Anti-Mass Conversion Bill-हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने मौजूदा धर्मांतरण रोधी कानून में संशोधन वाले एक विधेयक को शनिवार को ध्वनिमत से पारित किया, जिसमें मौजूदा कानून में सजा बढ़ाने और जबरन या लालच देकर ‘सामूहिक धर्मांतरण’ कराए जाने को रोकने का प्रावधान है।
विधेयक में कारावास की सजा को सात साल से बढ़ाकर अधिकतम 10 साल तक करने का प्रावधान है। यानी प्रदेश में अब धर्म परिवर्तन क़ानून और कड़ा हो गया है। पकड़े जाने पर अब सीधे 10 साल की जेल की सजा होगी और 2 लाख रूपये तक का जुर्माना भरना होगा। विपक्ष के विरोध के बीच आज विधानसभा में हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता संशोधन विधेयक 2022 को मंजूरी दे दी गई। अब जबरन या किसी भी तरह के लालच से सामूहिक धर्म परिवर्तन अपराध की श्रेणी में आएगा। बिल के पास होने के बाद अब अगर दो या दो से ज्यादा व्यक्तियों ने धर्म परिवर्तन किया तो उसे सामूहिक धर्म परिवर्तन माना जाएगा। विपक्ष ने बिल का विरोध किया और इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने इस बिल पर हुई चर्चा के जवाब में कहा कि धर्म परिवर्तन की आज जो स्थितियां प्रदेश में बनी है, उनमें अत्यधिक कड़े कानून की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अभी तक धर्म परिवर्तन की घटनाएं किन्नौर, रामपुर और दूरदराज के क्षेत्रों तक सीमित थी लेकिन अब कुल्लू के आनी और बंजार में भी गरीबों के बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन के मामले सामने आये हैं।
Anti-Mass Conversion Bill-संशोधन विधेयक शुक्रवार को पेश हुआ था
हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022 शनिवार को ध्वनिमत से पारित हुआ। विधेयक में सामूहिक धर्मांतरण का उल्लेख है, जिसे एक ही समय में दो या दो से अधिक लोगों के धर्म परिवर्तन करने के रूप में वर्णित किया गया है।
जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने शुक्रवार को विधेयक पेश किया था। संशोधन विधेयक में हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2019 के प्रावधानों को और कठोर किया गया है, जो बमुश्किल 18 महीने पहले लागू हुआ था।
15 महीने पहले पारित हरो चुका था विधेयक
हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2019 को 21 दिसंबर 2020 को ही अधिसूचित किया गया था। इस संबंध में विधेयक 15 महीने पहले ही विधानसभा में पारित हो चुका था। साल 2019 के विधेयक को भी 2006 के एक कानून की जगह लेने के लिए लाया गया था, जिसमें कम सजा का प्रावधान था। नये संशोधन विधेयक में बलपूर्वक धर्मांतरण के लिए कारावास की सजा को सात साल से बढ़ाकर अधिकतम 10 साल तक करने का प्रस्ताव है।
Anti-Mass Conversion Bill-जांच केवल उच्चाधिकारी कर सकेंगे
विधेयक में प्रावधान प्रस्तावित है कि कानून के तहत की गयी शिकायतों की जांच उप निरीक्षक से नीचे के दर्जे का कोई पुलिस अधिकारी नहीं करेगा। इस मामले में मुकदमा सत्र अदालत में चलेगा। सत्तारूढ़ भाजपा धर्मांतरण-रोधी कानून की मुखर समर्थक रही है और पार्टी द्वारा शासित कई राज्यों ने इसी तरह के कानून पेश किए हैं। यह कदम इस साल के अंत में हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सामने आया है।
मूल धर्म में जाने के लिए नोटिस देना होगा जरूरी
इस अधिनियम में धर्म परिवर्तन करने से पहले एक महीना पहले मजिस्ट्रेट के सामने शपथ परिवर्तन देने होगा।विधेयक में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई दोबारा से अपने मूल धर्म में आना चाहता है तो उसे कोई पूर्व नोटिस नहीं देना होगा।
अगर कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के बाद भी अपने मूल धर्म के तहत सुविधा प्राप्त करता रहता है तो उसे दो साल की सजा का प्रावधान किया गया है और इस सजा को पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है। इस तरह के मामलों में अब मुकदमा सत्र न्यायालय में ही चल सकेगा। धर्म परिवर्तन की शिकायत मिलने पर उप निरीक्षक के स्तर से नीचे का पुलिस अधिकारी जांच नहीं कर सकेगा और मुकदमा सत्र न्यायालय में ही चल सकेगा।
सदन में 9 विधेयक किए पारित
विधानसभा में शनिवार को सरकार ने एक साथ 9 विधेयक (Anti-Mass Conversion Bill) पेश किए। पेश किए गए विधेयकों में हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता संशोधन विधेयक 2022, हिमाचल प्रदेश नगर निगम द्वितीय संशोधन विधेयक 2022, हिमाचल प्रदेश नगर पालिका संशोधन विधेयक 2022, हिमाचल प्रदेश नगर और ग्राम योजना संशोधन विधेयक 2022, हिमाचल प्रदेश भू-गर्भ जल विकास और प्रबंधन विनियमन और नियंत्रण संशोधन विधेयक 2022,
हिमाचल प्रदेश अभिघृति और भूमि सुधार अधिनियम संशोधन विधेयक 2022, हिमाचल प्रदेश न्यायालय संशोधन विधेयक 2022, हिमाचल प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध संशोधन विधेयक 2022और
हिमाचल प्रदेश कतिपय प्रवर्गों के वेतन और भत्तों पर आयकर का संदाय विधेयक 2022 शामिल है।