BY- BHUPINDER WALIA, M-83602 78927
Inspirational Story of a women-करीब 18 साल बाद भूपिंदर अपने husband के retirement के बाद पटियाला वापस आई तो एक colony उसनें एक बना बनाया घर खरीदा. जिसके आस पास ज्यादा आबादी नहीं थी. जब वह वहाँ के लोगों से मिलने जुलने लगी तो उन्होंने बताया कि यहाँ पास ही एक boutique है और साथ ही beauty parlor भी है. भूपिंदर अपन कपड़े सिलवाने जाने लगी. उसे उसकी owner जिसका नाम बलविंदर था बड़ी अच्छी लगी उसके वह कभी कभी facial करवाने लगी वहाँ जाकर भूपिंदर ने देखा कि बलविंदर ने dyer को भी बैठा रखा है जो बलविंदर के लिए काम करता था. लोगों के भी कपड़े रंगता था. बातों बातों में भूपिंदर को यह भी पता चला कि बलविंदर fabric painting भी करती है. उसका सारा ही काम बहुत अच्छा चल रहा था क्योंकि एक तो बलविंदर स्वभाव बहुत अच्छा था दुसरा लोगों को शहर नहीं जाना पड़ता था. जब भी कोई पार्लर आता और बलविंदर से बात करता कि उसे किसे किराये पर मकान चाहिए या अपना मकान किराये पर चढ़ाने के लिए किरायेदार चाहिए या किसी को घर का काम करने के लिए नौकरानी चाहि. बलविंदर इन सब कामों में लोगों की खुशी खुशी मदत करके उनकी सम्सया का समाधान करती कभी कभी तो कोई अच्छे doctorके लिए भी पूछता तो उसमें भी उनकी मदद करती क्योंकि उसके पास हर तरह के clients आते थे.
माँ की सेवा

अकेले ही वो Scooty पर जाकर Botique/Parlour का सारा समान लाती थी शहर से जो कि उसके घर से तकरीबन 5-6 किलोमीटर पड़ता था. इसके अलावा उसे घर के अन्य सारे काम अकेले ही करने पड़ते थे उसे घर और Beauty Parlour की renovationsभी अकेले ही करवानी पड़ती थी. बलविंदर की Mother भी उसके साथ ही रहती थी जो कि काफी बीमार रहती थी उनके इलाज के लिए Doctor के चक्कर लगाना Chemist से दवाईयां आदि लेकर आना. ये सारे काम वो अकेले ही करती एक बार उसके छोटे भाई को Brain Stroke हूआ जिसके कारण Brain में Clot आ गया और उसे Paralysis हो गया साथ ही PARKINSON की Problem शुरू हो गई। बलविंदर ने अपने भाई को अपने पास रखकर उसका पूरा इलाज करवाया इस सब के बावजूद भूपिंदर ने बलविंदर को कभी बहुत गुस्से मे नही देखा न ही कभी किसी को डांटते देखा हमेशा ही सबसे हंसते हुए बातें ही करते देखा था।
इसी दौरान भूपिंदर को Cardiac Arrest के कारन Left Side Facial Paralysis हो गया था और Left Side Hand / Leg Weak हो गये थे जिसके कारण उसे Facial Massage की बहुत जरूरत थी.
An Inspirational Story-बलविंदर के करीब
उसके लिए बलविंदर ने घर पर ही अपनी एक लड़की को भेज कर इंन्तजाम करवा दिया था फिर जब भूपिंदर थोड़ा ठीक हो गई तो भूपिंदर Parlour में जाकर Facial करवाने लगी इस घटना के बाद भूपिंदर बलविंदर के और करीब आती गई और अब वो आपस में अपने दिल की बातें भी करने लगीं एक दिन भूपिंदर ने बलविंदर से कहा कि तुम अपने बारे में जरा विस्तार से बताओ में तुम्हारी जिंदगी के बारे में लिखना चाहती हूँ.
biography of bhupinder
तब बलविंदर ने बताना शुरू किया कि उसका जन्म 7 जुलाई 1966 को पंजाब के एक शहर बटाला मे हुआ था उसके पिता जी की एक दिन अचानक Accident से Death सन् 1972 हो गई थी तब उसकी माँ केवल 28 साल की थी उसके दो भाई थे बड़ा भाई 9 साल का और छोटा भाई 4 साल का था. उसके के बाद वो सारे अपने नानाजी के घर रहने के लिए आ गये जब बलविंदर तीसरी Class में थी तो वो सारे पटियाला रहने के लिए आगरे बलविंदर ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पटियाला में ही रह कर करी उसकी शादी साल 1988 पृभदेव सिंह से हुई 1989 में उनका बेटा पैदा हुआ जिसका नाम प्रितपाल सिहं रखा गया बेटे की बात चली तो कहने लगी कि में बेटे का जन्म भी बड़ी मुश्किल से हुआ था Delivery के समय वो गाँव चले गए थे वहाँ जाकर उन्हें काफी मुश्कि का सामना करना पड़ा एक तो सास उसे हर समय ताने देती कि मेरा बेटा इतना सुन्दर है पर यह उसके साम कुछ भी नहीं मेरे पति का कद 6-1″ जबकि मेरा कद 5′-4″ है हमेशा यही कहती कि मेरी बहू कद छोटा है और मेरा बेटा लम्बा ऊंचा है फिर बेटे के होने का समय
सास बहु के झगडे

पति को मेरी नन्द के घर भेज दिया क्योंकि वो मुझे Hospital नहीं ले जाना चाह रही थी बड़ी मुश्किल मनाया और में खड़े हो कर ही जाना पड़ा क्योंकि TANGE में इतनी जगह ही नहीं भी किसी तरह बढ़ी मुश्किल से Hospital पहुंचे उसकी पानी की थेली फट चुकी थी बच्चे की सिर बाहर दिखने लगा था बड़ी मुश्किल से बच्चे की बधाई अपनी सास के बर्ताव और रोज रोज के झगडो से तंग आकर बलविंदर के पति ने Patiala आकर रहने का फैसला किया क्यों कि अब बलविंदर की सास अपने बेटे से भी लड़ने लगी थी कि तू बहू का साथ देता है पटियाला आकर Majithila enclave में उन्होंने एक घर खरीदा जिसके लिए बलविंदर को अपने सारे गहने बेचने- पड़े बलविंदर का पति एक फार्म हाउस में काम करते थे Plot बिकवा ने और खरीदवाने का काम करते थे 2002 में एक दिन जब वो अपने काम जा रहे थे तो उनका Accident हो गया था कैसे हुआ किसने किया कुछ पता नहीं चल सका बलविंदर को तब पता चला जब कुछ लोग उन्हें घर ले आए Head Injury हुई थी बहुत खुन बह गया था इस लिए फौरन ही Amar Hospital में दाखिल करवाया गया था. 45 दिन इलाज चलता रहा उसका 8 वीं क्लास में पढता था सारी जिम्मेदारी उसी पर आ गई थी ससुराल वाले उस वक भी उलटा उसे ही वालों उस समय भी काफी तमाशा किया पहले तो और यह कहते रहे कि प्रभदेव का ठीक से इलाज नहीं करवाया पानी के injection लगवाते रहे फिर जिद पर अड गये कि अंतिम संस्कार के लिए Body को पिंड लेकर जाएंगे बलविंदर को ससुराल वालो ने पहले भी जल्दी जायदाद में से कुछ नहीं दिया था और अब वो बलविंदर का
Beauty Parlor & Boutique
पटियाला वाला मकान हडपना चाहते थे पर मुहल्ले वालो ने और पुलिस ने भी साथ दिया सबने मिल कर कहा कि को पहले घर ले के जाते हैं फिर सोचते हैं कि क्या करना है.घर आने के बाद पुलिस कहने लगी कि यह तो है इस लिए अंतिम संस्कार तो यही करना पड़ेगा फिर भूपिंदर ने पूछा कि आप की माताजी आपके साथ कब से रह रही है तो उसने बताया कि मेरे पति के देहांत के बाद मेरी माँ मेरी मदद के लिए मेरे पास रहने के लिए आ गई थी माँ के आने के बाद और कुछ सम्हलने के बाद अपने बच्चे को पालने और अपने जीवन यापन के लिए बलविंदर ने Beauty Parlor & Boutique का काम शुरू किया था यह कहते ही बलविंदर जोर जोर से रोने लगी भूपिंदर ने भी पहली बार उसे ऐसे रोते देखा था वह बहुत घबरा गई और उसने किसी तरह बलविंदर को चुप कराया चुप होने के बाद बलविंदर ने बताया कि उनसे अपनी माँ को भी देखा की कितनी मुश्किल से उन्होंने बुनाई मशीन से सुबह से रात तक स्वेटर बुन बन कर हमें पाला था पर हमें कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी लोग जब उन्हें विधवा बिचारी कहते थे मुझे बहुत दुख होता और गुस्सा भी आता था पर मुझे नहीं पता था यह शब्द मेरे साथ भी जुड़ जाएगा भूपिंदर के देखते देखते उसने अपने बेटे को Hostel में रख कर B. Tech. तक पढाया और अब उसने कार भी खरीद थी.
भूपिंदर ने उसे बधाई कि तुम ने अपनी मेहनत सबकुछ बना लिया तो बलविंदर ने कहा कि मैं आपको यह बनना ही भूल गई कि शुरू शुरू में मैंने लड़कियों का Gym भी चलाया था बलविंदर की माँ अक्सर बीमार रहती थी उनकै Pace Maker भी डला हुआ था Cancer भी था सारे काम जैसे Doctor के जाना दवाईयां वगैरह लाना सारा
An Inspirational Story-माँ घर पर हैं
कम बलविंदर करती थी उसे सिर्फ यह हौसला था कि माँ घर पर हैं तो वह बाहर काम भी आराम से कर सकती थी और उसकी माँ का दिल Parllour की girls से लगा रहता था तकरीबन तीन साल पहले वो गुजर गई थी भूपिंदर हमेशा ही उसके हो सले को देखती और सराहती कभी वो Stray Dogs को कोई बिमारी उसका ईलाज करवाना कोई पछी बिमार या घायल हो उसको घर लाकर उसका ईलाज करवाना भूपिंदर को बताती कि इस Eart Weak है इसकी Kidney खराब है फिर भी सबके दुःख सुख में खडे होना इसी दौरान उसका बेटा कनाड करी करने चला गया फिर बलविंदर ने अपने बेटे की शादी करी बड़े चाव उसने की बेटे शादी के लिये समालवाया था पूरे शौक से सारी रस्में करी, बेटा तो शादी के बाद वापस कनेडा चला गया बहू उसके पास रही लगने में करीब एक साल लग गया पर जितनी देर बहू उसके साथ रही बेटी बेटी कहते बलविंदर की जुबान नहीं थकती थी अब बहू भी चली गई बलविंदर फिर अकेली रह गई, बस वो और उसका काम पर कभी उसकी जुबान पर कोई शिकायत नही आई कि अकेली हूँ मैंने इतनी मुश्किल से बेटा पाला पढ़ाया और वो बाहर चला गया. ऐसा कुछ भी नहीं कहती उसी तरह सबसे हंस कर मिलना और सबके काम आना गौशाला के पास
जहाँ कुत्ते ज्यादा हो ते है दूध और रोटी डालना. जज्बे को मेरा सलाम..