Black and White फंगस के बाद अब येलो फंगस की दस्तक, जानें क्या हैं कारण, लक्षण और इलाज

yellow fungus

Black and White फंगस के बाद दिल्ली एनसीआर में अब ‘येलो फंगस’ (Yellow Fungus) का मामला सामने आया है। येलो फंगस आंतरिक रूप से बढ़ता है। इसे बाकी दो प्रकारों की तुलना में अधिक खतरनाक कहा जा रहा है। इसमें लक्षण दिखने के तुरंत बाद इलाज की सलाह दी जाती है।

येलो फंगस के लक्षण

सुस्ती, वजन कम होना, भूख कम लगना या बिल्कुल भी भूख न लगना- येलो फंगस के सामान्य लक्षण बताए जा रहे हैं। इस फंगस के अधिक गंभीर लक्षण धंसी हुई आंखें या मवाद का बनना और रिसाव हो सकता है। ऐसा कहा जा रहा है कि फंगस घावों के ठीक होने में रुकावट पैदा करता है, प्रक्रिया को लम्बा खींचता है, और इसके परिणामस्वरूप अंगों की विफलता, कुपोषण और आखिरी में, चरम मामलों में परिगलन हो सकता है।

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Black and White फंगस के बाद अब जानें येलो फंगस के कारण

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येलो फंगस होने के कारणों में उच्च आर्द्रता (नमी) से लेकर पुराना खाना तक शामिल है। हालांकि, प्राथमिक कारण खराब स्वच्छता कहा जाता है। पुराने खाने से छुटकारा पाकर और मल का उचित निपटान बैक्टीरिया और फंगस को फैलने से रोक सकता है। एक बंद जगह (घर या कार्यालय) में नमी 30-40% सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए क्योंकि ज्यादा नमी वाले वातावरण फंगस के विकास को बढ़ावा देते हैं।

येलो फंगस का इलाज

अगर येलो फंगस सही समय पर पकड़ा जाता है, तो इसका इलाज हो सकता है जैसी कि उस व्यक्ति के मामले में हुआ है जो गाजियाबाद में येलो फंगस से संक्रमित पाया गया है। एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन (Amphotericin B injection) एक एंटी-फंगल दवा है जिसका इस्तेमाल येलो फंगस के उपचार में किया जाता है।

Black and White के बाद भारत में येलो फंगस संक्रमण

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में अब तक येलो फंगस के एक मामले का पता चला है और किसी अन्य राज्य में संक्रमण की सूचना नहीं मिली है। हालांकि, ब्लैक और व्हाइट दोनों फंगस के मामले भारत में लगातार बढ़ रहे हैं।

कोरोना से ही निकल रहे हैं ये फंगस

Mucormycosis या ‘ब्लैक फंगस’ के मामलों में वृद्धि को कोरोना संक्रमणों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। कई राज्यों ने ऐसे मामलों की निगरानी को देखते हुए इस बीमारी को एक ‘महामारी’ के रूप में रिपोर्ट किया है। वर्तमान में पूरे भारत में ब्लैक फंगस के अनुमानित 8,848 मामले हैं। दूसरी ओर व्हाइट फंगस को ब्लैक फंगस का कम खतरनाक संस्करण कहा जा रहा है। इनमें से अधिकांश संक्रमण मधुमेह वाले लोगों या उन लोगों में बताए जा रहे हैं जिन्होंने कोरोना के इलाज में बड़े पैमाने पर स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया था।

By- Richa R Singh