिन पायलट को कांग्रेस आलाकमान में काफी मंथन का दौर चला और आखिरकार युवा चेहरे की बजाय अनुभवी सियासतदान को तरजीह दी गई।
जानकारों का कहना है कि ‘मारवाड़ का गांधी’ माने जाने वाले गहलोत को राजनीति में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लेकर आई थीं। ऐसा कहा जाता है कि वह पूर्वोत्तर क्षेत्र में शरणार्थियों के बीच अच्छा काम कर रहे थे और इंदिरा उनके काम से काफी प्रभावित थीं। कुछ महीने पहले गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दमदार प्रदर्शन का श्रेय गहलोत को ही दिया जाता है। पिछले कुछ समय से कांग्रेस के महासचिव (संगठन) का पदभार संभाल रहे गहलोत को जमीनी नेता और अच्छा संगठनकर्ता माना जाता है।
मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले गहलोत (67) 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। तीन मई 1951 को जन्मे गहलोत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1974 में एनएसयूआई के अध्यक्ष के रूप में की थी। वह 1979 तक इस पद पर रहे। गहलोत 1979 से 1982 तक कांग्रेस पार्टी के जोधपुर जिला अध्यक्ष रहे और 1982 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने। उसी दौरान 1980 में गहलोत सांसद बने। वह 1980 से 1999 तक पांच बार 7वीं, 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए।
गहलोत 1999 से जोधपुर के सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह 11वीं, 12वीं,13वीं और 14वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। पांच बार सांसद रह चुके गहलोत पांचवीं बार विधायक बने हैं। वह 1982-1983 तक पर्यटन उप-मंत्री और 1983-84 में नागरिक उड्रडयन, 1984 में खेल उप-मंत्री, 1984-85 में पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री, 1991-93 तक वस्त्र राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पदभार संभाल चुके हैं। गहलोत 2004-2009 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव (दिल्ली और सेवादल प्रभारी), 2004 में कांग्रेस कार्य समिति और हिमाचल प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रभारी रह चुके हैं।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कई अहम पदों पर रह चुके गहलोत तीन बार कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं। कई देशों की यात्रा कर चुके गहलोत ने राजनीति के अलावा 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी शरणार्थियों के शिविरों में काम किया और कई सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहे।