And ‘Bell Bottom’ Really create magic at the box-office- पढ़ें मूवी रिव्यू

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And ‘Bell Bottom’ Really create magic at the box-office-निर्देशक रंजीत एम तिवारी (Ranjit M Tewari) और निर्माता वाशु भगनानी, जैकी भगनानी, दीपशिखा देशमुख की फिल्म लगता है दर्शकों के दिलों पर कमाल कर गई है। पूजा एंटरटेनमेंट और निखिल अडवानी की एमी एंटरटेनमेंट की फिल्म ‘बेल बॉटम’ (Bell Bottom) सही मायनों में एंटरटेनमेंट का फुल पैकेज साबित हुई है। और जिस फिल्म में अक्षय कुमार हो वहां एंटरटेनमेंट तो बनता ही है।

And ‘Bell Bottom’ Really create magic at the box-office

विभिन्न मीडिया पोर्टल और वेब चैनल्स ने अरसे बाद थियेटर में आई इस फिल्म को शानदार रिव्यू दिया है। सच्ची घटनाओं से प्रेरित इस फिल्म की कहानी एक रॉ ऐजेंट की है, जिसे हम एक ऐसा अनसंग हीरो भी कह सकते हैं, जिसकी जांबाजी, सूझ-बूझ और साहस हाइजेक हुए एक प्लेन के न केवल पैसेंजर बचा लिए जाते हैं बल्कि उस प्लेन को अगवा करने वाले आतंकवादियों को भी पकड़ लिया जाता है। फिल्म की पृष्ठ्भूमि अस्सी के दशक की है, जब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (इस भूमिका को लारा नई निभाया है) हुआ करती थीं।

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इंदिरा गांधी की भूमिका में लारा का शानदार अभिनय

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यह वो दौर था, जब देश एक के बाद एक करके लगातार कई हाइजेक्स का शिकार हो चुका था। एयर प्लेन के इन हाइजेक्स में देश को निगोशिएशन के दौरान आतंकियों को यात्रियों की जान के एवज में करोड़ों रुपये की मोटी रकम तो देनी पड़ती है, मगर साथ ही हर बार भारतीय जेल में बंद खूंखार आतंकवादियों को भी रिहा करना पड़ता है। ऐसे ही एक हाइजेक में जब मल्टीटास्किंग अंशुल मल्होत्रा (अक्षय कुमार) अपनी मां (डॉली अहलूवालिया) को खो देता है, तो उसका वही दर्द उसे रॉ ऐजेंट बनने को प्रेरित करता है। हालांकि राधिका (वाणी कपूर) से लव मैरिज करके खुशहाल जिंदगी बचाने वाले अंशुल ने कभी नहीं सोचा था कि वह रॉ में ‘बेल बॉटम’ के कोड नेम से देश की सुरक्षा का बीड़ा उठाएगा और इन हाइजेक्स में पाकिस्तान के इंटेलिजेंस ब्यूरो आइएएस की भूमिका का पर्दाफाश करेगा।

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And ‘Bell Bottom’ Really create magic at the box-office-इंटरवल के बाद फिल्म पैदा करती है ज्यादा रोमांच

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‘लखनऊ सेंट्रल’ फेम निर्देशक रंजीत एम तिवारी को अक्षय कुमार की तमाम खूबियों का अंदाजा था और उन्होंने उसे अपनी कहानी में खूबसूरती से पिरोया।
अस्सी के दशक को निर्देशक पर्दे पर साकार करने में कामयाब रहे हैं। असीम अरोरा और परवेज शेख के चुटीले डायलॉग फ्रंट बेंचर्स को सीटी और तालियां मारने पर विवश कर देते हैं। फिल्म की एडिटिंग इंटरवल के बाद अपनी कसावट दर्शाती है। बैकग्रॉउंड स्कोर और कास्टिंग फिल्म प्लस पॉइंट है। फिल्म में तनिष्क बागची, अमान मलिक और गुरमाजर सिंह का संगीत है, मगर ‘सखियां’ गाने के अलावा और कोई गाना याद नहीं रहता।

वाणी और हुमा का भी नायाब अभिनय

उन्होंने अंशुल मल्होत्रा उर्फ़ ‘बेल बॉटम’ के कैरेक्टर को अपनी विशिष्ट शैली से अलग अंदाज में दिखाया है कि पर्दे पर उन्हें रॉ एजेंट के रूप में देखना रोमांच से भर देता है। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका में लारा दत्ता (Lara Dutta) फिल्म का सरप्राइज पैकेज साबित हुई हैं। उनके प्रॉस्थेटिक मेकअप के साथ उनकी भाव-भंगिमाएं किरदार को यादगार बना ले जाती हैं। नायिका के रूप में वाणी कपूर (Vaani Kapoor) बहुत खूबसूरत, ग्लैमर्स और हॉट दिख रही हैं। उनके चरित्र से जुड़ा ट्विस्ट क्लाइमेक्स में चौंका देता है। हुमा कुरैशी (Huma Qureshi) को पर्दे पर ज्यादा स्क्रीन स्पेस नहीं मिला, मगर इसके बावजूद वे छाप छोड़ जाती हैं।