साल का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को लगने जा रहा है। यह ग्रहण भारत के पूर्वी भाग में दिखाई देगा। 26 मई को वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि है। जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। ग्रहण का वैज्ञानिक महत्व होने के साथ ही धार्मिक और ज्योतिष महत्व भी होता है।
ज्योतिष गणनाओं के अनुसार
ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि इस बार पड़ने वाले चंद्र ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव वृश्चिक राशि पर पड़ने जा रहा है। 26 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण के दौरान वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र के लोगों को इस दिन विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

भारत में उपछाया चंद्र ग्रहण
यह भारत में उपछाया की तरह दिखाई देगा, ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल मान्य नहीं होता है, साल का दूसरा चंद्र ग्रहण १९ नवंबर २०२१ को लगेगा।
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26 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण
यह भारत के पूर्वी राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, पूर्वी उड़ीसा, मणिपुर, त्रिपुरा, असम और मेघालय में देखा जाएगा।
Aaj Ka Panchang 26 May 2021 : https://www.babapost.com/%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B7/aaj-ka-panchang-26-may-2021-moon-eclipse/20802/

इन देशों में दिखेगा चंद्र ग्रहण
जापान, बांग्लादेश, सिंगापुर, बर्मा, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत और हिंद महासागर।
चंद्र ग्रहण का मानव जीवन पर प्रभाव:- जब राहु या केतू की युति चंद्र के साथ हो जाती है, तो चंद्र ग्रहण दोष हो जाता है। खगोलशास्त्र के वैज्ञानिक आधार पर जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं तो चंद्रग्रहण लगता है। दूसरे शब्दों में, चंद्र के साथ राहु और केतू का नकारात्मक गठन, चंद्र ग्रहण दोष कहलाता है। ग्रहण दोष का प्रभाव, विभिन्न राशियों पर विभिन्न प्रकार से पड़ता है जिसके लिए जन्मकुंडली, ग्रहों की स्थिति भी मायने रखती है।
चंद्रमा का मंत्र
ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।

शिव जी का महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्ष्रिय मामृतात्.।